Wednesday, November 12

हाथ से भोजन के लिए ममदानी को निशाना बनाने वाले कमेंटटर की निंदा की जानी चाहिए

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भारतीय मूल के न्यूयार्क के सबसे कम उम्र के १११वें मेयर चुने गए ममदानी क्योंकि अब दुनिया की सबसे ज्यादा आर्थिक रूप से समर्थ स्थान के मेयर बनने के बाद से वो निरंतर जैसा समाचारों से पढ़ने को मिलता है सादगी पसंद फिजूलखर्चो से दूरी बनाकर रखने वाले संस्कारवान व्यक्तिव के स्वामी हैं। अगर उनके कुछ अपने मेयर बनने को अच्छा संकेत बता रहे हैं तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड टं्रप सहित प्रमुख लोग उनकी आलोचना करने व कमियां ढूंढने में लगे हैं। एक खबर के अनुसार वियतनामी मूल के रूढ़िवादी अमेरिकी कमेंटेटर विंसदाओ ने सोशल मीडिया पर ममदानी के हाथ से चावल खाने पर उनका मजाक उड़ाया। इस रूढ़िवादी कमेंटेटर की क्या सोच है और वो किस दृष्टि से सोच रहा है यह तो वो ही समझ सकते हैं लेकिन कौव्वों के कोसने से ढोर नहीं मरते और किसी के कहने से कोई बदनाम नहीं होता मुझे लगता है कि यह ममदानी पर सही उतरती है क्योंकि अमेरिका जैसे देश का राष्ट्रपति उनकी आलोचना कर रहा है तो कमेंटेटर विंसदाओ द्वारा की गई टिप्पणी का कोई असर कहीं नहीं होगा क्योंकि ममदानी के मां बाप भारतीय मूल के नागरिक हैं और अपने यहां आज भी कुछ क्षेत्रों में हाथ से ही चावल खाए जाते हैं। ऐसा करने वालों में नामचीन लोग भी शामिल हैं। हाथ से खाना खाकर मुझे लगता है कि ममदानी ने कुछ गलत नहीं किया है। इस व्यवस्था को अपनाने वाले सभी लोगों को एकजुट होकर अहिंसक रूप से रूढ़िवादी कमेंटेटर द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब देना चाहिए क्योंकि उन्होंने ममदानी ही नहीं भारत या अन्य देशों में हाथ से खाना खाने वालों का अपमान भी किया है। अनेक विद्वानों के विचार पढ़ने को मिले जिनमें बताया जाता है कि चबाचबाकर हाथ से भोजन किया जाए तो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। कुल मिलाकर वियतनामी मूल के रूढ़िवादी अमेरिकी कमेंटेटर विंसदाआ के उनके कथन की निंदा करता हूं और औरों से भी आग्रह है कि वो आधुनिक सोच के नाम पर परंपरागत सभ्यता को अपनाने वालों का अपमान करने वाले कमेंटेटर की सोशल मीडिया पर निंदा करें क्योंकि यह हमारी भावनाओं और भारतीय संस्कृति से जुड़ा मुद्दा है। भले ही आज कुछ लोग कांटे चम्मच से खाना खाते हो लेकिन एक समय देश में ९० प्रतिशत लोग हाथ से ही भोजन करते थे। इससे मिलने वाली ताकत और अच्छे हाजमे के दम पर वो कड़ी मेहनत करने में सफल हो जाते थे।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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