ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के ऑल सोल्स कॉलेज से मानद फैलो तथा नौ डिग्रियां हासिल कर अपने समय में ही शिक्षा के क्षेत्र में इतिहास रचने वाले भारत रत्न और देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर १८८८ को ब्रिटिश भारत के मद्रास के प्रेसीडेंसी में हुआ। आगे चलकर उन्होंने पूरी दुनिया में भारत की एक अलग पहचान शिक्षा के क्षेत्र में कायम की। वो हमेशा मानते थे कि मां के बाद शिक्षक सबसे ऊंचा दर्जा रखते हैं। हमेशा राधाकृष्णन जी अंतरराष्ट्रीय मामलों पर शिक्षकों के दृष्टिकोण से विचार करते थे। कोलंबिया विवि में संबोधन के दौरान रंगभेद को देश के विकास में बाधा बताते हुए परमाणु हथियारों से भी असहमति जताते रहे। ऐसे महान व्यक्तित्व के स्वामी का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में देशभर में सभी मनाते हैं और यह प्रयास होता है कि गुरु शिष्य का रिश्ता दर्शनाशास्त्र और भावनाओं से जुड़ा है इसलिए शिक्षक का सम्मान हम सबको हमेशा ही करना चाहिए। क्योंकि विकसित भारत का सपना भी शिक्षकों के सम्मान से जुड़ा है। सभी जानते हैं कि बच्चे के जन्म के बाद पहली शिक्षक मां और दूसरा पिता होता है। फिर नंबर आता है शिक्षक का जो बच्चों को हर प्रकार का ज्ञान कराकर समाज में श्रेष्ठ स्थान पर उसको स्थापित करने और देश के विकास में उसके योगदान की पटकथा तय करता है। वर्तमान में जिस प्रकार सबकी सोच समान नहंीं कही जा सकती ऐसे में जब से शिक्षा के क्षेत्र में अन्य क्षेत्रों की भांति माफियाओं का प्रवेश शुरू हुआ है तब से कुछ शिक्षक पैसा कमाकर साधन जुटाने की अंधी दौड़ में शिक्षा की गुणवत्ता और समाज में उसके योगदान को भूल गए हैं। ऐसे मेें आवश्यकता इस बात की है कि शिक्षकों की साख समाज में संभालने का समय आ गया है और आवश्यकता महसूस की जा रही है।
शिक्षा की नहीं इस क्षेत्र में अपना योगदान देने में कुछ विशेष लोग भी पीछे नहीं है क्योंकि रांची के एक आईपीएस अफसर अपने काम से समय निकालकर हर रविवार को बच्चों को गणित पढ़ाते हैं। डीआईजी सीआईडी चंदन झा गरीब और बेसहारा बच्चों को मेधावी बनाने का काम बखूबी कर रहे हैं। उत्तराखंड के सितारगंज निवासी कपड़ा कारोबारी सोप्रीत सिंह अपनी दुकान में पिछले दस साल से बच्चों को वनस्पति विज्ञान और अन्य विषयों की शिक्षाएं दे रहे हैं। वो 30 से 40 बच्चों के बैठने की व्यवस्था कर पढ़ाते हैं और उनकी पत्नी उस दौरान कारोबार संभालती हैं। लखनऊ में हर्षित इवेंट मैनेजर और विशाल फोटोग्राफ है। वो बच्चों को आगे बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं। दिल्ली के राजेश कुमार शर्मा खुद तो आर्थिक तंगी के चलते अच्छी शिक्षा हासिल नहीं कर सके लेकिन यमुना बैंक और अक्षरधाम फ्लाईओवर के नीचे रोजाना 200 बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। कहने का आश्य है कि शिक्षा में योगदान मोटा वेतन लेने वाले ही नहीं समाज के उत्साही अपनी जिम्मेदारी समझकर कर रहे हैं। कहना ही होगा कि जो युवा नामचीन कॉलेजों में पढ़ाई कर आज लाखों करोड़ों रूपये कमा रहे हैं उनको यहां तक पहुंचाने में शिक्षकों का योगदान व मार्गदर्शन जरुर प्राप्त है। शायद इसीलिए जब आए दिन खबरों में कुछ शिक्षकों के बारे में अजीब प्रकार की खबरें मिलती हैं तब भी अभिभावकों का विश्वास शिक्षकों पर मजबूत बनी हैं और यही शायद समाज को आगे बढ़ाने की धुरी का काम कर रही है। हर साल केंद्र व प्रदेश सरकारों के साथ समाजसेवी संगठन शिक्षकों का सम्मान कर रहे हैं और आज पांच सितंबर को चारो तरफ शिक्षक दिवस की धूम रही।
प्रिय पाठको बिना गुरु ज्ञान नहीं यह सच होने के बाद भी अंधविश्वास नहीं होना चाहिए। योग्य शिक्षकों का सम्मान और संदिग्ध भूमिका वालों पर निगाह बच्चों के भविष्य को ध्यान रखते हुए रखना जरुरी है। आज एक खबर पढ़ी कि मद्रास विवि टॉप रहा। यह अच्छी बात है कि हमारे शिक्षा संस्थान उच्चस्तरीय परंपरा कायम करे लेकिन पिछले साल जो कॉलेजों को ग्रेड देने वाले संस्थान के अध्यक्ष रिश्वत लेते पकड़े गए और फिर नए चिटठे खोले ऐसी मान्यता और टॉप रहने को लात मारनी चाहिए। बच्चों को ऐसी शिक्षा मिले कि अभिभावक स्कूल कॉलेजों और विवि की प्रशंसा करें ना कि उन्हें ग्रेड के संस्थानों के रहमोकरम पर रहना पड़े। सरकार नई शिक्षा नीति लागू कर रही है। लेकिन जितना सुधार होना चाहिए वो नहीं हो पा रहा। फिर भी मैं सभी शिक्षकों, स्कूल कॉलेजों के प्रबंधकों को बधाई देते हुए आग्रह करना चाहता हूं कि पढ़ाई के नाम पर अभिभावकों का आर्थिक उत्पीड़न और बस्ते के भारी बोझ से बच्चों का उत्पीड़न बंद किया जाए और टयूशन पढ़ाने वाले शिक्षकों पर रोक लगे क्योंकि इससे परीक्षा और पढ़ाई में पक्षपात की संभावना बनी रहती है। भारत रत्न पूर्व उपराष्ट्रपति दार्शनिक सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णन जी को उनकी जयंती पर नमन करते हुए भगवान शिक्षकों को सदबुद्धि दे इस मौके पर तो यही प्रार्थना की जा सकती है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
शिक्षक दिवस पर सभी को बधाई! सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की भावना का आदर करते हुए शिक्षकों को संभालनी होगी अपनी साख, पैसे के पीछे ना भागकर शिल्पकार की भूमिका होगी अपनानी
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