हो रहे लोकसभा चुनावों में मोदी की गारंटी और लोकप्रियता दोनों ही नागरिकों के सिर पर चढ़कर बोलती नजर आ रही है। वोट कौन किसे देगा इस बारे में ज्यादातर मतदाता खामोश हैं और पूछने पर गर्दन हिलाकर मामले को टाल रहे हैं। मगर सबसे बड़ी परेशानी इस चुनाव में यह सामने आ रही है कि राजपूत मतदाताओं को तो उनके समाज के नेता भाजपा उम्मीदवारों को वोट ना देने के लिए प्रेरित कर ही रहे हैं त्यागी समाज का भी एक गुट खुलेआम कर कह रहा है कि भाजपा उम्मीदवारों को हराने वालों को देंगे समर्थन। इसी प्रकार कुछ और भी बिरादरियां इस बारे में बात कर रही है लेकिन इन्हें मनाने के प्रयास अभी सफल होते नजर नहीं आ रहे हैं। बीते दिवस सरधना के खेड़ा गांव में क्षत्रिय स्वाभिमान महापंचायत का आयोजन किया गया जिसमें मुस्लिम राजपूत ब्राहमण समाज कुशवाहा चौबीसी राजपूत समाज रवा राजपूत आदि के प्रतिनिधियों ने भी स्पष्ट कहा कि स्वाभिमान से समझौता नहीं होने देंगे। भाजपा को हराने वाले का करेंगे समर्थन। इस दौरान जो अपमान हो रहा है उसकी बात करते हुए कई ऐसे मुददे उठाए गए जैसे गुजरात में एक नेता के द्वारा बहन बेटियों के खिलाफ बयान देने राजपूतों को संख्या के हिसाब से टिकट ना देने चौबीसी के लोगों पर मुकदमे दर्ज कराए जाने क्षत्रियों को बराबरी की हिस्सेदारी ना देने आदि बिंदु उठाए गए। यहां किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूरन सिंह, दीपक सोम, करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदि ने विस्तार से अपने विचार रखे। और भाजपा उम्मीदवारों को हराने का स्पष्ट ऐलान किया। अभी मतदान के लिए कई दिन बाकी है। क्षत्रिय समाज के लोग आंदोलन को धार देने में लगे हैं तो भाजपा उन्हें मनाने में महापंचायत में लौटा नमक करने की बात भी उठी। होगा क्या यह तो समय ही बताएगा। लेकिन अगर 18 को ठाकुर बाहुल्य सिसौली और धौलाना में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जी की होने वाली सभा तक भी अगर कोई रास्ता राजपूतों को मनाने का नहीं निकलता है तो यह कहने में कोई हर्ज महसूस नहीं हो रहा है कि चुनाव परिणाम आश्चर्यजनक भी हो सकते हैं। क्योंकि कई लोग खुलकर भले ही ना बोल रहे हो मगर मतदान प्रतिशत बढ़ाने के सभी प्रयासों के बावजूद नोटा का बटन दबाने की बात भी दबी जबान से कर रहे हैं। मेरा मानना है कि लोकतंत्र में वोट देने का अधिकार सबको मिला है। हम किसी को भी मतदान करें लेकिन नोटा का बटन नहीं दबाना चाहिए। जहां तक बिरादरियों के कुछ लोगों के मुखर होने की बात है तो यह हर व्यक्ति का अधिकार है कि वह अपनी बात से सामने वाले को अवगत कराए जिससे भविष्य में दोबारा ऐसा कोई काम ना हो जो उसकी नाराजगी का कारण बनता हो।
चुनाव में अवहेलना के चलते कुछ बिरादरियों की नाराजगी, लोकतंत्र बनाए रखने हेतु नोटा का बटन ना दबाएं
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