कभी व्यवसाय बढ़ाने तो कभी व्यक्तिगत कारणों से अथवा कुछ लोगों को उपकृत करने या दबाव में जो भी हो बैंक शहरों के सुनियोजित विकास में बाधा अवैध निर्माण और कच्ची कॉलोनियों को बढ़ावा देेने का काम जहां तक नजर आता है खुलकर कर रहे हैं। बताते चलें कि सरकार और अदालत के मामलों के जानकारों के अनुसार स्पष्ट आदेश हैं कि जब तक बिल्डर द्वारा बनाई गई कॉलोनी या किए गए निर्माण को संबंधित प्राधिकरण से पूर्णतया प्रमाण पत्र नहीं मिल जाता तब तक कोई भी बैंक उसकी दुकान मकान या प्लॉट खरीदने के लिए नियमानुसार लोन नहीं दे सकते। आधिकारिक आंकड़ें तो अभी नहीं है लेकिन इस क्षेत्र में सक्रिय कुछ लोगों का कहना है कि बैंक कर्मी अपने लाभ के लिए नियम और आदेशों को एक तरफ रख कच्ची कॉलोनियों में बने अवैध निर्माणों में भी लोन दे रहे हैं और उनके संपत्ति की समीक्षा कर उसकी कीमत आंकने के कार्य में लगे अधिकारी कमजोर और नियम विरूद्ध हुए निर्माणों पर भी 80 प्रतिशत तक लोन दे रहे बताए जाते हैं जबकि सही मायनों में नियमानुसार निर्माणों में इनके द्वारा लोन देने में भरपूर परेशान किया जाता है और जब तक सुविधा शुल्क नहीं मिलता तब तक कोई काम नहीं हो पाता है।
इस बारे में देश की शीर्ष 50 सूचीबद्ध रियल एस्टेट कंपनियों के वित्तीय विवरण विश्लेषण से स्पष्ट हो रहा है कि रियल एस्टेट को दिया जाने वाला लोन चार साल में दोगुना हो गया। वर्ष 2024-25 में 35 लाख करोड़ रूपये तक सीमा पहुंच रही है। एक खबर के अनुसार देश के रियल एस्टेट क्षेत्र को बैंकों की तरफ से दिया गया कुल कर्ज वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक बढ़कर 35.4 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह पिछले 4 साल में लगभग दोगुना हो गया है। रियल एस्टेट सलाहकार कंपनी कोलियर्स इंडिया ने इस रिपोर्ट में कहा कि यह आंकड़ा देश की शीर्ष 50 सूचीबद्ध रियल एस्टेट कंपनियों के वित्तीय विवरणों के विश्लेषण पर आधारित है। कोलियर्स इंडिया ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में कुल बैंक कर्ज 109.5 लाख करोड़ रुपये था, वह 2024-25 में बढ़कर 182.4 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसी अवधि में रियल एस्टेट क्षेत्र को बैंक कर्ज 17.8 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 35.4 लाख करोड़ रुपये हो गया। रिपोर्ट के अनुसार, भारत का रियल एस्टेट क्षेत्र महामारी के बाद के दौर में वित्तीय दृष्टि से लगातार मजबूत हो रहा है और अन्य प्रमुख उद्योगों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
बैंक के बढ़ते भरोसे को दर्शाता
सलाहकार फर्म के मुताबिक, बैंकिंग प्रणाली में रियल एस्टेट क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़कर अब लगभग पांचवां हिस्सा हो गई है, जो इस क्षेत्र में बैंकों के बढ़ते भरोसे को दर्शाता है। कोलियर्स इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बादल याग्निक ने कहा कि भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र बाहरी अस्थिरताओं के बावजूद जुझारूपन और वित्तीय समझदारी का प्रदर्शन कर रहा है। याग्निक ने कहा कि आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक, गोदाम, खुदरा और आतिथ्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों में मांग और आपूर्ति की स्थिरता ने इस क्षेत्र की ऋण गुणवत्ता को मजबूती प्रदान की है।
देश के आठ प्रमुख शहरों में ई-कॉमर्स कंपनियों की बेहतर मांग से औद्योगिक स्थानों और गोदामों को पट्टे पर लेने की मांग 2025 की पहली छमाही में सालाना आधार पर 63 प्रतिशत बढ़कर 27.1 मिलियन वर्ग फुट हो गई। रियल एस्टेट से जुड़ी सेवाएं देने वाली सीबीआरई ने मंगलवार को बताया कि इस वर्ष जनवरी-जून के दौरान पट्टे पर दिए गए कुल स्थानों में से 32 प्रतिशत स्थान ‘थर्ड पार्टी लॉजिस्टिक्स’ (3पीएल) कंपनियों को दिए गए जबकि ई-कॉमर्स कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़कर 25 प्रतिशत हो गई। जनवरी-जून 2025 के दौरान औद्योगिक स्थानों और गोदामों की आपूर्ति 1.67 करोड़ वर्ग फुट रही। इस अवधि में कुल आपूर्ति में बेंगलुरु, चेन्नई और मुंबई का योगदान 57 प्रतिशत रहा।
मेरा मानना है कि अगर सरकार और अदालत देश का विकास कराना और कच्ची कॉलोनियों का विस्तार और अवैध निर्माण रोकना चाहता है तो यह जो चार साल में उधार देने की रकम दोगुनी हो गई है इसमें तो किसी को ऐतराज नहीं है लेकिन अगर गलत तरीके से यह लोन दिए गए हैं तो बिल्डर बैंक कर्मी और संबंधित सरकारी विभागों के अधिकारियों की कार्यप्रणाली की गहन जांच कराई जाए। क्योंकि इन लोगों के कारण कम या ज्यादा बहुत स्थानों पर नियम विरूद्ध निर्माण होने व कच्ची कॉलोनियों के कटने के कार्य होने से लगने वाले जाम के चलते जहां पेट्रोल डीजल और समय की बर्बादी हो रही है वहीं उनसे निकलने वाला जहरीला धुंआ नागरिकों को बीमारियां देेने का स्त्र्रोत बनता जा रहा है। बिल्डर बैंक कर्मियों और संबंधित सरकारी विभागों के अफसरों के गठजोड़ को तोड़ना होगा। आम आदमी के हित में।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सुनियोजित विकास हेतु बिल्डर बैंक कर्मियों और संबंधित सरकारी विभागों के अफसरों के गठजोड़ को तोड़ना होगा
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