विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस पर देश भर में इस विषय को लेकर जागरूकता अभियान चलाने के साथ साथ विचार गोष्ठियां भी हुई। कुछ संगठनों व कालेजों ने इस बारे में रैलियां भी निकाली। तो कुछ चिकित्सा संस्थानों तो कई डाक्टरों ने अपने हेल्पलाईन नम्बर भी जारी किये जिन पर बात कर इस बिमारी से पीड़ित व उनके परिवार के सदस्य परार्मश लेकर बीमारी से अपना बचाव कर सकते है। बताते है कि इसके लिए 24 घंटे मानसिक स्वास्थ हेल्प लाईन व निशुल्क परार्मश उपलब्ध है इसके लिए टेली मानस हेल्प लाईन नम्बर 14.416 पर परार्मश लेने की सलाह भी दी गई है।
इस बिमारी से पीड़ित व उनके परिवारों का ध्यान आर्कषित करने हेतु दीपिका पादुकोण एक्टर द लिव लाइफ फाउंडेशन को केन्द्र सरकार के स्वास्थ कल्याण मंत्रालय द्वारा पहली मानसिक स्वास्थ एबेस्डर नियुक्त किया गया। यह नियुक्ति इस क्षेत्र में सही माहौल बनाने की दिशा में बड़ा कदम बताया रहा है। केन्द्रीय स्वास्थ व परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा का कहना है कि फिल्म कलाकार दीपिका पादुकोण के साथ यह पार्टनशिप इस लिए की गई है कि इस क्षेत्र में साकारात्मक विचार अपनाकर स्वास्थ लाभ प्राप्त करें। मानसिक स्वास्थ से पीड़ित व्यक्ति खुद तो परेशान होता है ही है उससे अपने ज्यादा पीड़ित रहते है। मीडिया में कई बार सुनने को मिलता है कि परिवार ने मानसिक पीड़ित का ध्यान नहीं रखा या उससे छुटकारा पाने की कोशिश की। ऐसा लिखने व कहने वालों को कभी इनसे संबंध स्थिति भोगने का मौका शायद नहीं मिला होगा इसलिए शायद वो अनजाने में ऐसा कहते है। मेरा मानना है कि मानसिक स्वास्थ समग्र विकास और देश की प्रगति का प्रमुख हिस्सा है। लेकिन कई मौकों पर इससे पीड़ित दवाई भी नहीं खाना चाहते इसलिए ना तो वो खुद ठीक होना चाहते है और ना ही उनके अपने चैन से रह पाते है। एक खबर के अनुसार वैश्विक भर्ती प्लेट फार्म अमेरिका की कंपनी ईडीजेड द्वारा कराये गये अध्ययन में सामने आया है कि अपने देश में अगस्त 2025 में हजारों की संख्या में कर्मचारियों ने कंपनियां छोड़ी क्योंकि खराब मानसिकता के चलते काम करने की क्षमता तो घटती ही है सामने वाला भी इस स्थिति से छुटकारा चाहता है।
जानकारों का कहना है कि अनिंद्रा और कम सोना भी इसके लिए जिम्मेदार है इस लिए चैन की नींद 6 से 8 घंटे तक जरूर लेनी चाहिए। अच्छी नींद से मन शांत और दिमाग साकारात्मक रूप से क्रियाशील होने लगता है। जैसा मैने देखा और समझा उससे मुझे लगता है कि इस मर्ज के पीड़ित को अपनी भावनाओं को दबाना नहीं चाहिए उसे साझा करें। और अगर कोई बात करने को नहीं है तो कागज पर अपने विचारों को उतारे अच्छा संगीत व म्यूजिक सूने और कुछ समय बाहर घूम आए तो स्थिति में सुधार होता हैं। कुल मिलाकर कहने का मतलब है कि अपनी बात किसी से कहंेंगे तो मन हल्का होगा और आपकी स्थिति में जल्दी ही सुधार हो जाएगा। मानसिक स्वास्थ संबंधी चिकित्सक व सरकार जितना पढ़ने व सुनने को मिलता है इस क्षेत्र में काफी काम कर रही है और कुछ नये नये अविष्कार भी अपनाए जा रहे हैं। आगरा मंड़ल में बनी पहली लैब में मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय द्वारा स्लीप लैब से इसका इलाज करने की कोशिश की जा रही है। बुजुर्ग हो या युवा ज्यादा स्कीन एडिक्शन से प्रभावित हो रही नींद भी इसका कारण बन रही है। चिकित्सों के अनुसार मानसिक रोग से बचने और स्वस्थ नींद लेने के लिए सोने जागने का समय तय करें। सुबह शाम नियमित रूप से घूमने जाए दिन के समय सोना नहीं है तो बैड पर ना ही लेटे। लेटकर टीवी मोबाइल ना देखे और ना पढ़े शाम को सोने से पहले गुनगुने पानी से स्नान कर सकते है हल्का भोजन करे। शाम भोजन के बाद चाय कॉफी ना ले और ध्रूमपान न करें। मोबाइल फोन तकिये से दूर रखे सोने से दो घंटे पहले मोबाइल टीवी न देखें। वर्क फ्रॉम होम या हाई ब्रिड काम मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर माने गये है। हाईब्रिड काम में कर्मी आधा घर में व आधा दफ्तर में करते है काम इस तरह से मानसिक तनाव से बचा जा सकता है। कुल मिलाकर इस संदर्भ जो आज खबरें पढ़ने व जो चर्चा सुनने को मिली उनसे सहमति रखते हुए मेरा भी मानना है कि स्वस्थ रहने के लिए विवादों से दूर रहे। फालतू की बहस करने से बचें। सुबह शाम योग और घूमना जारी करें। और अच्छी अच्छी बातों को अपनाए मन को प्रिय कुछ किताबें पढ़े। क्योंकि मोबाइल और सोशल मीडिया से वर्तमान समय में पूर्ण रूप से तो बचा नहीं जा सकता लेकिन इसका थोड़ा कम करके अच्छे आयोजनों में जाए और अच्छे लोगों से चर्चा करें। भले ही मानसिक बीमारी पूरी ठीक न हो जाए मगर बड़े स्तर तक पीड़ित अपना काम सुचारू करते हुए समाज में अपना प्रमुख स्थान बनाये रख सकते है। लेकिन इसके साथ जरूरी है कि अपने चिकित्सक व डाक्टर से अपने विचार व समस्याओं का आदान प्रदान कर उनसे सलाह लेकर इसका पालन जरूर करें।
(प्रस्तुतिः- अंकित बिश्नोई राष्ट्रीय महामंत्री सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए व पूर्व सदस्य मजीठिया बोर्ड यूपी संपादक व पत्रकार)
मानसिक रोग से बचने हेतु अच्छी किताबें पढ़े और सामाजिक आयोजनों में निभाये भागीदारी, मन की बात दबाये नहीं
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