मेरठ 03 अगस्त (प्र)। सेना के जवान से मारपीट के मामले के बाद अब नगर निगम के अधिकारियों को जन्म-मृत्यु पंजीयन अनुभाग में गड़बड़झाले का पता लग गया है। अधिकारियों ने अब नगर निगम के मुख्य कार्यालय के अलावा शास्त्रीनगर और कंकरखेड़ा स्थित कार्यालय में भी जन्म-मृत्यु संबंधित समस्त कार्य कराने का निर्णय लिया है। इस अनुभाग में लंबे समय से सीटों पर डटे कर्मचारियों को शीघ्र हटाया जाएगा। दलालों पर अंकुश लगाने के लिए अनुभाग में जिस का कार्य उसे ही एंट्री मिलेगी।
गत दिनों नगर निगम के जन्म-मृत्यु पंजीयन अनुभाग में अपने पुत्र के जन्म प्रमाण मां के नाम में संशोधन कराने के लिए चक्कर काट रहे सेना के जवान के साथ कर्मचारियों ने मारपीट की थी। हालांकि अभी तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस मामले की जांच अपर नगरायुक्त पंकज कुमार को दी गई। पंकज कुमार से कल कई पार्षदों ने शिकायत की थी कि उक्त अनुभाग में दलालों का बोल बाला है, नगर निगम परिसर में बैठे टाइपिस्ट, फोटोस्टेट और स्टांप बेचने वाले जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने या उनमें संशोधन के नाम पर मोटी रकम वसूलते हैं और कर्मचारियों से सेटिंग करके कार्य जल्दी कराते हैं।
इसी वजह से आम आदमी के कार्य लंबित पड़े रहते हैं, लोग चक्कर काटते रहते हैं। इसके बाद अपर नगर आयुक्त ने परिसर में दो दुकानों के बाहर बैठे टाइपिस्ट पर छापा मारा। एक के पास से करीब 50 फार्म भरे हुए मिले। दूसरे के पास खाली फार्म मिले। जबकि उक्त फार्म नगर निगम में फ्री देने का प्रावधान है, पर पूरे दफ्तर में कहीं फार्म नहीं मिलते। अपर नगर आयुक्त पंकज कुमार ने बताया कि जन्म मृत्यु अनुभाग में गड़बड़ी सामने आई है। इसे दूर करने के लिए अब नगर निगम के मेन कार्यालय के साथ-साथ शास्त्रीनगर और कंकरखेड़ा के जोनल कार्यालय में भी जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने और उनमें संशोधन का कार्य किया जाएगा।
मेन दफ्तर में डा. गजेन्द्र सिंह प्रभारी रहेंगे, कंकरखेड़ा दफ्तर में नर सिंह राणा प्रभारी रहेंगे और शास्त्रीनगर दफ्तर में एके गौतम प्रभारी रहेंगे। उक्त अनुभाग में लंबे समय से जमे बाबूओं को हटाया जाएगा। बिचौलियों और दलालों की एंट्री बंद की जाएगी। अनुभाग में केवल उसे एंट्री मिलेगी, जिस व्यक्ति का कार्य होगा। कार्य में तेजी लाने के लिए नए कंप्यूटर लगाए जाएंगे। बीच-बीच में कर्मचारियों के कार्य की समीक्षा की जाएगी।
नगर निगम में परिसर में दलाल के पास जन्म-मृत्यु पंजीयन के भरे हुए करीब 50 फार्म मिले। इसके बावजूद नगर निगम के अधिकारियों ने उसके खिलाफ न तो पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और न ही उसे नगर निगम परिसर से हटवाया। उसे मात्र चेतावनी देकर छोड़ दिया।