मेरठ 18 नवंबर (प्र)। मेरठ में नगर निगम कार्यकारिणी सदस्यों के चुनाव ने भाजपाइयों की पोल खोलकर रख दी। पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं में एक दूसरे को लेकर जो अंदरूनी कलह है वो सारी कड़वाहट सोमवार को सामने आ गई। जब भाजपाई अफसरों के सामने एक दूसरे का विरोध और टांग खिचाई करते नजर आए। कार्यकारिणी सदस्यों के चुनाव में पार्टी नेताओं में पहले दिन से मन-मतभेद था।
पार्षदों में आपसी सहमति नहीं बन रही थी। ये खींचतान लगातार जारी थी। चुनाव वाले दिन भी सुबह से मतदान स्थल पर अंदरुनी कलह खुलकर नजर आई। पूरा चुनाव हंगामे और विरोध प्रदर्शन की भेंट चढ़ गया। अंत में चुनाव अधिकारी को चुनाव निरस्त ही करना पड़ा। अब नए सिरे से पूरी चुनाव प्रक्रिया दोहराई जाएगी।
कार्यकारिणी चुनाव से पहले भी भाजपाइयों में खूब गुट बाजी नजर आई। पांच सीटाें पर अपनी दावेदारी करने वाली भाजपा के 8 प्रत्याशियों ने नामांकन फॉर्म भर दिया । इसके बाद पार्टी के पदाधिकारियों ने जहां दो पार्षदों का टिकट वापस करा दिया तो एक पार्षद संजय सैनी के टिकट ने पूरा चुनाव ही खत्म करा दिया। हालांकि संजय सैनी चुनाव लड़े यह बात पार्टी के पदाधिकारी नहीं चाहते थे, इसलिए उनके टिकट को लेकर शुरूआत में ही विवाद हो गया।
पार्षद संजय सैनी अपने प्रस्तावक का वैरिफिकेशन कराने पहंचने में एक मिनट की देरी से पहुंचे तो पार्षद अनुज वशिष्ठ ने चुनाव अधिकारी अनुज भार्गव से उनका पर्चा निरस्त करने की ांग की। चुनाव अधिकारी ने उनकी यह बात खारिज करते हुए कहा कि 12.35 पर उन्होंने अपने पर्चे पर साइन कराने के बाद अपना टिकट जमा कर दिया था।
इसके बाद उनके प्रस्तावक वहां से चले गए थे, उनको जानकारी नहीं थाी कि अभी वैरिफिकेशन भी होना है हालांकि वह फिर भी वापस आए। ऐसी स्थिति में नामांकन निरस्त कर दिया जाए ऐसा कोई नियम नहीं है।
चुनाव में 2 बजे से वोटिंग शुरू होनी थी इसके लिए राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेई, सांसद अरूण गोविल और एमएलसी ध्रमेंद्र भारद्वाज लगभग 3.05 पर वोट डालने के लिए पहंचे। इसके बाद वह वोटिंग रूम में पहुंचे और चुनाव अधिकारी से बैलेट पेपर की मांग की, नामांकन में देरी और पहलु हुए विवाद के कारण चुनाव प्रक्रिया पूरी न हो सकी इसलिए बैलेट पेपर उनको नहीं मिले।
इस पर गुस्साए लक्ष्मीकांत वाजपेई ने चुनाव अधिकारी समेत अन्य लोगों को खूब फटकार लगाते हुए कहा कि यहां बैठकर सिर्फ चुनाव की व्यवस्था खराब करने का काम कर रहे हो। आज सत्ता में सांसद हूं इसलिए चुप हूं नहीं तो मैं वो हूं जो इतनी देर में मेज पलटकर सिर पर रख देता था। इसके बाद आनन फानन में 3.22 पर वोटिंग शुरू की गई जो 5.30 तक चली।
चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब गिनती हुई तो उसमे 4 वोट कैंसिल हो गई और संजय सैनी भी सदस्य बनने की दौड़ में 12 वोटों के साथ आ गए। वार्ड-50 के पार्षद संजय सैनी ने 12 मत पाकर जीत हासिल की और भाजपा का प्रत्याशी सतपाल एक वोट से हार गए। बागी पार्षद की जीत और चार मतपत्र के निरस्त होने के बाद भाजपाइयों ने चुनाव प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगा जमकर हंगामा किया। उनका कहना था कि यह वाट मान्य है, अगर वह वोट मान्य मानी जाए तो प्रत्याशियों की हार जीत बदल रही थी।
जहां भाजपाई इसको लेकर हुगामा कर रहे थो तो संजय सैनी दबाव में गलत निर्णय न लिया जाए इस बात की गुहार चुनाव अधिकारी से करते नजर आए। इसके बाद महानगर अध्यक्ष, कैंट विधायक,महापौर, राज्यसभा सांसद और नगर आयुक्त के पहुंचने पर पूरा चुनाव ही निरस्त कर दिया गया।
