लखनऊ के इंदिरागांधी प्रतिष्ठान में सीएम योगी द्वारा प्रदेश की ग्रामीण जनता को जनता बस सेवा का तोहफा देने की घोषणा की गई। आज सीएम द्वारा 75 किमी तक चलने वाली बस सेवा की सौगात दी गई जिनमें किराया भी 20 प्रतिशत कम होगा। शहर के चार चौराहों को 20 करोड़ से संवारे जाने की योजना भी मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा घोषित की गई है। यह दोनों बातें इस बात का उदाहरण है कि सरकार नागरिकों को कष्टमुक्त यात्रा उपलब्ध कराने के लिए प्रयास कर रही है। साथ ही उसके वाहन क्षतिग्रस्त ना हो उसके लिए अच्छे मार्गों पर ध्यान दिया जा रहा है लेकिन ऐसी खबरें पढ़कर नागरिकों को विश्वास नहीं हो पा रहा है कि अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में असफल अफसर इन कामों को समय से और गुणवत्ता के अनुसार पूरा कर पाएंगे। नागरिकों का कहना है कि जब सीएम ने पहली बार मुख्यमंत्री का पद संभाला था तो कुछ समय देकर घोषणा की थी कि पूरा प्रदेश गडढा मुक्त हो जाए। लेकिन इस काम में कितनी कोताही बरती गई है उसका पता इस खबर से चलता है कि अकेले मेरठ शहर में गडढों की भरमार है। फुटबाल चौक से बेगमपुल तक सड़कों के गडढों को देखा जा सकता है। मैं यह किसी की आलोचना के तहत नहीं पिछले एक दशक की व्यवस्था को देखकर और नागरिकों में होने वाली चर्चा को ध्यान में रखकर कह रहा हूं। कहा जा रहा है कि हाईवे पर दौड़ेंगे वाहन हो सकता है सही हो लेकिन यह सभी योजनाएं तभी पूरी हो पाएं जब मेरठ शहर में हुए सात हजार गडढों से जो दुर्घटनओं का खतरा बना रहता है उनमें सुधार हो। वरना चाहे 30 करोड़ खर्च करो या 20 कागजों में तो सब पूरा हो जाएगा लेकिन नागरिकों को परिवहन से संबंधित सुविधाएं नहीं मिलेगी लेकिन चालान काटकर उसका उत्पीड़न होता रहेगा। आगामी 11 सितंबर को मेरठ विकास प्राधिकरण की बैठक होने वाली है। जिसमें जनप्रतिनिधियों के साथ अफसर भी रहेंगे। मेरा मानना है कि जनप्रतिनिधियों को यह सवाल उठाना चाहिए कि पूर्व में जिन चौराहों हापुड़ अडडा तेजगढ़ी कमिश्ररी आवास और बच्चा पार्क के सौदंर्यीकरण पर मोटा खर्च हुआ था उसका क्या रहा और इतनी जल्दी फिर इनके सौंदर्यीकरण की आवश्यकता क्यों हो गई। यह भी पूछना चाहिए कि अब तक गडढामुक्त सड़कें क्यों नहीं हो पाई क्योंकि शहरी प्रबंधन की नाकामी के चलते व होने वाले अवैध निर्माण जाम का मुख्य कारण बनते हैं तो इन्हें क्यों नहीं रोका जाता। ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाती।
इस मामले में नागरिक अनुशासन की भी कमी है लेकिन जब शासन और सरकार अधिकारियों से काम नहीं करा पा रही तो आम आदमी को कौन पूछता है। इसमें अनुशासन से होने वाला क्या है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मेडा की बैठक में जनप्रतिनिधि पूछे सवाल क्यों नहीं हुई सड़कें गडढा मुक्त और अवैध निर्माण क्यों नहीं रूक पा रहे, बार बार चौराहों पर भी करोड़ों रूपये क्यों खर्च होते हैं सड़कों और चौराहों का क्यों नही कराया जाता सुधार
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