मेरठ 12 अगस्त (प्र)। खड़ौली गांव में रविवार को विश्व हिंदू परिषद और भाजपा कार्यकर्ताओं ने एक मकान में धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगा हंगामा कर दिया। आरोप था कि पैसों का प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है। सूचना पर पहुंची पुलिस ने पांच आरोपियों को मौके से गिरफ्तार कर लिया, जबकि पादरी बताया जा रहा आरोपी मौके से फरार हो गया। कुल सात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है।
खड़ौली गांव में काफी समय से ईसाई धर्म का प्रचार किया जा रहा था। यहां लोगों को बहला-फुसलाकर बुलाया जाता था और लालच देकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जाता था। पुलिस का कहना है कि फरार हुए रवि पास्टर की गिरफ्तार अहम है, उसके पकड़ में आने के बाद कई राज खुलेंगे।
पुलिस ने जब आरोपियों को गिरफ्तार किया तो उनके पास से ईसाई धर्म के प्रचार वाली सामग्री बरामद हुई। जांच में पता चला कि यहां 30-40 लोगों को प्रार्थना सभा के लिए बुलाया गया था। ये नेटवर्क कई जिलों में फैला हो सकता है, क्योंकि फरार हुआ रवि पास्टर सहारनपुर जिले का है। वह यहां आकर धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास कर रहा था। उससे पूछताछ की जाएगी कि वह और कितने जिलों में धर्मांतरण कराने जा चुका है, कितने लोगों का धर्म परिवर्तन करा चुका है। यह भी पता किया जाएगा कि वह लोगों को धर्म बदलने के एवज में कितना धन देने का लालच देता था या कोई अन्य प्रलोभन भी दिया जाता था। पुलिस का कहना है कि यह भी पता लगाया जाएगा कि धर्म परिवर्तन का नेटवर्क चलाने वालों को कहां से फंडिंग होती है।
हंगामा कर रहे भाजपा नेता मनोज सैनी, पुनीत कुमार, सुभाष चंद्र, वीरेंद्र कुमार, विजेंद्र, विजय भरत शर्मा और जितेंद्र ने बताया कि आरोपी निशा भारद्वाज ने ईसाई धर्म अपना रखा है। उसके बच्चों की शादी के कार्ड पर भी ईसाई रीति रिवाज का जिक्र है। अकसर यहां पर प्रार्थना सभा का आयोजन कर लोगों को बुलाकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है।
खड़ौली में आयोजित प्रार्थना सभा में करीब 20 लोग आ चुके थे। विहिप और भाजपा कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया तो सभी भाग गए। सीओ दौराला शुचिता सिंह ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। खड़ौली गांव के लोगों से भी बात की जा रही है।
डेढ़ वर्ष पहले शोभापुर चौकी के पास कॉलोनी में धर्म परिवर्तन का आरोप लगाते हुए हिंदू संगठन के पदाधिकारियों ने हंगामा किया था। सूचना पर पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे थे। तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
संशोधित बिल में उम्रकैद का प्रावधान: फरवरी 2021 में उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों से विधेयक पारित किया गया और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 को कानूनी रूप में मान्यता मिली। 29 जुलाई को उत्तर प्रदेश विधानसभा में जबरन धर्म परिवर्तन विरोधी विधेयक पेश किया गया। 30 जुलाई को यह विधेयक पारित होने के बाद इसे उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक नाम दिया गया। संशोधित विधेयक में जबरन धर्म परिवर्तन में सजा दस साल से बढ़ाकर उम्रकैद और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है।