Sunday, December 1

संसद सुरक्षा में रही भारी चूक, आरोपियों को दबोचने वाले सदस्यों का हो सम्मान, सुरक्षा घेरा तोड़कर अंदर कैसे पहुंचे ?

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13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए हमले के ठीक 22 वर्ष बाद इसी दिन जब हमारे संसद सदस्य 22वीं बरसी मना रहे थे दो युवकों ने संसद में कूदकर हंगामा तो मचाया ही सुरक्षा की लचर व्यवस्था पर भी सवाल उठा दिए। मेरठ-हापुड़ लोकसभा क्षेत्र से वरिष्ठ सांसद राजेंद्र अग्रवाल उस समय लोकसभा की कार्यवाही का संचालन कर रहे थे और अचानक दीर्घा में हुई इस घटना को उनके द्वारा भी सुरक्षा में चूक तो माना ही गया है। जांच शुरू हो गई है। सही स्थिति का ज्ञान भी हो ही जाएगा।
कोई इसे बेरोजगारी का गुस्सा बता रहा है तो कुछ का कहना है कि यह वामपंथी विचारधारा से प्रेरित हो सकता है। तो पकड़े गए युवाओं का कहना है कि हम किसी संगठन से नहीं बेरोजगार है। हो सकता है यह कथन भी सही हो और दूसरी तरफ सनसनी फैलाकर जल्दी नाम कमाने और सुर्खियों में रहने की जो एक भावना वर्तमान समय में हमारे कुछ युवाओं में बढ़ रही है यह उसका भी परिणाम हो सकता है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि अलग अलग राज्यों से संबंध सभी छह आरोपी जिनमें से चार पकड़े गए। नीलम जिंद जिले की उचांन गांव की रहने वाली है और नक्सलियों से जुड़ी बताई जा रही है। नीलम के साथ पकड़ा गया अनमोल शिंदे लातूर महाराष्ट्र का बताया जाता है और संसद में कूदने वाले सागर शर्मा लखनऊ यूपी और मनोरंजन मैसूर कर्नाटक का बताते हैं। इसके अलावा गुरू ग्राम के जिस घर में यह लोग रूके थे वहां के विक्की शर्मा और उनकी पत्नी को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया। बताते हैं कि पुलिस को जांच के दौरान इनमें से कुछ के पास से स्वतंत्रता सेनानियों से संबंध किताबें भी मिली। मगर मुझे लगता है कि भले ही यह किसी संगठन से संबंध ना हो लेकिन मजदूर से लेकर उच्च शिक्षा शिक्षा प्राप्त व्यक्ति इस प्रकरण में शामिल बताए जा रहे हैं। सब अलग अलग राज्यों से हैं। कुछ का कहना है कि सोशल मीडिया के माध्यम से इनकी मुलाकात हुई। तो यह भी बताया जा रहा है कि यह कहीं ओर भी मिल चुके थे। जिसे एक इत्तेफाक भी नहीं कह सकते। इसलिए संसद की सुरक्षा में चूक तो सुरक्षा दल के लोग कर ही चुके हैं। अब इस मामले की तह तक जाने और सही स्थिति का पता लगाने के मामले में कोई चूक नहीं होनी चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रताप सिन्हा जो मैसूर से हैं की संस्तुति पर संसद के अंदर पकड़े गए आरोपी मनोरंजन डी और सागर शर्मा को संसद की दर्शक दीर्घा में जाने का पास प्राप्त हुआ बताते हैं। खबर यह भी है कि खुफिया इनपुट के बावजूद सुरक्षा एजेंसियों ने वो सतर्कता नहीं दिखाई जो दिखाई जानी चाहिए थी। परिणामस्वरूप सुरक्षा के कई घेरे पार कर आरोपी अंदर तक पहुंच गए। दोषियों के विरूद्ध क्या कार्रवाई की जाएगी यह तो केंद्रीय गृह मंत्रालय और संसद की समिति ही तय करेगी। मगर यह ताज्जुब का विषय है कि तीन माह तक संसद के पास के जुगाड़ में आरोपी लगा रहा और किसी को हवा तक नहीं लगी। बताते हैं कि जैसे ही दोनों युवक नीचे कूदे उनके जूते से निकले धुंए ने सबके चेहरों पर असर दिखाया और रंगीन धुंए का असर माननीयों के चेहरे पर दिखाई दिया। सपा सांसद डिंपल यादव ने इसे गंभीर चूक बताया। तो कुछ लोगांें का यह भी