केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बीते शनिवार को ई फाइलिंग और डिजिटल सुनवाई जैसी नवीनतम तकनीकी का उपयोग करने की बात कहते हुए कहा कि सरकारी विभागों में अदालती आदेशों को चुनौती देने की प्रवृति पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कई बार अदालतों द्वारा ठोस फैसले दिए जाते हैं। उसके बावजूद सरकारी विभाग अपील दायर कर देते हैं। यह सब अधिकारी अपनी जान बचाने के लिए करते हैं। उन्होंने कहा कि अदालत या कैट के आदेशों को चुनौती देने के लिए अपील की जाती है क्योंकि फैसलों में उनके निर्णयों पर सवाल उठाए गए होते हैं। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि उन्हें नियमित रूप से ऐसी कई फाइलें मिलती हैं जिनमें केंद्रीय विभाग ठोस फैसलों के बावजूद अपील दायर करने की योजना बना रहे होते हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि तकनीकी का उपयोग करना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भूगोल न्याय प्रदान करने में बाधा ना बने। उन्होंने हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट का बोझ कम करने में न्यायाधिकरण की भूमिका की भी सराहना की।
अगर ध्यान से सोचे तो केंद्रीय मंत्री का यह सुझाव जनहित का है और इसे माना जाए तो अदालतों मेंचल रहे हजारों मुकदमे एक सप्ताह में ही समाप्त हो सकते हैँ। क्योंकि जितना देखने को मिलता है उससे यह कहा जा सकता है कि कई सरकारी अधिकारी अपनी गलतियों को छिपाने के लिए गलत जानकारी देते हैं और जब मुकदमा उनके खिलाफ हो जाता है तो उसकी अपील करने की योजना बनाते हैं जिस पर आम आदमी के टैक्स से प्राप्त अरबो रूपया फिजूल की पैरवी करने पर जो खर्च होता है और विभाग की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है उसमें सुधार होगा। मेरा मानना है कि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को क्योंकि यह बड़ा मामला है प्रधानमंत्री से मार्गदर्शन प्राप्त कर इस बारे में कानून बना देना चाहिए कि कोई भी मामला अपनी कमियां छिपाने के लिए अदालती फैसले के बाद गलत तरीके से पैरवी करने की कोई कोशिश करे तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो और आम आदमी को सताने और उसके समय की बर्बादी का दोषी मानते हुए विभाग के मुखिया और मुकदमे से संबंधित मुख्य अधिकारी से मुकदमे का सारा खर्च वसूला जाए और पीड़ित व्यक्ति को हर्जाना समय खराब करने और परेशान करने के लिए अधिकारियों की संपत्ति से दिलवाया जाए। मंत्री जी जिस दिन ऐसे नियम आपके द्वारा लागू किए जाएंगे उससे एक साल के अंदर सरकारी विभागों के द्वारा किए जाने वाले मुकदमों में ७५ प्रतिशत की कमी आ सकती है क्योंकि जितना देखने को मिलता है उसके अनुसार सरकारी हुक्मरान अपने अहम की संतुष्टि और सुविधा शुल्क ना मिलने पर ऐसी स्थिति पैदा करते हैं कि पीड़ित व्यक्ति को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ता है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
अदालती आदेश के खिलाफ सरकारी अधिकारियों द्वारा अपील की प्रवृति बन रही है अदालतों में मुकदमों की बढ़ती संख्या के लिए जिम्मेदार, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का निर्णय है सराहनीय
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