Saturday, July 27

केजरीवाल साहब मांस विक्रेताओं को खुश करने के चक्कर में सत्ता न चली जाए, क्योंकि शाकाहारी भी है बड़ी संख्या में आपके साथ

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सरकार केन्द्र की हो या प्रदेश की उसे अपने मतदाताओं और नागरिकों की भावनाओं का विशेष रूप से ध्यान करना चाहिए। लेकिन लगता है कि दिल्ली प्रदेश की सरकार कुछ मीट विक्रेताओं आदि को खुश करने के लिए आम आदमी की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ कर रही लगती है।
इस संदर्भ में एक खबर के अनुसार गत अक्टूबर माह में जिस आप सरकार ने एकीकृत निगम की मीट पॉलिसी को पारित किया था अब फिर से उसमें बदलाव करने की तैयारी शुरू हो गई है। मीट विक्रेताओं के विरोध और उनकी परेशानी को देखते हुए आप सरकार मीट पालिसी में बदलाव करना चाहती है। इसमें धार्मिक स्थलों से मांस की दुकान खोलने और मांस की दुकान सील होने पर उस पर लगने का शुल्क के साथ ही मांस की दुकान खोलने के लिए न्यूनयम क्षेत्रफल जैसी शर्तों में बदलाव की प्रक्रिया को आप पार्षदों ने शुरू किया है। 28 दिसंबर को प्रस्ताव आप पार्षद सुल्ताना आबाद और आमिन मलिक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया था। जिसे आप सरकार ने पारित कर दिया है।
पारित प्रस्ताव के तहत धार्मिक स्थल से मीट की दुकान खोलने की दूरी 100 मीटर करने की बात कही गई है। जबकि गत अक्टूबर माह में जो प्रस्ताव पारित हुआ था उसमें 70 से 100 मीटर को बढ़ाकर 150 मीटर किया गया था। इसके साथ ही नए लाइसेंस शुल्क और नियमों के उल्लंघन पर लगने वाले जुर्माने को भी कम करने का प्रस्ताव पारित किया गया है।
गत अक्टूबर माह में जो नीति पारित हुई थी उसमें नई दुकान और लाइसेंस के नवीनीकरण का शुल्क सात हजार रुपये कर दिया था। इसे पांच हजार रुपये करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। इसके साथ ही ए श्रेणी की कालोनियों में मीट की दुकान खोलने के लिए न्यूनतम 10 वर्गमीटर जगह को घटाया गया है। अब ए श्रेणी की कालोनी में 60 वर्ग मीटर की बजाय 50 वर्गमीटर की संपत्ति पर दुकान खोली जा सकेगी।
वहीं, मीट की दुकान सील होने पर उसकी सील खोलने के लिए जुर्माने की राशि को 50 हजार से घटाकर 10 हजार करने का भी प्रस्ताव पारित किया गया है। उल्लेखनीय है कि पूर्वकालिक उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के एकीकरण के बाद गठित हुए दिल्ली नगर निगम को लेकर एकीकृत नीति और शर्तों को गत अक्टूबर माह में हुई सदन की बैठक में पारित किया गया था।
नई नीति की वजह से काफी परेशानी हो रही थी
बताया जा रहा है कि मीट एसोसिएशन को नई नीति की वजह से काफी परेशानी हो रही थी। इतना ही नहीं मीट के छोटे व्यापारी इससे काफी परेशान थे। वह लगातार अपनी मांगों को लेकर सामने आ रहे थे। इसे देखते हुए यह प्रस्ताव सदन में पारित किया गया कि अब जो मीट पालिसी पारित हुई है उसमें बदलाव किए जाए। इसमें लाइसेंस शुल्क, जुर्मान और लोकेशन आदि महत्वपूर्ण नियमों में संशोधन का प्रस्ताव पारित किया गया है। इस प्रस्ताव का समर्थन पूर्वी दिल्ली के आप पार्षद आमिन मलिक ने समर्थन किया था और सदन ने इसे पारित कर दिया है।
मेरा मानना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल द्वारा मांस विक्रेताओं और उनके समर्थकों को खुश करने की बजाए शाकाहारी आम आदमी की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए अपना ये निर्णय वापस लेना चाहिए। क्योंकि बाहरी विरोध के बावजूद श्री अरविन्द केजरीवाल जो बार बार चुनाव जीतते है उसमें शाकाहारियों का भी भारी योगदान है। कहीं ऐसा न हो कि अंगुलियों पर गिने जाने वाले मांस विक्रेताओं को खुश करने के चक्कर में अपनी सत्ता न गंवा बैठे इसलिए इस निर्णय पर एक बार पुनः विचार कर फैसला वापस लिया जाना चाहिए।

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