दैनिक केसर खुशबू टाइम्स
मेरठ, 06 मार्च (विशेष संवाददाता) देश में सरकार की निर्माण नीति के तहत जरूरतमंद आदमी को सिर छुपाने के लिए छत और व्यापार के लिए दुकान उपलब्ध कराने और इससे सौंदर्यकरण व व्यवस्थाएं प्रभावित ना हो इसके लिए प्राइवेट कॉलोनाइजर द्वारा जो कॉलोनियां या मॉल विकसित किए गए वो नियम अनुसार बने या नहीं अथवा शासन की नीति के तहत उनमें उपभोक्ताओं को सभी सुविधाएं मिल रही है या नहीं इसका पता करने हेतु हर कॉलोनी का पूर्णता प्रमाण पत्र लिए जाने की व्यवस्था निर्धारित की गई बताई गई।
पिछले कुछ वर्षों से सरकार की मंशा के तहत कॉलोनियां मॉल विकसित करने वाले बिल्डरों द्वारा पूर्णता प्रमाण पत्र लेने के लिए प्रयास भी किए जा रहे बताए जाते हैं। मेरठ विकास प्राधिकरण ने अपने कार्य क्षेत्र में कुछ माह पूर्व कुछ कॉलोनियों को पूर्णता प्रमाण पत्र दिए गए थे जो एक अच्छी शुरूआत नागरिकों की निगाह में हुई बताई गई। लेकिन अब जो चर्चाएं सुनने को मिली कि प्रमाण पत्र जारी करने में अवैध निर्माण से संबंध कुछ इंजीनियरों व जोन प्रभारियों के द्वारा बड़ा खेल किया गया। ऐसा कहने वालों का मानना है कि जितनी भी कॉलोनियों को प्रमाण पत्र दिए गए उनमें से 90 प्रतिशत में तो नागरिकों को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए थी वो नहीं पूरी तौर पर नहीं कराई गई। कुछ में थोड़ी या रिहायशी कॉमर्शियल का नक्शा पास कराकर फिर खेती व अन्य उपयोग की भूमि पर कई गुना ज्यादा निर्माण बिना मानचित्र पास कर दिए गए। इन कॉलोनियों में जिन लोगों ने प्लाट आदि खरीदे ज्यादातर ने बिना नक्शा पास कराए निर्माण कर लिए। इनमें ना तो पानी की उपलब्धता नजर आती है ना ही उसकी निकासी। साफ सफाई और सड़क और प्रकाश की व्यवस्थाएं भी नहीं बताई जाती। कॉलोनी तो कई सौ बीधा में बसा दी लेकिन जानकारों का कहना है कि उनमें ना तो स्वास्थ्य और शिक्षा की व्यवस्था है और ना सामुदायिक केंद्र। ऐसे कहने वालों के मत से मैं भी पूरी तौर पर सहमत हूं क्योंकि इसमें सरकारी नीति का उल्लंघन हुआ और भारी राजस्व की हानि हुई। नागरिक तो सभी सुविधाओं से वंचित हैं ही।
मेडा के कुछ ऐई और जेई के बैंक बैलेंस घर की आधुनिक सुविधाएं जरूर बढ़ गई बताई जा रही है। सरकार की नीति का पालन कराने नागरिकों का मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने और जो राजस्व इनसे मिलना चाहिए था उसकी वसूली के लिए यह देखा जाए कि मानचित्र कितनी जगह पर काटी गई कॉलोनी के पास है।
उसका भूउपयोग क्या था। बन क्या गया। इसकी जांच सरकार को किसी ईमानदार वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी से करानी चाहिए क्योंकि मेडा के इंजीनियरों ने जो चश्मे लगाए हैं अगर उनकी इच्छापूर्ति हो गई तो निर्माण में सब सही नजर आता है। जबकि मौके पर नियमों का पालन तो दूर कमियां ही कमियां दिखाई देती है। लोगों का कहना है कि वीसी और सचिव मौके पर जाकर देखते नहीं। इससे राजस्व का नुकसान हो रहा है।
रोहताश स्वीट्स के गोदाम को देखा जा सकता है
पूर्णतया प्रमाण पत्र वितरण में खेल होने की चर्चा करने वालों का कहना था कि इसके उदाहरण के रूप में बागपत रोड़ स्थित विश्वकर्मा स्टेट में चल रहे रोहताश स्वीट्स के गोदाम के निर्माण के साथ साथ सरकार की निर्माण नीति व अन्य आवश्यकताऐं को देखा जा सकता है।