Friday, November 22

बीमारियों के विश्व दिवस मनाने से अच्छा है इसकी रोकथाम पर दें ज्यादा ध्यान

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समाज में जैसे जैसे आधुनिकता और ऐशपरस्ती के साधन जुटाने की होड़ बढ़़ रही है। शारीरिक श्रम घटने की बढ़ रही आदत तथा खानपान में अनियमिता और पश्चिमी सभ्यता से संबंध खाद्य पदार्थों की लोकप्रियता का बोलबाला हो रहा है वैसे वैसे आए दिन रोज ही किसी ना किसी नई बीमारी का प्रकोप बढ़ने और इससे संबंध दिवस मनाए जाने की खबरें मिलती ही रहती है। हमारे चिकित्सक इससे मुकाबले के सुझाव कम और किन कारणों से यह हो रही है सरकार से मिलकर उन्हें दूर कराने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। बड़े विज्ञापन छपवाकर और अपने विचार फोटो के साथ छपवाने में कोई पीछे नजर नहीं आ रहा है।
आज हम विश्व दृष्टि और गठिया दिवस मना रहे हैं। यह क्यों होती है यह बताने के साथ साथ हमें क्या करना चाहिए। राय देने के अतिरिक्त एक बात सभी कहते हैं कि चिकित्सकों की राय जरूर लें। अगर ध्यान से सोंचे तो यह सही भी है। राय लेने से ही उनका भी घर चलता है।
देश में अगर सर्वे किया जाए तो लाखों की तादात में एमबीबीएस बीफार्मा और अन्य छोटे बड़े डॉक्टर वैद्य मौजूद हैं। कोई भी डॉक्टर अगर समझदार है तो उसके फालोवर की संख्या बड़ी तादात में है। यह भी पक्का है कि इस हिसाब से अगर वो करोड़ों लोग इकटठा होकर बीमारियों के लिए जिम्मेदार समस्याओं के समाधान और कारणों की रोकथाम के लिए जनप्रतिनिधियों और सरकार पर दबाव डाले तो कितनी ही बीमारियां समाप्त हो जाएंगी। बस जरूरत यह हेै कि हमें थोड़ा सा प्रयास करना है अब तो बहुत लिखा पढ़ी करने की जरूरत नहीं है क्योंकि सोशल मीडिया के माध्यम से प्रधानमंत्री तक अपनी आवाज पहुंचा सकते हैं। ऐेसें में जरूरी यह है कि बीमारियों का विश्व दिवस मनाने और कारण बताने के साथ ही उनका समाधान खोजने की तरफ अगर ध्यान दिया जाए तो जो यह समस्या खड़ी हो गई है उस पर अंकुश लगाया जा सकता है।
जैसे कोरोना काल में घर से बाहर निकलने पर पाबंदी काम करना कम हो गया। जो समझदार थे उन्होंने घर पर योग खेलने की व्यवस्था कर दिमागी तनाव और बीमारियों को भी दूर रखा जो सिर्फ बातों के धनी और आलसी थे उन्होंने गठिया रोग मधुमेह जैसी कई बीमारियां पाल ली।
सवाल उठता है कि चिड़िया चुग गई खेत तो अब क्या होत है को आत्मसात कर भविष्य में और बीमारियां उत्पन्न ना हो और जो हुई वो ठीक हो हम स्वस्थ रहकर अपना जीवन यापन कर सके और बीमारियों के खर्च को बचाकर आर्थिक रूप से मजबूत हो सके इसके लिए जो बात समझ में आती है वो यही है कि अनावश्यक रूप से सुविधाओं के पीछे भागने के चक्कर में जमीन पानी पहाड़ का अनावश्यक दोहन ना करे। ताजी हवा मिल सके इसके लिए ऑक्सीजन वाले वृक्ष लगाए। सुबह घूमने जरूर जाएं। योग करें और ग्रामीण कहावत सुबह का नाश्ता भरपूर दोपहर का सामान्य और शाम का सादा भोजन करें तथा खुशहाली बनी रहे इसके लिए मनोरंजक साधनों का उपयोग करें और जिस सोशल मीडिया को हम सुबह से शाम तक कोसते है। उस पर मौजूद काम की और अच्छी बातों का लाभ उठाएं। सबसे बड़ी बात जो इन बीमारियों का हमेशा से ही मुख्य कारण रही है गंदगी ना करें ना होने दें। सरकार ने इससे बचने के लिए काफी व्यवस्थाएं की है। जिन्हें ध्यान में रखकर जिम्मेदारों पर दबाव बनाएं कि वो समय से कूड़ा उठवाएं और दवाईयों का छिड़काव हों। आवश्यकता पड़े तो दादी नानी के नुस्खों का उपयोग करके बीमारियों के छुटकारे की सोचें। एलोपैथिक चिकित्सकों के पास तभी जाए जब कोई रास्ता नजर ना आ रहा हो लेकिन किसी रोग को बढ़ने ना दें। और व्यवस्था ना हो तो गूगल पर चिकित्सकों की टीम से जानकारी प्राप्त करें। बीमारी को पनपनें ना दें। लापरवाही ना बरतें। मधुमेह और अन्य घातक बीमारी से बचाव के जितने उपाय प्रचलन में है उन्हें अपनाएं और सबसे बड़ी बात कम से कम पांच किमी साईकिल रोज चलाएं। फिर भी मर्ज सही नहीं होता है तो डॉक्टरों की सलाह लें। वरना कितने ही दिवस मना ले उससे कुछ होने वाला नहीं है।
ऐसे रखें गठिया में ख्याल
खाने में कैल्शियम का प्रयोग बढ़ाएं
कंधे या कूल्हे में बिना किसी चोट के दर्द हो तो सावधानी बरतें
मूवमेंट के दौरान किसी हड्डी में दर्द या कंधे के जोड़ में सूजन दिखे तो सावधानी बरतें ।
गैस व बादी करने वाले खाद्य पदार्थो का सेवन न करें ।
वजन कम करें ।
ऐसे करें आंखों का बचाव
आंखों को पर्याप्त आराम देने के लिए 8 घंटे की नींद लें
कंप्यूटर, टीवी या मोबाइल में देख रहे हों तो उचित दूरी बना कर रखें
दिन में 3 से 4 बार अपनी आंखों को ठंडे पानी से अच्छी तरह धोएं
खाने में दूध, मक्खन, गाजर, टमाटर, पपीता, अंडे, देसी घी और हरी सब्जियां खाएं
सोते वक्त आंखों के आसपास बादाम के तेल से हल्की मालिश करें
खूब पानी पीएं, समय-समय पर चेकअप कराते रहें तथा सुबह उठकर सबसे पहले मुंह में पानी भरकर आखों पर छपके मारे काफी आराम मिलेगा।

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