Tuesday, October 14

पर्यावरण मंत्रालय दे ध्यान! फर्नीचर के लिए प्रतिबंधित पेड़ों का कटान तो नहीं कर रहा फर्नीचर उद्योग

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हरियाली हर जगह हो इसके लिए वृक्षारोपण अभियान हर साल चलाने के साथ ही आयोजित गोष्ठियों में दस वृक्षों को एक पुंत्र के समान कहा जाता है। सरकारें भी पर्यावरण संतुलन और हरियाली के लिए करोड़ों वृक्ष लगवाए जा रहे हैं तो नागरिक भी इसमें काफी काम कर रहे हैं। वेस्ट यूपी में हरित प्रदेश बनाए जाने की मांग भी कई दशक से प्रस्तावित हैं। ऐेसे में पेड़ों का कटान घरों की सुंदरता के लिए बनने वाले फर्नीचर के लिए सही नहीं कही जा सकती।
बताते चलें कि एक्शन टेसा के प्रबंध निदेशक अजय अग्रवाल का कहना है कि फर्नीचर कारपेंटर उद्योग की रीढ़ की हड्डी है। तथा इनके द्वारा कौशल विकास के तहत डब्ल्यूपीटी के माध्यम से सभी ३० छात्रों को १०० प्रतिशत प्लेसमेंट दिलाने कीबात की जा रही है। इस साल राष्ट्रीय कारपेंटर दिवस के अवसर पर इंजीनियर गुड पैनल के निर्माता एक्शन टेसा ने लगातार दूसरे साल कारपेंटर दिवस मनाया जिसका शुभारंभ फिल्म अभिनेता अजय देवगन ने किया। फर्नीचर बनाने वालों की कला व मेहनत को हम भी सलाम करते हैं और इस कंपनी के अजय अग्रवाल की भी प्रशंसा की जानी चाहिए।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय व वृक्षारोपण में लगे नागरिकों व संगठनों को यह भी देखना होगा कि ऐेसे आयोजन की सफलता से प्रोत्साहित कंपनी ने देशभर में ५० से ज्यादा स्थानों पर मेगा मीट का आयोजन किया। लेकिन कहीं प्रतिबंधित वृक्षों को काटकर संस्था द्वारा उससे तो फर्नीचर नहीं बनायाजा रहा और बड़े लोगों की शान शौकत और जागरूक नागरिकों के अनुसार पैसा कमाने के लिए अगर प्रतिबंधित लकड़ी के फर्नीचर बनाने से रोकने के लिए ऐसी कंपनियों पर सरकार और पर्यावरणविदों पर निगाह रखनी चाहिए।
कई सौ साल पूर्व भगवान जम्भेश्वर जी महाराज द्वारा पेड़ों का कटान रोकने का संदेश दिया था जिससे ३०० से ज्यादा महिलाओ ंने एक पेड़ बचाने के लिए अपनी गर्दन कटवा दी थी। सुंदरलाल बहुगुणा ने जो पेड़ों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन चलाया था और कई पर्यावरण प्रेमी ज्यादा से ज्यादा पेड़ों को लगाने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी मेहनत बेकान ना हो इसके लिए फर्नीचर बनाने वाली कंपनियों पर निगाह रखी जाए और प्रतिबंधित पेड़ों का कटान ना होने दिया जाए। कारपेंटरों की रोजी रोटी का सवाल है तो वो जिस लकड़ी का फर्नीचर बनाएंगे तो उन्हें भुगतान मिलेगा और कंपनी फर्नीचर के लिए नई तकनीकी अपनाएं तो उसकी आमदनी में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन उपयोगी पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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