Friday, July 26

चिकित्सक भी करे संपत्ति की घोषणा, चाहे तो नर्सिंग होम बंद करके भी देख लें, विधायक के आंदोलन के प्रति बढ़ रहा है जनसमर्थन

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सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान द्वारा गढ़ रोड स्थित न्यूटिमा हॉस्पिटल के विरूद्ध चलाए जा रहे अभियान में जनसमर्थन बढ़ता ही जा रहा है। आम आदमी के साथ ही अधिवक्ता रालोद और अन्य संगठन भी विधायक के धरना प्रदर्शन को समर्थन दे रहे हैं। एक खबर के अनुसार नौ दिसंबर भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत आंदोलन स्थल पर पहुंचेगे। दूसरी ओर विधायक ने 11 को महापंचायत का ऐलान करते हुए बीती सात नवंबर को अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया। और कहा कि पैतृक व निजी संपत्ति छोड़कर सरकार अन्य जब्त कर ले। साथ ही उन्होंने डॉक्टरों की संपत्ति की भी जांच कराने की मांग की।
इसी क्रम में विधायक समर्थकों का एक प्रतिनिधिमंडल की डॉक्टरों अफसरों से बातचीत हुई लेकिन उसका कोई परिणाम निकलकर सामने नहीं आया। एक प्रतिनिधिमंडल ने अफसरों से आंदोलन में शामिल सभी डॉक्टरों के क्लीनिकों की जांच कराने की मांग करते हुए उनमें चल रहे मेडिकल स्टोरों व निर्माण पर कार्रवाई की मांग उठाई। पूर्व में मेडा अधिकारियों द्वारा एक समय सीमा मे ंअवैध निर्माण को सील करने में ऐलान किया गया था लेकिन बाद में सीलिंग की कार्रवाई रोकने के लिए अस्पताल की ओर से दाखिल याचिका खारिज होने के बाद भी एक माह का समय न्यूटिमा हॉस्पिटल के डॉक्टरों को दे दिया गया। यह राहत उन्हें किस खुशी में दी गई यह तो मेडा के अफसर ही जान सकते हैं। लेकिन इस पर कुछ जागरूक नागरिक सवाल उठा रहे हैं छोटे निर्माणों को तोड़ने का ढिंढोरा पीटने और उन्हें अपनी बात कहने का समय न देने वाले अफसरों ने न्यूटिमा हॉस्पिटल पर इतनी मेहरबानी क्यों की। इस संबंध में कुछ का कहना है कि अवैध निर्माण से संबंध अफसर न्यूटिमा हॉस्पिटल से मिलकर नूरा कुश्ती लड़ रहे हैं। इसलिए इतना बवाल होने के बाद भी डॉक्टरों से संबंध खबरें मीडिया में आ रही है लेकिन अफसर हैं कि दोषियों को इस प्रकरण में बचाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे बताते हैं। वार्ता चलती रहेगी सफलता की आस लगेगी लेकिन असफल होती रहेगी क्योकि अतुल प्रधान की मांग सही है और न्यूटिमा हॉस्पिटल की गलत। जाटव महासंघ के अध्यक्ष नेपाल गौतम ने विधायक के आंदोलन को समर्थन देते हुए निजी अस्पतालों की लूट के खिलाफ संघर्ष करने वालों को समर्थन देने की बात कही। आंदोलन समर्थकों का कहना है कि चाहे हमारे वाहन जब्त कर लो या हमारा कितना उत्पीड़न हो जा जनहित की मांग से पीछे नहीं हटेंगे। इस प्रकरण में जैसा नजर आ रहा है और पढ़ने सुनने को मिल रहा है उससे यह स्पष्ट है कि आम आदमी अतुल प्रधान के आंदोलन के समर्थन में जा रहा है। और यह मांग भी जोर पकड़ रही है कि न्यूटिमा के बचाव में उतर रहे डॉक्टरों की क्लीनिकों की जांच होनी चाहिए कि वो नियमानुसार बने है या नहीं। डॉक्टर भी यह समझ लें कि जनहित के विरूद्ध जाकर कोई भी राजनीतिक दल उनके साथ खड़ा नहीं हो सकता। व्यक्तिगत तौर पर उन्हें सांत्वना भले ही देता रहे। क्योंकि यूपी के सीएम द्वारा नर्सिंग होम के संचालन निर्माण और मेडिकल स्टोरों के संचालन को लेकर नीति घोषित की गई है। सरकार की भावनाओं के विरूद्ध सत्ताधारी दल का कोई नेता डॉक्टरों के समर्थन में खड़ा होगा ऐसा लगता नहीं है। अच्छा तो यही है अतुल प्रधान डॉक्टरों की शुद्धि बुद्धि के लिए यज्ञ कर चुके है। उसका लाभ उठाकर आम आदमी की समस्याओं को समाप्त करने और डॉक्टरों के कारण जो आर्थिक समस्याएं आ रही है उन्हे समाप्त कराने की पहल डॉक्टरों को करानी चाहिए। आंदोलन जितना लंबा खिचंगा उतना ही नुकसान डॉक्टरों का होगा। जहां तक नर्सिंग होम बात करने की बात की जाती है उससे तों मैं सहमत नहीं हूं। डॉक्टर यह भी करकर देख तो उनके अपने भी दूर होने लगेंगे। इसलिए अच्छा है कि आपसी सहमति से इस विवाद को डॉक्टर सुलझा लें वो ही सबके हित में है।

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