केसर खुशबू टाइम्स
मेरठ, 12 अगस्त (शहर संवाददाता) शहर में मेट्रो का आना खुशियों भरा है क्योंकि इससे सफर आसान होगा दूसरे छोटी दूरी के लिए जब हम अपने वाहन लेकर चलने से जो जाम लगता है उससे भी छुटकारा मिलेगा। पेट्रोल डीजल की बचत और प्रदूषण में कमी आएगी। यहां तक सब ठीक है लेकिन मेट्रो के एक किलोमीटर के क्षेत्र में आने वाले भवनों का उपयोग कुछ शर्तों के साथ नियमों व मानकों को पूरा करते हुए कॉमर्शियल में किया जा सकता है। यह एक अच्छी बात है क्येांकि इससे जो भवन परिधि में आएंगे उनके मालिकों की आमदनी बढ़ेगी। जितना सुनाई दे रहा है उससे पता चलता है कि मेरठ विकास प्राधिकरण के मेट्रो के नियमों का पालन कराने वाले अधिकारियों की मिलीभगत से कुछ अवैध निर्माणकर्ता बिल्डर नियमों का पालन ना कर सरकार का राजस्व ना भरकर गलत तथ्यों के आधार पर मानचित्र पास कराने में लगे हैं। इस बारे में आज जो चर्चा सुनने को मिली। उसके अनुसार मौखिक सूत्रों का कहना था कि सिविल लाइन क्षेत्र में मेरठ कॉलेज के सामने बैंक के बराबर स्थित कोठी नंबर पांच में किसी राजेश मित्तल द्वारा नक्शा पास कराया गया है। वो सही है या गलत यह अलग बात है। क्योंकि कुछ जागरूक नागरिकों का कहना है कि यह नक्शा गलत तथ्यों पर पास किया और कराया गया है। इस कोठी में खड़े पेड़ों को काटने के लिए लोगों का ध्यान बंटाने के लिए पहले पेड़ छटवाएं जा रहे हैं तो कई का कहना है कि पेड़ उगवाने की आड़ में कुछ फलदार वृृक्ष कटवाकर उनका नामोनिशान खत्म करा दिया गया है। अगर जांच हो तो असलियत सामने आ सकती है मगर जिला प्रशासन को सरकार के हित में जो घरेलू संपत्ति का कामर्शियल उपयोग रूकवाने के लिए जिलाधिकारी जी राजेश मित्तल के नक्शे की फाइल मंगाकर इसकी जांच कराएं और सरधना विधायक अतुल प्रधान द्वारा गंगनहर पर काटे गए पेड़ों का जो मुददा उठाया गया है उस पर एनजीटी गंभीर है इस बात को ध्या में रखते हुए कोठी का सर्वे कराया जाए क्योंकि वन विभाग और मेडा अफसरों की उदासीनता से ऐसा नहीं लगता कि वो इस बारे में कोई कार्रवाई करेंगे।
दूसरी ओर मौखिक व विश्वस सूत्रों में यह चर्चा भी जोरों पर है कि यहां मानचित्र के विपरित निर्माण किया जाएगा। और इसे पूरी तौर पर गलत भी नहीं कह सकते क्योंकि मेडा के अवैध निर्माण रोकने से संबंध कुछ अधिकारियों की कार्यप्रणाली के चलते और श्री राजेश मित्तल के द्वारा पूर्व में अकेले या किसी से मिलकर चर्चा अनुसार जो निर्माण कराये गये वो अवैध की श्रेणी में आने बताये जाते है। इसलिए इस चर्चा को गलत नही कहा जा सकता।