नई दिल्ली, 17 नवंबर। प्रस्तावित नए आपराधिक कानून के तहत प्रमुख वित्तीय घोटाले, पोंजी स्कीमें, साइबर अपराध, वाहन चोरी, जमीनें हड़पना और कॉन्ट्रैक्ट किलिंग आदि संगठित अपराध के दायरे में आएंगे, यदि ऐसे किसी भी अपराध में किसी की मौत भी हो जाती है, तो फिर दोषियों को उसके लिए उम्रकैद या फांसी की सजा मिलेगी।
भाजपा सांसद बृजलाल की अध्यक्षता वाली स्थायी संसदीय समिति का मानना है कि गंभीर संगठित अपराधों जैसे अपहरण, जमीन पर कब्जा, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, फिरौती के साथ-साथ प्रमुख वित्तीय घोटालों और मानव तस्करी के रोकथाम के लिए मौजूदा कानून काफी नहीं है, इसलिए समिति ने नए संशोधित कानून में प्रस्तावित सजाओं को बेहद प्रभावशाली बताया है।
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा-9 के अनुसार गैरकानूनी गतिविधियों, अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, फिरौती, जमीन हड़पने, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, आर्थिक अपराधों, साइबर अपराधों के गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। नशीले पदार्थों, अवैध वस्तुओं और मानव तस्करी, देह व्यापार, फिरौती जैसे अपराधों के लिए बने समूहों या किसी संगठित आपराधिक संगठन के किसी सदस्य के हिंसा करने, हिंसा की धमकी देने, दुष्कर्म, भ्रष्टाचार करने या अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त होकर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्तीय या अन्य किसी प्रकार का लाभ लेने पर उसे संगठित अपराध माना जाएगा। संगठित अपराधों में आर्थिक अपराध भी आते हैं, जिसमें आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, नकली नोटों का कारोबार, वित्तीय घोटाले, पोंजी स्कीमें, मास मार्केटिंग धोखाधड़ी, बड़े पैमाने पर सट्टेबाजी आएंगे। मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला लेनदेन भी इसमें शामिल है, जबकि भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 120ए के तहत संगठित अपराध पर कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा गया है, जबकि बीएनएस के तहत दिए जाने वाले दंड में संगठित अपराध में किसी की मौत हो जाती है तो दोषी को उम्रकैद या फांसी की सजा तक हो सकती है। दोषियों पर लगने वाला जुर्माना भी 10 लाख रुपये से कम नहीं होगा। किसी अन्य मामले में पांच साल की कैद या पांच लाख रुपये का जुर्माना लगेगा।