Monday, December 23

उत्तराखंड में बहुविवाह पर लगेगा प्रतिबंध, लिव इन संबंध के लिए बनेंगे सख्त नियम

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नई दिल्‍ली 12 नवंबर। उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड के ड्राफ्ट में बहुविवाह पर प्रतिबंध, लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के प्रावधान रखे गए हैं. सूत्रों की मानें तो यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट बनकर तैयार हो गया है. राज्‍य सरकार इसे पेश करने के लिए जल्‍द ही राज्य विधानसभा का एक विशेष सत्र आयोजित करने की योजना बना रही है. इसका मसौदा इस साल की शुरुआत में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा गठित एक समिति द्वारा तैयार किया गया. समिति ने विभिन्न वर्गों के नागरिकों के साथ विचार-विमर्श किया और 2 लाख से अधिक लोगों और प्रमुख हितधारकों से बात की. इसके बाद जाकर इसे तैयार किया गया है और अब इसे पेश करने की तैयारी है.

सूत्रों ने बताया कि उत्तराखंड विधानसभा में जो मसौदा विधेयक पेश किया जाएगा, उसमें सरकार बहुविवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही है. लिव-इन जोड़ों के लिए अपने रिश्ते को पंजीकृत कराने का भी प्रावधान इसमें रखाा गया है. दरअसल, यूसीसी कानूनों के एक सामान्य समूह को संदर्भित करता है, जो भारत के सभी नागरिकों पर लागू होता है और यह विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने सहित अन्य व्यक्तिगत मामलों से निपटने में धर्म पर आधारित नहीं है.

उत्तराखंड के लिए यूसीसी पिछले साल हुए राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा द्वारा किए गए प्रमुख चुनावी वादों में से एक था. लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद सीएम धामी ने अपनी अध्यक्षता में पहली कैबिनेट बैठक में यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने को मंजूरी दी थी. विशेषज्ञ पैनल, जिसका कार्यकाल हाल ही में तीसरी बार दिसंबर तक बढ़ाया गया था, उसने मसौदा तैयार करने से पहले 2.33 लाख लोगों और विभिन्न संगठनों, संस्थानों और आदिवासी समूहों से राय ली है. पांच सदस्यीय समिति को छह महीने का पहला विस्तार नवंबर, 2022 में और चार महीने का दूसरा विस्तार इस साल मई में मिला था.
इसकी अगुवाई सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई कर रही हैं। उनके अलावा समिति में दिल्ली हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, पूर्व मुख्य सचिव और IAS अधिकारी शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल शामिल हैं।

यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र संविधान में भी हुआ है. संविधान निर्माताओं ने यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड को नीति निर्देशक तत्वों के तहत भविष्य के एक लक्ष्य की तरह छोड़ दिया था.संविधान के अनुच्छेद 44 में नीति निर्देशक तत्वों के तहत कहा गया है कि भारत के राज्य क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड को सुरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए. लेकिन साथ ही अनुच्छेद 37 में कहा गया है कि नीति निर्देशक तत्वों का उद्देश्य लोगों के लिए सामाजिक आर्थिक न्याय सुनिश्चित करना और भारत को एक कल्याणकारी राज्य के रूप में स्थापित करना है.

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