केंद्र और प्रदेश की सरकारें स्वच्छता पर विशेष तौर पर ध्यान दे रही हैं और जहां तक खबरें पढ़ने को मिलती हैं महिलाओं की परेशानियों को दूर करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है लेकिन यह ताज्जूब की बात है कि देशभर में कई बार महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट बनाने की खबरें पढ़ने सुनने को मिली और कोई भी खुले में शौच ना करे इसके लिए स्वच्छ शौचालय बनाने की बात भी सुनने पढ़ने को मिली। आश्चर्य की बात है कि केंद्र में सत्ता संभाल रही पार्टी की जिन प्रदेशों में सरकार हैं वहां भी पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान को लागू करने की बात तो खूब हो रही है और कई बार खबरें भी देखने को मिल जाती है लेकिन कुछ दिनों बाद या तो यह शौचलय बंद रहते हैं या कर्मचारी किसी को वहां जाने नहीं देते या शुल्क की मांग की जाती है। इतने पर भी जरुरत के अनुसार शहर देहातों के बाजारों में शौच से निपटने के लिए उतने शौचालय नहीं होते जितने होने चाहिए । ऊपर से मजाक यह है कि जो बाथरूम बने हुए हैं सफाई न होने के चलते उनके पास से निकलना भी मुश्किल होता है। इसके उदाहरण के लिए मेरठ के सदर क्षेत्र के तिलक पार्क स्थित शौचालय को देखा जा सकता है। इससे लगता हुआ साई बाबा और खाटू श्याम का मंदिर है और आसपास घनी आबादी है। कचहरी में बचत भवन की ओर जो बाथरूम बने हुए हैं उनकी एवं ट्रेजरी कार्यालय जहां लोग अपने कार्य के संबंध में आते हैं उनमें इतनी बदबू आती है कि कोई अंदर नहीं जा पाता। मुंह पर रूमाल बांधकर उसका इस्तेमाल लोग करते हैं। ऐसा ही कुछ हाल अन्य सार्वजनिक स्थानों के शौचालयों का बताया जा रहा है। इस परेशानी की ओर शायद देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का ध्यान भी गया है क्योंकि सरकार ने पिछले दिनों सभी होटलों व्यापारिक प्रतिष्ठानों के शौचालयों का उपयोग आम आदमी के लिए खुलवा दिया था। और पेट्रोल पंपों पर शौचालय और पानी की व्यवस्था के निर्देश दिए गए थे। पेट्रोल पंपों पर तो ज्यादातर अब भी शौचालय नजर नहीं आते। जहां पर हैं वहा पहुंचना मुश्किल है। होटल व रेस्टोरेंट में गरीब आदमी तो वहां जाने की हिम्मत नहीं करता। अगर जाना पड़े तो सुरक्षाकर्मी अंदर नहीं घुसने देता। अगर सड़क किनारे शौच से निवृत होने की कोशिश करें तो पुलिसकर्मी चालान करते हैं। महिलाओं के सामने ऐसी परेशानी ज्यादा सामने आती है।
मेरा मानना है कि हमारे जनप्रतिनिधि भी इससे अनभिज्ञ नहीं होंगे लेकिन पता नहीं क्यों उनके द्वारा इस बारे में आवाज नहीं उठाई जा रही। मुझे लगता है कि ग्राम प्रधानों, पार्षदों को मुख्य स्थानों पर शौचालय बनवाने और उनकी सफाई पर ध्यान देना चाहिए। और सरकार ऐसे आदेश करें कि सरकारी कार्यालयों में शौचालय साफ रहें। इसके लिए प्रदेश सरकारों को भी ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में कोताही ना करे। ग्रामीण कहावत भयबिन प्रीत ना होय गोपाला के अनुसार शोचालय गंदा पाए जाने पर अफसर व कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए। लेकिन महिलाओं को सफर या बाजार में खरीदारी के दौरान परेशानी ना हो इसके लिए 100 से ज्यादा दुकाने वाले बाजार में शौचालयों की उपलब्धता अनिवार्य की जानी चाहिए।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सरकार दे ध्यान! महिलाओं के लिए पिंक और पुरुषों के लिए हो शौचालय, साफ सफाई का रखा जाए ध्यान, सरकारी कार्यालयों में जिम्मेदारी की जाए तय
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