दुनिया की आधी आबादी मातृशक्ति माता बहनें हर क्षेत्र में सफलता का परचम फहराते हुए देश और मां बाप का नाम रोशन कर रही हैं। सरकार भी देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ आदि के प्रयासों से मातृशक्ति को सम्मान सुरक्षा और सुविधा तथा आगे बढ़ने के लिए तरक्की के मार्ग उपलब्ध कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। इसके लिए हर वो प्रयास और साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं जिससे आधी आबादी को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। उसके बावजूद आसमान छू रही बेटियों को कितने कष्ट उठाने पड़ रहे हैं और किस माहौल में वो जीवन यापन कर रही हैं उसका खुलासा आज जहां हम अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मना रहे हैं वहीं जो खबरें पढ़ने सुनने को मिल रही है उनसे शर्म से सिर झुक रहा है तो यह सोचने के लिए भी मजबूर होना पड़ रहा है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। कमी कहां पर है। इस बारे में जनप्रतिनिधि को सोचना होगा। यह कितने आश्चर्य की बात है कि वाराणसी में पुत्र की चाहत में भ्रूण हत्या से हमारे बीच से गई अजन्मी बेटियों को गंगा के तट पर पिछले दस वर्षों से किए जा रहे पिंडदान और तर्पण की कड़ी में 1989 में कन्या भू्रण हत्या रोकने के लिए डॉक्टर संतोष द्वारा चलाए गए अभियान के क्रम में एक समाचार के अनुसार 82 हजार अजन्मी बच्चियों का श्राद्ध किया गया। दूसरी तरफ मेरठ के फिटकरी गांव की छवि गुर्जर को अगस्त में तीन करोड़ की छात्रवृति मिली। बेटियां छू रही आसमान फिर भी उनके साथ दुष्कर्म किए जाने वीडियो बनाकर वायरल करने की घटनाएं तो हो ही रही है। असामाजिक तत्वों व शोहदों के डर से कितनी बच्चियां स्कूल जाना छोड़ रही है। कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि जब बहन बेटियों की सुरक्षा और तरक्की के लिए सरकार प्रयास कर रही है। और नारी शक्ति भी निराश नहीं कर रही है। उसके बावजूद ऐसा क्यों हो रहा है। इसका मनन और विचार अब करने का समय मुझे लगता है आ गया है। क्योंकि बेटा बेटी एक समान कन्याधन जैसे नारे देने के साथ ही अब हमें यह भी देखना होगा कि जिन हुक्मरानों के जिम्मे बेटियों की स्वतंत्रता बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई है वो उस पर खरे भी उतर रहे हैं या नहीं। अब समय आ गया है जिसमें महिला और पुरूष की संख्या में जो अंतर से सामाजिक कुरीतियां पैदा हो रही है उन्हें दूर करने के लिए भ्रूण हत्या रोकने के साथ ही उन्हें जिंदा और सुरक्षित रखो के नारे पर भी ध्यान देना होगा। मैं सरकार या किसी हुक्मरान का आलोचक तो नहीं हूं लेकिन हर व्यक्ति को साक्षर बनाने के लिए साक्षरता अभियान पर हमारे टैक्सों से प्राप्त धन से बड़़ा बजट खर्च किए जाने के बाद भी अकेले यूपी के मेरठ में एक समाचार के अनुसार 40 प्रतिशत बालिकाएं शिक्षा से वंचित हैं और कुछ ने शोहदों के डर से स्कूल जाना छोड़ दिया है। आदरणीय मोदी जी योगी जी इस बारे में वृहद स्तर पर मनन कर उन सभी बाधाओं को दूर करने का संकल्प सरकार और समाज के हर व्यक्ति को लेना होगा जो बच्चियों के उत्थान और उनके आगे बढ़ने में बाधा पहुंचा रहा है। पूर्व में अदालत ने निर्देश दिए थे कि अगर किसी बच्ची के साथ दुष्कर्म होता है और उससे संबंध लोग आरोपी से समझौता करते हैं तो वो मान्य नहीं होगा उसके बावजूद कई ऐसी घटनाएं सामने आ रही है जिनमें पंचायत या असरदार लोगों व अन्य कारणों से दुष्कर्म पीड़िता अपनी बात से मुकर रही है या परिवार दोषियों को सजा दिलाने में दिलचस्पी नहीं रखता। मेरा मानना है ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच कराकर अगर दबाव चल रहा है तो दोषियों को सजा दी जाए और आरोप झूठे हैं तो मामला दर्ज कराने में सहयोगी परिजनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए क्योंकि इससे बेटियों की छवि तो प्रदूषित होती है जिसके लिए दोषियों को बक्शा नहीं जाना चािहए। आओ सब मिलकर अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर बेटियों के सम्मान और उनकी उड़ान को हवा देने के लिए एकजुट होकर कार्य करने का संकल्प लें।
आखिर कब होगी आधी आबादी मानसिक रूप से स्वतंत्र और सुरक्षित
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