दैनिक केसर खुशबू टाइम्स
मेरठ, 27 जनवरी (विशेष संवाददादात) एक तरफ देशभर में व्यापारी हितों की रक्षा के लिए इसके नेता अपने संगठन को मजबूत करने और सरकार से सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने और राजनीतिक दलों से प्रतिनिधित्व देने की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ ऐतिहासिक जनपद मेरठ में पहले प्रदेश की सबसे मजबूत व्यापारिक संस्था संयुक्त व्यापार संघ का बंटवारा हुआ। एक गुट अजय गुप्ता और दूसरा गुट नवीन गुप्ता की अध्यक्षता में सक्रिय है और दोनों ही संगठनों में सत्ताधारी दल भाजपा समर्पित व्यापारियों का वर्चस्व कायम है। इसलिए सभी प्रयासों के बावजूद ज्यादातर बाजारों के व्यापार संघ अभी निष्पक्ष बने हुए हैं लेकिन बिखराव इनमें भी शुरू हो गया है।
शहर की सबसे मजबूत व्यापारियों की संस्था सदर व्यापार मंडल जिसकी धमक एक समय संयुक्त व्यापार संघ से लेकर प्रदेश स्तर तक सुनाई देती थी। अब टुकड़े होकर चार भागों में विभाजित हो गया है। बताते चलें कि एक व्यापार मंडल केंद्रीय जो जकीउददीन गुडडू व रितेश जायसवाल, विजय चौक से दिल्ली छोले वाले तक दूसरा टंकी मोहल्ला की धर्मशाला से चौक बाजार तक त्रिवेणी व्यापार संघ विजय ओबराय ओर राजेंद्र वर्मा तथा तीसरा बॉबे बाजार व्यापार मंडल राजीव लोचन गोयल और काजी जावेद अहमद के नेतृत्व में गठित हो गया है। चौथा व्यापार मंडल अब सुनील दुआ अमित सिंघल व सचिन के नेतृत्व में सक्रिय है। कुल मिलाकर चारो मंडलों ने अलग अलग बांबे बाजार नेे हनुमान चौक सुनील दुआ गुट ने शिवचौक केंद्रीय ने विजय चौक व त्रिवेणी ने रामनाथ लडडू वालें के सामने ध्वजारोहण कर यह स्पष्ट कर दिया कि अब चारों संगठनों के पदाधिकारी व व्यापारी अब एकजुट होकर राष्ट्रीय पर्व भी मनाने को तैयार नहीं है।
पूरे सदर व्यापार मंडल में सदस्यों की संख्या को लेकर भी हमेशा विवाद रहा। कुछ लोग 500 और कुछ 700 की संख्या बताते रहे हैं। लेकिन अब बिखराव से पूर्व 78 हजार रूपये के आसपास रजबन पुल के दूसरी तरफ के व्यापारियों से लिए जाने और फिर बांबे बाजार व्यापार मंडल के कुछ व्यापारियों से लिए गए चंदे की रकम जमा ना कराया जाना विशेष रूप से चर्चा का विषय बना है। पिछले दिनों सरकारी सड़क घेरकर बनाई जा रही पुलिस चौकी को लेकर विरोध और शिकायत हुई तो वो भी विवाद का कारण रहा।
व्यापारियों का कहना है कि यही विवाद के कारण बने और सबसे बड़ा मामला वाहन पार्किंग के पैसे को लेकर छिड़ा। परिणामस्वरूप एक के चार व्यापार मंडल बनकर सामने खड़े हो गए। खबर है कि सदर व्यापार मंडल के महामंत्री अमित बंसल ने चुनाव अधिकारी रवि महेश्वरी के द्वारा सदर व्यापार मंडल के चुनाव सुनील दुआ के दबाव में घोषित 24 जनवरी से पूर्व ही कराकर पूरी कमेटी घोषित कर दी गई। जिसने विवाद में आग में घी का काम किया क्योंकि अमित बंसल पूर्व में ही काफी आरोप सुनील दुआ गुट पर लगा चुके हैं लेकिन इसके बाद अमित गुट ने डिप्टी रजिस्टार चिट फंड सोसायटी के कार्यालय में लिखित शिकायत की जिसमें कहा गया है कि 2020 -21 में चुनाव हुए जिसकी अवधि एक साल होती है। उसके बाद 2024 तक चुनाव नहीं कराए गए इसलिए सदर व्यापार मंडल कालातीत हो चुका था।
लेकिन सुनील दुआ ने सोसायटी एक्ट की धाराओं का उल्लंघन कर चुनाव कराया जो गलत है। इस पर डिप्टी रजिस्टार चिट फंड सोसायटी ने अमित बंसल की शिकायत पर 15 दिन में सुनील दुआ गुट से जवाब मांगा है। 20 जनवरी को उक्त पत्र आए सात दिन निपट चुके है। आठ दिन में क्या उत्तर पहुंचता है यह तो समय ही बताएगा लेकिन कुछ प्रमुख व्यापारियों का यह कहना समयानुकुल लग रहा है कि अभी तो एक के चार व्यापार मंडल हुए है। आगे देखिए होता है क्या क्योंकि इस व्यापार मंडल के दो दिग्गज आमने सामने आ गए हैं और इसके पीछे कई विशेष कारण है। इसलिए कभी भी कुछ भी हो सकता है। व्यापार मंडलों का गठन इसलिए हो गया कि पहले यह दोनों एकसाथ मिलकर सबकी आवाज दबा देते थे लेकिन अब जब दोनों ही लड़ रहे हैं तो दबाने की बजाय व्यापारियों को अपने समर्थन में लाने के लिए भरपूर प्रयास किए जा रहे हैं।
एक बात बहुत सही नजर आ रही है बॉबे बाजार व्यापार मंडल के राजीव लोचन केंद्रीय के जकीउददीन त्रिवेणी के विजय ओबराय सदर व्यापार मंडल के अमित सिंघल, एवं व्यापारी नेता संदीप गुप्ता ऐल्फा का कहना है कि भले ही हम अलग हो रहे है। हमारे में मतभेद हो सकते हैं लेकिन किसी भी व्यापारी पर अगर कोई परेशानी आती है तो हम एक होकर उसके साथ हैं। इसका नजारा बीती 26 जनवरी को सदर बाजार के संस्थापक रहे बलराज जी की अंतिम यात्रा में देखने को मिला क्योंकि उसमें चारांे व्यापार संघों के व्यापारी भारी संख्या में मौजूद थे।