दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता तथा दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिरसा के प्रयासों से कानपुर और दिल्ली में कराई जाएगी कृत्रिम बारिश। इसका पहला प्रशिक्षण ७ से नौ अक्टूबर के बीच उत्तर पश्चिम दिल्ली में किया जाएगा। पहले दिन सरकार ने दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इसकी अनुमति दी। इस काम को पूरा करने के लिए क्लाउड सिडिंग के प्रशिक्षण से जुड़ी परियोजना शुरू करने के लिए आईआईटी कानपुर से एक समझौता ज्ञापन एमओयू पर हस्ताक्षर सचिवालय में हुए। बताते हैं कि सरकार को अगले दो महिनों में पांच प्रशिक्षण शुरू करने की अनुमति मिल गई है। यह अक्टॅूबर नवंबर में होंगे जिन पर ३.२ करोड़ रूपये होने की संभावना है। दिल्ली और कानपुर में कृत्रिम बारिश की बात की जा रही है। अगर आकस्मिक आपदा के रूप में भारी बरसात ना हो तो देश में पानी की होने वाली किल्लत से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। कई बार सूखे के कारण बूंद बंूद पानी को आम आदमी को तरसना पड़ता है। जब बाढ़ आती है तब भी कुछ स्थानों पर पानी का अभाव होने की बात सुनने को मिलती है। ऐसे में प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश को समाधान के रूप में नहीं देखा जा सकता। इसे कुछ बड़े लोगों की आत्मसंतुष्टि और उन्हें यह कहने का मौका कि हमारे इलाके में प्रदूषण से मुक्ति के लिए कृत्रिम बारिश हुई कोई ठीक व्यवस्था नहीं है। मैं दिल्ली सरकार की योजना पर टिप्पणी नहीं कर रहा हूं कि लेकिन देश के गरीब बेसहारा नागरिकों को प्रदूषण से जो समस्याएं उत्पन्न होती है उसकी ओर ध्यान दिलाते हुए कृत्रिम बारिश के प्रायोजकों को एक बात समझ लेनी चाहिए कि पूरे देश में कहीं ज्यादा कहीं कम नागरिक प्रदूषण से परेशान है। ऐसे में सबको मिलकर पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाकर नाले नालियों में गंदगी सड़को ंपर पड़े कूढे को उठाने वाले सफाई कराने व तुरंत उसका निस्तारण के लिए काम करना चाहिए ना कि कृत्रिम बारिश क्योंकि इससे वीआईपी कहे जाने वाले लोगों को जिनमें नेता और नौकरशाहों के क्षेत्र में यह बारिश होगी ऐसा कहने वालों की बात में वजन है क्योंकि अभी गर्मी से छृटकारा दिलाने के नाम पर पानी कैं टैंकरों से जो छिड़काव किया जाता है वो बड़े अधिकारियों के घरों के आसपास होता है लेकिन जहां गर्मी और प्रदूषण से मुक्ति की जरुरत होती वहां कृत्रिम बारिश नहीं कराई जाती। दिल्ली की सीएम और पर्यावरण मंत्री आम आदमी मेहनत से अपना परिवार चलाने के लिए व्यवस्था बना रहा है ओर मेहनत करने के बाद भी परिवार की इच्छाएं पूरी करने में सक्षम नही है फिर भी उसके टैक्सों के पैसे से कृत्रिम बारिश जैसे नाकाम उपायों पर देश में जहां काफी प्रतिशत में लोग दो समय की रोटी भी नहीं जुटा पा रहे हैं। ऐसे में ३.२ करोड़ रूपये खर्च कर कूत्रिम बारिश कराया जाना रईशों की ऐशपरस्ती के साधन जुटाना ही कहा जा सकता है। मुख्यमंत्री जी दिल्ली में कई इलाके ऐेसे हैं जहां गंदगी के चलते नाक पर रूमाल रखना पड़ता है। आप इसबारिश को छोड़कर नागरिकों को उनकी परेयशानियों से छुटकारा दिलांए तो वह आपका उपकार होगा।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
दिल्ली की मुख्यमंत्री दें ध्यान! कृत्रिम बारिश से प्रदूषण से छुटकारा संभव नहीं, आम आदमी के हित में सफाई और पानी उपलब्ध कराया जाए
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