हापुड़ 08 नवंबर। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने पिलखुवा में स्थित मदर डेयरी प्लांट पर प्रदूषण नियंत्रण के मानकों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए प्लांट को बंद कराने के आदेश दिए हैं। मामले में आयोग के सचिव ज्ञानेंद्र यादव ने 28 अक्तूबर को आदेश जारी किए थे। इसके साथ ऊर्जा निगम के एमडी को प्लांट के बिजली कनेक्शन को काटने के लिए भी कह गया है। वहीं, प्लांट के मैनेजर का कहना है कि उन्हें अभी तक कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। इस प्लांट में प्रतिदिन करीब 10 लाख लीटर दूध आता है। इसकी आपूर्ति दिल्ली सहित आसपास के कई जिलों में होती है।
20 सितंबर 2025 को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के फ्लाइंग स्क्वायड ने प्लांट का निरीक्षण किया था। जांच के दौरान प्लांट में प्रदूषण रोकने के निर्धारित मानकों का पालन होता नहीं मिला, जबकि जनवरी और अन्य माह में किए गए निरीक्षण के दौरान भी नियमों का पालन करने के आदेश दिए गए थे। आदेशों का पालन नहीं करने और लगातार उल्लंघन मिलने पर अब प्लांट को बंद करने के आदेश दिए गए हैं। यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित कई विभागों के अधिकारियों की देखरेख में होगी।
जांच के दौरान वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के सदस्य-सचिव तरुण कुमार ने जांच में पाया कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए लगाए जाने वाले उपकरण सक्रिय नहीं थे। इससे वायु प्रदूषण नियंत्रण कानूनों, नियमों और विनियमों का पालन नहीं हो रहा था। मामले में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक अभियंता विपुल कुमार का कहना है कि केंद्रीय स्तर से कार्रवाई हुई है। हमें सिर्फ जानकारी मिली है। उच्च अधिकारियों के निर्देश पर आगे की कार्रवाई होगी।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, प्लांट द्वारा मानकों का उल्लंघन करने की शिकायत पूर्व में भी मिली थीं। इसके बाद निरीक्षण के आदेश दिए गए थे। बावजूद इसके समाधान न करने के आरोप हैं। साथ ही एनसीआर के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के कमिशन को फिर से प्रदूषण फैलाने की शिकायत मिल रही थीं। 20 सितंबर को किए गए निरीक्षण के समय प्लांट के चैंबर से प्रदूषण हो रहा था। यहां तक कि दो की जगह तीन बॉयलर चलते मिले।
एक हजार से अधिक कर्मचारी करते हैं काम
इस प्लांट में करीब एक हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। प्लांट से सैकड़ों किसान भी जुड़े हुए हैं। जो दूध की आपूर्ति करते हैं। ऐसे में यदि प्लांट बंद हुआ तो सभी के लिए नई मुसीबत होगी। इस प्लांट में दूध के अलावा दूध से बनने वाले अन्य उत्पाद भी बड़ी मात्रा में तैयार होते हैं। जिनकी आपूर्ति पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होती है। प्लांट बंद होने से इन क्षेत्रों में दूध की आपूर्ति भी प्रभावित होगी।
