लखनऊ 16 दिसंबर। प्रदेश की बार एसोसिएशनों के पदाधिकारियों के लगातार चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध के नियम की वैधता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने मामले में पक्षकार केंद्र सरकार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) यूपी बार काउंसिल और अवध बार एसोसिएशन से जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने अवध बार के सदस्य अधिवक्ता संजय पांडेय की जनहित याचिका पर दिया।
कोर्ट ने पक्षकारों को चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। इसमें पूछा कि बार एसोसिएशनों के पदाधिकारियों को एक साल अंतराल के बाद चुनाव लड़ने के प्रतिबंध के नियम 54 का क्या उद्देश्य है। इसके बाद याची दो हफ्ते में इसका प्रतिउत्तर दे सकेगा। मामले की अगली सुनवाई फरवरी में होगी।
याची के अधिवक्ता अशोक पांडेय का कहना था कि यूपी बार काउंसिल ने प्रदेश की बार एसोसिएशनों के पदाधिकारियों को बार का चुनाव लगातार लड़ने पर रोक लगा दी है।
यह प्रतिबंध बार काउंसिल के आदर्श संविधान के नियम 54 के तहत हाईकोर्ट, जिला व तहसील की बार एसोसिएशनों का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशियों को एक साल का अंतराल रखने का प्रावधान करता है। इसे बीसीआई ने भी मंजूरी दी है। वहीं, अवध बार ने भी इस नियम को स्वीकार किया है।
अधिवक्ता का तर्क था कि जब अन्य चुनावों में प्रत्याशियों के लिए अंतराल का कोई प्रतिबंध नहीं है तो फिर बार एसोसिएशनों का चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए यह नियम संविधान में दिए समानता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला है। याचिका में नियम 54 को निष्प्रभावी व असांविधानिक करार देने का आग्रह किया गया है।