वैसे तो रिहायशी क्षेत्रों में गांव हो या देहात पटाखों के गोदाम, निर्माण एवं बिक्री का काम हमेशा प्रतिबंधित रहा है। वो बात और है कि नियमों के पालन कराने वालों से मिलीभगत कर यह काम आबादी में होते रहे। लेकिन पिछले लगभग एक दशक से जो विभिन्न कारणों से प्रदूषण बढ़ा और पर्यावरण संतुलन बिगड़ा उसके चलते एनजीटी ने आवाज वाले और जहरीला धुंआ फैलाने वाले पटाखों पर प्रतिबंध लगाया। इसका अनुसरण करते हुए केंद्र व प्रदेश सरकार ने भी इससे मिलते जुलते आदेश किए। लेकिन उनका सही मायनों में पालन ना होने की बात जैसे जैसे सामने आती रही तो इससे निपटने के उपाय भी सोचे जाने लगे। तब तय हुआ कि ग्रीन पटाखे बनाए जिससे बच्चों का मन बहले और प्रदूषण भी ना हो। इसी क्रम में फूलझड़ी आवाज करने वाले बम बनाए जाने लगे और शादी विवाह में इनका उपयेाग होने लगा मगर जो पटाखे बनाने की मुख्य प्रक्रिया थी वो नहीं रूक पाई और हर साल शिवकाशी और अन्य स्थानों पर पटाखों के गोदामों में आग से लोगों के मरने की खबर भी खूब सुनने को मिलने लगी तो प्रशासन ने सख्ती की कि अब आबादी में पटाखे बनने और बिकने नहीं दिए जाएंगे लेकिन पिछले एक दो माह से पटाखों के पकड़े जाने वाले गोदाम से यह स्पष्ट हो रहा है कि जो रोक लगनी चाहिए थी वो नहीं लग रही। सवाल यह उठता है कि परतापुर के अछरौंडा रोड पर एक कॉलोनी में इंद्रापुरम कॉलोनी निवासी चंदन पुत्र केशव पटाखे बनाने की फैक्ट्री कैसे चला रहा था और उसमें विनोद, हरेंद्र, सुमित, अतुल मुन्नु, प्रदीप शोभित, विशाल हरवंश गुडडु जयसिंह सहित ४२ लोग जो प्रकाश में आ रहे हैं वो पटाखे कैसे बना रहे थे। उससे भी बड़ी बात यह है कि परतापुर की तरह ही ब़ुलंदशहर के एक बंद राइस मिल में पटाखे बनाते पकड़े गए। सवाल यह उठता है कि यह विस्फोटक अवैध पटाखा फैक्ट्रियों तक कैसे पहुंचा और पुलिस को भनक क्यों नहीं लगी जानकारों का कहना है कि अगर पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट होता तो काफी लोगों का अपनी जान से हाथ धोना पड़ता।
यह बात इस साल की ही नहीं है। एक दशक से नियमित रूप से अवैध फैक्ट्रियों में आबादी के बीच पटाखे बनने और पकड़े जाने की खबर खूब पढ़ने को मिलती रही है। परतापुर के अछरौंडा में ही लगभग ५० लाख की विस्फोटक सामग्री बरामद होने की खबर है। आखिर यह विस्फोटक इन फैक्टियों तक कैसे पहुंचा और मजदूरों के आने जाने के बाद भी क्षेत्रीय पुलिस को भनक क्यों नहीं लगी या उसकी मिलीभगत से यह सब हो रहा था इसकी जानकारी कर वरिष्ठ अफसरों को लोगों का मानना है कि थानेदारों को निलंबित करना चाहिए और जितने इलाकों में अवैध पटाखा फैक्ट्री या विस्फोटक सामग्री पकडी जाए वहां के पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाए क्योंकि जब तक इनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाएगा तब तक अवैध पटाखा फैक्ट्रियां और विस्फोटक सामग्री का जखीरा पकड़े जाना रूकने वाला नहीं है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
कैसे चल रही हैं आबादी में पटाखा फैक्ट्री और पहुंच रहा है विस्फोटक सामग्री का जखीरा, जब तक दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी, अवैध पटाखे बनाने का ?
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