कहना था कि लोकसभा सदस्यों के कानों में खालिस्तानी आंतकी गुरूपंत सिंह पन्नू की धमकी भी गंूज गई। इस खबर में कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन बताते हैं कि संसद भवन के बार रेकी और सुरक्षा व्यवस्था का भी पूर्व में आरोपियों द्वारा जायजा लिया गया और किसी विशेष समस्या की ओर इनका ध्यान खींचने के लिए 2001 के हमले की बरसी का दिन 13 दिसंबर चुना गया। अगर इस खबर में सत्यता है तो यह बड़ी शर्मनाक बात है कि आरोपियों ने पुलिस के सामने ही स्मोक कैन चला दिए। और पकड़े गए दो आरोपी जो मोबाइल सामान लेकर आए थे वो फरार हो गए। जिसके लिए गृह सचिव द्वारा पुलिस को फटकार भी लगाई गई। कुछ लोग धुंए के गुब्बार को हेड ग्रेनेड भी समझ रहे थे लेकिन बिजनौर से बसपा सांसद मलूक नागर और राजस्थान से सांसद हनुमान बेनीवाल तथा गुरजीत अजनाला ने आरोपी को दबोच भी लिया। जिसके बाद मार्शल और सुरक्षा कर्मियों ने उन पर काबू पाया। सांसदों के हवाले से बताया गया कि जब धुंआ फैलना शुरू हुआ तो सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
दिहाड़ी मजदूर और एमफिल तक की पढ़ाई करने वालों का यह जमघट द्वारा किया गया कारनामा हमें यह समझाने और बताने में पूरी तौर पर सक्षम रहा है कि हम भले ही मजबूत सुरक्षा के दावे कितने ही कर रहे हो मगर जितना ध्यान इस ओर दिया जाना चाहिए शायद गंभीरता उतनी नहीं दिखाई जा रही। यह प्रकरण कितना महत्वपूर्ण और सोचने का रहा इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि भारतीय मीडिया के साथ साथ बीबीसी और गल्फ न्यूज आदि ने भी इसे काफी महत्व दिया। मैं किसी पर आरोप प्रत्यारोप नहीं कर रहा हूं और ना ही इसके लिए किसी को अभी जांच से पूर्व जिम्मेदार ठहरा रहा हूं। लेकिन एक आग्रह पीएम श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से जरूर करना चाहता हूं कि आए दिन देशभर में जो अपराधिक घटनाएं हो रही हैं उनको नजरअंदाज कर पुख्ता कानून व्यवस्था कायम होने अपराध घटने की बात कहकर उनके लिए दोषी कुछ सुरक्षाकर्मियों का जो मनोबल बढ़ा देते हैंं उससे वो लापरवाह होते हैं इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता और कहीं ना कहीं 13 दिसंबर को हुई इस घटना में लापरवाही उसका भी परिणाम हो सकती है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता इसलिए देश की सुरक्षा सर्वोपरि मानते हुए पक्ष हो या विपक्ष जिस एकजुटता से विपक्षी सांसदों ने आरोपियों को पकड़ने और एकता का परिचय आपस में दिया उसी भावना से अगर कहीं कोई अपराधिक घटना हो रही है तो उसके लिए एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप ना लगाते हुए उनकी गिरफतारी और दोषियों को सबक जरूर मिलना चाहिए। क्योंकि भगवान की मेहरबानी से संसद की घटना ने कोई बड़ा नुकसान किसी को नहीं हुआ लेकिन सुरक्षा व्यवस्था पर जो प्रश्नचिन्ह लगा है अगर इसे नहीं सुधारा गया तो भविष्य में यह काफी घातक हो सकता है। इसलिए मेरा मानना है कि यह मामला शांत हो जाने जांच के बाद स्थिति स्पष्ट होने पर मलूक नागर और हनुमान बेनीवाल सहित जिन सांसदांे ने साहस का परिचय दिया उनका प्रधानमंत्री को सम्मान भी करना चाहिए। जिससे हर कठिन घड़ी में एकसूत्र में बंधे रहने की भावना और मजबूत हो सके और हम बड़ी से बड़ी कठिन परिस्थितियों में अपनों की सुरक्षा के लिए बिना जान की परवाह किए मैदान में कूद सके।

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