Tuesday, October 14

साधना और शक्ति दोनों की प्रेरणा देती है विजयादशमी- राजकुमार मटाले

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मेरठ 02 अक्टूबर (प्र)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मेरठ महानगर ने आज शताब्दी वर्ष पूरे धूमधाम एवं हर्ष उल्लास से मनाया, पूरे विश्व में हिंदुओं का सबसे बड़ा संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज विजयादशमी के दिन अपने 100 वर्ष पूरे कर रहा है, इस उपलक्ष में पूरे देश में संघ विभिन्न कार्यक्रम कर रहा है, मेरठ महानगर में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आज रविवार को 50 स्थानों पर विजयदशमी कार्यक्रम मनाया गया, जिसमें 6500 स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में भाग लिया।

महानगर में होने वाले सभी कार्यक्रमों में पूर्ण गणवेश में स्वयंसेवकों ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया, सभी कार्यक्रमों में सर्वप्रथम एकल गीत, गण गीत के पश्चात शस्त्र पूजन किया गया, शस्त्र पूजन के बाद मुख्य वक्ता द्वारा संघ के विचार के विषय में बताया गया, बाद में पूर्ण गणवेश में क्षेत्रअनुसार पथ संचलन निकाला गया, विभिन्न क्षेत्रों में निकले इन पथ संचलन में छोटे बच्चे,तरुण स्वयंसेवक,और वृद्ध सभी कदम से कदम मिलाकर चल रहे थे, क्षेत्र वासियों द्वारा नगरों में इन पथ संचलन का पुष्प वर्षा करके स्वागत किया गया।

महानगर में अनेको स्थानों पर संघ की प्रदर्शनी भी लगाई गयी, इस प्रदर्शनी में संघ के कार्यों का 100 वर्षों का विस्तार, और प्रमुख कार्यक्रम भी दिखाए गए, 1998 में हुआ समरसता महाशिविर,25 फरवरी 2018 में हुआ जागृति विहार में राष्ट्उदय कार्यक्रम, मेरठ महानगर और प्रांत के ऐसे अनेकों वरिष्ठ स्वयंसेवको का जीवन दर्शन भी इस प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाया गया, जिन्होंने अपना समस्त जीवन संघ कार्य के पावन कार्य में लगा दिया।

द्वारिका पूरी, बागपत रोड, साईं हॉस्पिटल क़े पास हुए कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख राजकुमार मटाले ने कहा कि विजयदशमी का यह पर्व हमें साधना और शक्ति दोनो की प्रेरणा देता है।

नवरात्रि के नौ दिनों में संपूर्ण देश भक्ति-भाव से पूजा अर्चना करके आत्म-अवलोकन करता है और अपने भीतर श्रेष्ठ मूल्यों को जागृत करने का प्रयास करता है। यह साधना केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक जीवन को भी ऊँचाई प्रदान करने वाली होती है।एक ओर यह पर्व आध्यात्मिक साधना का प्रतीक है, तो दूसरी ओर शक्ति के पूजन का।शक्ति व्यक्ति, समाज और राष्ट्र – तीनों के लिए आवश्यक है।हमारे शास्त्र शक्ति के प्रतीक हैं, इसीलिए उनका पूजन पूरे देशभर में किया जाता है। भारत की यह परंपरा विशेष है कि जहाँ वह आध्यात्मिक साधना करता है, वहीं शस्त्रों का भी पूजन करता है। हमारे पूर्वज जानते थे कि शांति का मार्ग तभी संभव है जब हम शक्तिसंपन्न हों। इसलिए शक्ति ही शांति का आधार है। इसी भाव को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पिछले 100 वर्षों से कार्य किया है।संघ 100 वर्षों से निरंतर व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का कार्य कर रहा है।संघ की शाखा से निकले स्वयंसेवको द्वारा समाज उत्थान क़े लिए अनेको सेवा कार्य चल रहे है,व्यक्ति निर्माण क़े इस महान कार्य को गति देने के लिए डॉ. हेडगेवार जी ने 1925 को विजयादशमी क़े दिन नागपुर से ‘शाखा’ पद्धति की शुरुआत की। केवल 15 वर्षों (1925–1940) के अपने जीवनकाल में डॉ हेडगेवार ने हिंदू समाज को यह विश्वास दिला दिया कि हिंदू समाज भी संगठित हो सकता है और संघ के कार्य को देशव्यापी स्वरूप दिया।आज संघ शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर चुका है।यह 100 वर्षों की यात्रा साधना, संगठन, और सेवा की यात्रा है।इस शताब्दी वर्ष में संघ पंच परिवर्तन क़े पांच आयामों क़ो समाज में, जन जन पहुचायेगा।

महानगर में हुए विभिन्न कार्यक्रमों में क्षेत्र प्रचारक महेंद्र, क्षेत्र के माननीय सह संघचालक चालक नरेंद्र तनेजा, क्षेत्र बौद्धिक प्रमुख रूप नारायण, सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख तपन कुमार, प्रांत के प्रचार प्रमुख सुरेंद्र कुमार, प्रांत सेवा प्रमुख अशोक कुमार आदि का बौद्धिक रहा।

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