यवतमाल 30 अक्टूबर। मराठा आरक्षण का मसला महाराष्ट्र की शिंदे सरकार के लिए गले की फांस बन गयी है। जो सुलझने की बजाय उलझती चली जा रही है। मराठा आंदोलन के प्रमुख नेता मनोज जरांगे पाटील बिना पानी पीये पांच दिनों से अनशन पर बैठे है। जिस वजह से मराठा आरक्षण की लड़ाई तेज होती जा रही है। अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बड़ा झटका लगा है।
जानकारी के मुताबिक, मराठा आरक्षण की मांग को लेकर राज्य में चल रहे आंदोलन के समर्थन में शिंदे गुट के शिवसेना सांसद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर हिंगोली लोकसभा क्षेत्र के शिवसेना सांसद हेमंत पाटील ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेजा है।
बताया जा रहा है कि कुछ मराठा प्रदर्शनकारियों ने सांसद हेमंत पाटील से मुलाकात की थी। जिसके बाद सरकार पर दबाव बनाने के मकसद से उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। मराठा समुदाय के लिए शिक्षा और नौकरियों में कोटा देने के लिए राज्यभर में आंदोलन चल रहा है। संजय राउत समेत कई बड़े नेताओं का मराठा प्रदर्शनकारियों ने घेराव भी किया। इस वजह से महाराष्ट्र सरकार की टेंशन बढ़ती जा रही है।
मराठा आरक्षण के लिए मनोज जरांगे 25 अक्टूबर से फिर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए है। उन्होंने एक महीने पहले भी इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया था। तब शिंदे सरकार ने मराठा आरक्षण पर फैसला लेने के लिए एक महीने का वक्त मांगा था। यह समयसीमा 24 अक्टूबर को खत्म हो गयी, लेकिन आरक्षण लागू करने पर कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ। जरांगे ने मराठा समुदाय से अपील की है कि वें उनके इलाके में किसी भी मंत्री, विधायक, सांसद, प्रशासनिक अधिकारी को घुसने नहीं दे। जिसका असर भी दिख रहा है।
मालूम हो कि राज्य सरकार ने मौजूदा ओबीसी कोटा में मराठों को शामिल करने की संभावना तलाशने के लिए कमेटी गठित की है। उधर, अन्य जाति समूहों के नेता मौजूदा ओबीसी कोटा में मराठों को समायोजित करने की मांग का विरोध कर रहे हैं। वहीं जरांगे ने मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र देने की मांग करते हुए राज्य कमेटी को खारिज कर दिया है।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने मराठा कोटा बहाल करने के लिए राज्य सरकार की ओर से दायर क्यूरेटिव याचिका को स्वीकार कर लिया है।