Tuesday, October 14

लोनिंग ऐप के जरिए 101 करोड़ से ज्यादा की साइबर ठगी का भंडाफोड़, बाप-बेटे गिरफ्तार

Pinterest LinkedIn Tumblr +

बलरामपुर 19 अगस्त। उत्तर प्रदेश की बलरामपुर पुलिस ने लोनिंग एप्लीकेशन और क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से धोखाधड़ी करने वाले दो शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपी अंतरराज्यीय गिरोह के सदस्य थे और एक बड़े साइबर फ्रॉड रैकेट को चला रहे थे. पुलिस की जांच में सामने आया है कि इनके गिरोह ने अब तक 101 करोड़ रुपए से अधिक का ट्रांजैक्शन किया है.

पुलिस की गिरफ्त में आए दोनों आरोपी पिता-पुत्र हैं, जिनके नाम गोलू कुमार और भूषण कुमार चौधरी हैं. दोनों मूल रूप से बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासन, मोतिहारी के निवासी हैं. मामला बलरामपुर जिले के थाना ललिया से जुड़ा हुआ है. यहां पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि कुछ लोग लोनिंग एप के जरिए आम लोगों को ठग रहे हैं. इस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और शुरुआती छापेमारी में पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. हालांकि, उस समय दो आरोपी फरार चल रहे थे. इस दौरान लगातार तलाश जारी रही और अब पुलिस ने उन दोनों को भी दबोच लिया है.

पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने बताया कि आरोपियों ने साइबर ठगी को अंजाम देने के लिए छह अलग-अलग आईडी का इस्तेमाल किया. इनमें से पांच आईडी भारत की हैं जबकि एक आईडी नेपाल की है. ये लोग क्रिप्टो करेंसी प्लेटफॉर्म बाइनेंस ऐप का इस्तेमाल कर ठगे गए पैसों को USDT (टेदर कॉइन या क्रिप्टो कॉइन) में बदलते थे और फिर उसे विदेशों में भेजते थे. पुलिस की जांच के अनुसार, सबसे अधिक लेन-देन गोलू कुमार की आईडी से हुआ है, जबकि दूसरी सबसे ज्यादा ट्रांजैक्शन भूषण कुमार की आईडी से दर्ज किए गए हैं. फिलहाल, बाकी तीन भारतीय आईडी और नेपाल की एक आईडी की जांच भी की जा रही है.

पुलिस के अनुसार अब तक इस गिरोह का कुल ट्रांजैक्शन 101 करोड़ 34 लाख 31 हजार 411 रुपए सामने आया है. जांच एजेंसियों को आशंका है कि आगे की पड़ताल में यह रकम और भी बढ़ सकती है. पुलिस ने यह भी बताया कि फिलहाल दोनों आरोपियों के पुराने आपराधिक इतिहास की जानकारी नहीं मिली है और इस संबंध में आगे की जांच की जा रही है.

एसपी विकास कुमार ने कहा कि यह साइबर गैंग तकनीक का इस्तेमाल कर बड़े पैमाने पर ठगी कर रहा था और लोगों को आसान लोन का झांसा देकर फंसाता था. ठगी के पैसे को वैध दिखाने के लिए इसे क्रिप्टो करेंसी में कन्वर्ट कर विदेशों में भेजा जाता था. पुलिस अब गिरोह से जुड़े बाकी नेटवर्क और वित्तीय लेन-देन की गहराई से जांच कर रही है.

Share.

About Author

Leave A Reply