Saturday, July 12

कैंट में भी बन सकेंगे तीन मंजिला भवन

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मेरठ 10 जुलाई (प्र)। अब छावनी परिषद क्षेत्र भी बदला-बदला दिखाई देगा। यहां भी तीन मंजिला भवन बन सकेंगे। चौड़े और ऊंचे कमरे बनेंगे। बाजार क्षेत्र में पार्किंग बनेगी तो वहीं हवादार व पर्यावरण के अनुकूल घरों का निर्माण होगा। इसके लिए परिषद नई भवन उपविधि तैयार कर रहा है। माना जा रहा है कि छावनी परिषद क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा नगर निगम में शामिल हो जाएगा, ऐसे में जो हिस्सा बचेगा उसमें नए नियम लागू होंगे। जो हिस्सा नगर निगम क्षेत्र में शामिल होगा, उसमें मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) की भवन उपविधि लागू होगी। छावनी क्षेत्र का हिस्सा नगर निगम में कब तक शामिल होगा यह अभी स्पष्ट नहीं है, इसलिए छावनी परिषद ने अपनी भवन निर्माण उपविधि 1988 को संशोधित कर नई उपविधि बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। जब तक कोई हिस्सा नगर निगम में नहीं जाएगा… तब तक नई भवन उपविधि के अनुसार निर्माण कार्य होंगे। उपविधि के ड्राफ्ट की बुधवार को प्रस्तुति की गई। राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकान्त बाजपेयी व विधायक अमित अग्रवाल ने प्रस्तुति देखने के साथ ही सलाह भी दी। छावनी परिषद के मुख्य अधिकारी जाकिर हुसैन ने जनप्रतिनिधियों को भवन उपविधि की जानकारी दी। नामित सदस्य डा. सतीश शर्मा भी मौजूद थे।

छावनी परिषद की भवन उपविधि में मेडा क्षेत्र की तरह नियम लागू करने की योजना बनाई जा रही है। हाल ही में प्रदेश सरकार ने उप्र भवन निर्माण एवं विकास उपविधि 2025 लागू की है। छावनी परिषद इसी के आधार पर अपनी उपविधि तैयार करेगा। बोर्ड में स्वीकृति देने के बाद इसे मध्य कमान के मुख्यालय लखनऊ भेजा जाएगा। वहां से रक्षा मंत्रालय भेजा जाएगा। प्रस्तुतीकरण में सामने आया कि सेना क्षेत्र को छोड़कर बाकी हिस्से को दो जोन में बांटा गया है। पुराने क्षेत्र यानी सिविल क्षेत्र को जोन-ए और बंगला एरिया को जोन – बी नाम दिया गया है। सिविल एरिया में तीन मंजिल भवन बनाने की अनुमति देने का प्रविधान रखा गया है। इसे स्टिल्ट पार्किंग के साथ बना सकेंगे। वहीं ग्राउंड फ्लोर बनाते हैं तो साथ ही दो मंजिल ऊपर भी बना सकेंगे। लालकुर्ती, सदर, रजबन, तोपखाना आदि में पार्किंग का प्रविधान किया गया है।

बंगला एरिया के लिए छावनी विधायक अमित अग्रवाल ने सलाह दी है कि यहां पर उपविभाजन यानी सब डिवीजन करके आवासीय कालोनियां विकसित करने का नियम रखा जाए। यहां 20 हजार वर्ग मीटर से भी अधिक क्षेत्रफल में बंगले हैं…. यदि उनका आधा हिस्सा अलग करके प्लाटिंग की जाए तो यहां पर आवास की आवश्यकता पूरी हो सकती है। उन्होंने पुराने भवनों को तोड़कर नए सिरे से भवन बनाने की छूट देने व लीज वाले भवनों को भी बहुमंजिला बनाने की छूट शामिल करने का भी नियम बनाने का सुझाव दिया है।

पुराने भवनों को नहीं मिलेगा लाभ
तीन मंजिल भवन बनाने की छूट का लाभ पुराने भवनों को नहीं मिलेगा….. क्योंकि 2019 में आए एक आदेश के अनुसार, जो भवन पहले बन चुके हैं, उनकी ऊंचाई नहीं बढ़ाई जा सकती। उनका विस्तार या उपविभाजन भी नहीं हो सकेगा। पुराने भवन का नियम 1995 में आया था। यदि नई उपविधि बन भी जाती है तो भी 2019 का ही आदेश प्रभावी रहेगा। ऐसे में जब तक सरकार की ओर से 2019 का आदेश नहीं खत्म किया जाता, तब तक नई उपविधि का विशेष लाभ सिर्फ नए भवन निर्माण पर ही मिल सकेगा।

मानचित्र में ये भी होगा शामिल

  • रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का प्रविधान रहेगा।
  • सोलर पैनल का प्रविधान रहेगा।
  • भवनों की श्रेणी बनेगी… जैसे आवासीय, व्यावसायिक, शैक्षणिक और धार्मिक ।
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