Tuesday, October 14

शिक्षक दिवस पर मुख्यमंत्री ने मास्टर साहब को खुश करने के किए सभी प्रयास, सीएम साहब योजनाओं को लागू कराने के लिए दोषियों पर कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाए

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लगता है कि कम संख्या वाले स्कूलों को बंद करने की प्रदेश सरकार की योजना से नाराज शिक्षकों को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शिक्षक दिवस से पूर्व खुश करने की पूरी तैयारी कर ली गई थी। ध्यान से सोंचें तो इसमें कोई बुराई भी नहीं है क्योंकि शिक्षक समाज का ऐसा प्रमुख व्यक्ति है जो बच्चों को आगे बढ़ने का ज्ञान देता है और समाज में स्थान निर्धारित करने की राह दिखाता है। इसलिए शिक्षक का स्थान भी भगवान माता पिता के बाद हर व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। शायद इसीलिए पांच सितंबर को लखनऊ स्थित लोक भवन सभागार में आयोजित शिक्षक दिवस पर सीएम योगी द्वारा बेसिक के 66 और माध्यमिक के 15 शिक्षकों को राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दस शिक्षकों को सीएम द्वारा खुद सम्मानित किया गया। अन्य शिक्षकों को शिक्षा मंत्री ने पुरस्कृत किया। सम्मानित शिक्षकों को 25 हजार रूपये का चौक मां सरस्वती की प्रतिमा और शॉल प्रदान किए गए।
मुख्यमंत्री का कहना था कि कुछ लोग स्कूलों के विलय और बाल वाटिका के बारे में दुष्प्रचार कर रहे हैं। जबकि कुछ स्कूलों के प्रधानाचार्य और शिक्षक अपनी मेहनत से नवाचार सरकार विद्यालयों को कॉवेंट या पब्लिक स्कूलों को टक्कर देने लायक बना रहे हैं। इस मामले में उन्होंने वाराणसी सुल्तानपुर जैसे जिलों के उदाहरण दिए। बताया कि ऑपरेशन कायाकल्प के तहत प्रदेश के 1.36 लाख विद्यार्थियों की 19 बुनियादी सुविधाओं से जोड़ा गया है। प्रोजेक्ट अलंकार के जरिए 2100 विद्यालयों को नए भवन उपलब्ध कराया गया है। शिक्षा नीति के अनुरूप प्रदेश में पांच हजार बाल वाटिकाएं शुरू हो चुकी हैं जिनमें 25 हजार से अधिक बच्चों ने शिक्षा की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्हें मुख्यमंत्री पोषण मिशन और आंगनवाड़ी से जोड़ा जा रहा है जिससे बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा सके। सम्मान समारोह में प्रभारी मुख्य सचिव एवं माध्यमिक शिक्षा एवं बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार, महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा सहित प्रदेशभर से आये शिक्षकगण उपस्थित रहे। इस मौके पर प्रधानाचार्यों को ई टैबलेट और प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए गए। यह काम 2204 माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्याेँ को टैबलेट देने की येाजना की शुरूआत कह सकते हैं। इस पर 36.39 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके साथ ही 1236 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की स्थापना की गई है जिस पर 2.83 करोड़ रूपये खर्च हुए हैं।
बताते चलें कि शिक्षकों को कैशलेस इलाज की योजना जो शुरू की गई है उसमें नौ लाख से अधिक परिवार लाभान्वित होंगे। शिक्षा मित्र अनुदेशक और रसोईयों को भी लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले प्रदेश नकल के लिए बदनाम था। आज सीसीटीवी की निगरानी में पारदर्शी परीक्षाएं होती हैं। 56 लाख विद्यार्थी परीक्षा देते हैं और एक माह में परिणाम भी घोषित हो जाता है। सीएम ने कहा कि शिक्षकों का दर्जा नौकरशाहों और राजनेताओं से भी ऊपर है। इन घोषणाओं से शिक्षक संगठन और पदाधिकारी खुश है। इनका कहना है कि राहत की दवा बनेगी कैशलेस इलाज की सुविधा। एमएलसी धर्मेंद्र भारद्वाज का कहना है कि शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को राहत दिला पाने की खुशी है। वो मुख्यमंत्री से मिलकर शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों के लिए ऐसी मांग विधान परिषद में कर रहे थे। उन्होंने मानदेय को 25 हजार करने की मांग की थी।
मुख्यमत्री जी और सरकार व शिक्षामंत्री की शिक्षकों को दी गई सुविधाओं को सराहनीय पहल कह सकते हैं लेकिन सीएम साहब इस सबके साथ यह भी अनिवार्य किया जाए कि गांव हो या शहर स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति अनिवार्य हो और वह अवकाश पर जाते हैं तो उसका विवरण स्कूल के गेट पर लिखा जाए। तथा स्कूलों में शिक्षा को प्रभावित करने वाली हड़ताल पर रोक लगाई जाए और खाना स्वास्थ्यवर्द्धक हो। जो शिक्षक पढ़ाने से ज्यादा राजनीति करते हैं उनके वेतन में कटौती के साथ यह भी व्यवस्था कराई जाए कि स्कूलों का वातावरण ऐसा बनाया जाए कि बच्चे यहां आकर खुश हो। बच्चों के लिए मनोरंजन पार्क बनाए जाएं और अफसरों को निर्देश दिए जाएं कि स्कूलों में छापेमारी कर देखें कि साक्षरता के अभियान चल रहे हैं या नहीं। शिक्षकों के स्थानातंरण में पारदर्शिता बरती जाए और उनकी समस्याओं का प्राथमिकता से निस्तारण हो।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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