मेरठ 07 नवंबर (प्र)। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने सत्र 2025-26 के लिए 20 विधि कालेजों को पीजी डिप्लोमा इन साइबर क्राइम एंड ला पाठ्यक्रम की मान्यता दे दी है। गुरुवार को हुई कार्य परिषद बैठक में यह निर्णय लिया गया। इन कालेजों में उक्त पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए जल्द ही पंजीकरण खुलेंगे।
पिछले सत्र में इन कालेजों को इस पाठ्यक्रम के संचालन के लिए एक वर्ष के लिए संबद्धता दी गई थी। उसकी मान्यता इस वर्ष जून में समाप्त होने के बाद सेल्फ फाइनेंस डिग्री कालेजेज वेलफेयर एसोसिएशन की और से विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर मान्यता बढ़ाने की मांग की गई थी। साथ ही कालेजों ने बिना निरीक्षण संबद्धता विस्तारण की मांग रखी थी, जिसे विश्वविद्यालय ने स्वीकार कर लिया है। यह संबद्धता सशर्त दी गई है। संबद्धता प्रदान करने के साथ ही विश्वविद्यालय ने कालेजों में व्याप्त कमियों को भी पूरा करने को कहा गया है। विश्वविद्यालय ने पीजी डिप्लोमा इन साइबर क्राइम एंड ला की मान्यता मेरठ कालेज सहित विभिन्न जिलों के विधि कालेजों को दी है। विश्वविद्यालय की ओर से मेरठ कालेज में बताई गई कमियों में साइबर ला के विषय की विशिष्टता प्राप्त एलएलएम शिक्षक अनुमोदन, पिछले तीन वर्षों का परीक्षाफल और प्रबंध समिति का अनुमोदन पत्र मांगा गया है। शिक्षकों का अनुमोदन विश्वविद्यालय की प्रक्रिया में शामिल हो चुका है, इसके अलावा अन्य प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इसी तरह विश्वविद्यालय ने अन्य कालेजों से मांगी गई और उसके सापेक्ष कालेजों की ओर से उपलब्ध जानकारियों का विवरण भी दिया है।
अब तीन वर्ष के लिए होगी कान्ट्रैक्ट पर नियुक्ति
कार्य परिषद बैठक में विश्वविद्यालय की ओर से कान्ट्रैक्ट पर नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों के सेवा विस्तार पर भी निर्णय लिया गया। इसमें अब तक वर्ष 2018 के शासनादेश के आधा पर हो रही नियुक्तियों में समय-सीमा अधिक थी, लेकिन 2025 के शासनादेश में स्पष्ट कर दिया गया है कि सभी स्तर पर कान्ट्रैक्ट पर होने वाली नियुक्तियां केवल तीन वर्ष के लिए ही होंगी। इस व्यवस्था को विश्वविद्यालय लागू करेगा, जिसमें अब नियुक्ति में हर तीन वर्ष के बाद सेवा विस्तार किया जाएगा। कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसके अलावा कर्मचारियों व शिक्षकों की पदोन्नति सहित अन्य निर्णय भी लिए गए। 12 शोधार्थियों को पीएचडी उपाधि प्रदान करने का भी फैसला हुआ।
