लखनऊ 05 अगस्त। अब परिषदीय स्कूलों के जर्जर भवनों में बच्चे नहीं पड़ेंगे। प्रदेश सरकार ने जर्जर विद्यालय भवनों को ध्वस्त कर बच्चों को सुरक्षित और सशक्त भविष्य देने की दिशा में बड़ा अभियान छेड़ने का निर्णय किया है।
सोमवार को उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी जिलों में परिषदीय विद्यालयों की भौतिक स्थिति की सघन जांच कराई जाए। जर्जर स्कूल भवनों का पुनर्निर्माण कराने के साथ ही मुख्यमंत्री ने वैकल्पिक भवनों में कक्षाएं संचालित करने के निर्देश दिए।
सीएम ने कहा कि स्कूल भवन की मजबूती, पेयजल, शौचालय, विद्युत, फर्नीचर, दीवारों की रंगाई-पुताई, रैंप की सुविधा और बच्चों के बैठने की व्यवस्था जैसे सभी बिंदुओं की गहन समीक्षा की जाए. जिन स्कूलों के भवन जर्जर हो चुके हैं, वहां के बच्चों को तत्काल अस्थायी स्थानों पर स्थानांतरित करें. मरम्मत अथवा पुनर्निर्माण कार्य जल्द शुरू कराएं. इसके लिए विभागीय बजट के साथ-साथ सीएसआर फंड का उपयोग करें.
बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि जिन स्कूल भवनों की स्थिति बच्चों के लिए खतरे का कारण बन सकती है, वहां छात्रों को तत्काल सुरक्षित वैकल्पिक स्थानों पर शिफ्ट किया जाए। साथ ही इन विद्यालयों का पुनर्निर्माण कार्य शीघ्र शुरू किया जाए।
मुख्यमंत्री ने ऑपरेशन कायाकल्प की प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा कि वर्ष 2017 से पूर्व प्रदेश के केवल 36% स्कूलों में बुनियादी ढांचे की व्यवस्था थी और मात्र 7500 स्कूलों में पुस्तकालय थे. बालिकाओं के लिए शौचालय की सुविधा 33.9% विद्यालयों में ही उपलब्ध थी. डिजिटल शिक्षा, स्मार्ट क्लास, यूनिफॉर्म, जूते-मोजे और पुस्तक वितरण जैसी व्यवस्थाएं बेहद कमजोर थीं. उन्होंने शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत प्रदेश में हुए नामांकन का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2016-2017 में मात्र 10784 बच्चों का नामांकन हुआ था, वहीं 2024-2025 में 4.58 लाख बच्चों का नामांकन हुआ है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में ऑपरेशन कायाकल्प के अंतर्गत 19 पैरामीटर पर 96% कार्य पूर्ण हो चुके हैं. प्रदेश के 1,32,678 विद्यालयों में पुस्तकालय संचालित हैं. यहां न्यूनतम 500 पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है. सत्र 2024-25 में 15.37 करोड़ पाठ्यपुस्तकों का निशुल्क वितरण किया गया है. 4.53 लाख शिक्षकों को डिजिटल शिक्षण का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है.
प्रदेश में 1033 विद्यालयों का हो रहा है मरम्मत
बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार पिछले दो साल में 283 करोड़ की लागत से 1835 स्कूलों को फिर से खड़ा किया गया है। वर्तमान में 106 करोड़ रुपये की लागत से 557 स्कूलों का पुनर्निर्माण और 45 करोड़ रुपये से 1033 विद्यालयों में मरम्मत कार्य कराया जा रहा है।
जर्जर स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए निकटतम परिषदीय विद्यालय, पंचायत भवन या अन्य शासकीय भवनों में वैकल्पिक व्यवस्था कर कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। जर्जर भवनों की पहचान और ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया लगातार जारी है।
सत्यापित जर्जर ढांचों को ढहाकर नए भवन बनाए जा रहे हैं। जहां पुनर्निर्माण संभव नहीं है, वहां भवनों की छत, दीवार या अन्य हिस्सों की मरम्मत कर मजबूती दी जा रही है।
जिन भवनों की नीलामी या ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है, उन पर बड़े-बड़े लाल अक्षरों में निष्प्रयोज्य (अबेंडंड) लिखा जा रहा है ताकि कोई भी व्यक्ति अनजाने में उनका इस्तेमाल न करें।