देश के प्रथम समाजवाद के अग्रदूत एक रुपया एक ईट का मूलमंत्र देकर नवसमाज का संदेश देेने वाले महाराजा अग्रसैन की ५१४८ जयंती के अवसर पर देशभर में कहीं रक्तदान शिविर लगाए गए तो कहीं दीपों से भव्य सजावट की गई। लोगों ने बड़े बड़े विज्ञापन छपवाकर उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संदेश दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनकी जयंती पर उन्हें नमन करते हुए देशवासियों को इस मौके पर शुभकामनाएं दी गई और कुछ ने महाराजा अग्रसैन के जीवन और आदर्शों से प्रेरित होकर आगे बढ़ने का आग्रह किया। वैश्य समाज ने जगह जगह महाराजा अग्रसैन की जयंती पर कई प्रकार के कार्यक्रम किए और समाज के मेधावियों का सम्मान कर औरों को भी महाराजा अग्रसैन के दिखाए मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित किया।
वर्तमान समय में जब हर कोई सुविधाएं साधन जुटाने और अपना दबदबा कायम करने में लगा है और कितने ही व्यक्ति जो कानून की निगाह में दोषी हो सकते हैं वो भी महाराजा अग्रसैन की जयंती पर बड़े विज्ञापन अखबारों में छपवाकर बधाई दे रहे हैं। मेरा मानना है कि समाज के प्रमुख लोगों को महाराजा अग्रसैन के सिद्धांतों को आत्मसात कर कमजोर वर्ग से संबंध लोगों को आगे बढ़ाने का काम सरकार की ओर उम्मीद भरी निगाह से ना देखकर खुद करने के लिए आगे आना चाहिए। क्योंकि सरकार के सामने भी कई चुनौतियां और समस्याएं होती हैं। जिनके चलते वो सबकी समस्याओं का समाधान आसानी से नहीं कर सकते। लेकिन अगर हम अपनी व्यवस्थाओं का लाभ उठाकर कुछ लोगों की मदद करने की बात सोचने लगे तो यह विश्वास से कहा जा सकता है कि समाजवाद का जो उददेश्य है वो आसानी से पूरा हो सकता है। महाराजा अग्रसैन ने जो सपना सबकी खुशहाली का देखा था उसे पूरा करने में देर नहीं लगेगी।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
समाजवाद के प्रेरणता महाराजा अग्रसैन के संदेश पर चलकर सबकी खुशहाली तय की जा सकती है
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