Sunday, December 22

नारी शक्ति के लिए आत्मसम्मान जरूरी: सीता

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मेरठ 11 दिसंबर (प्र)। महिला समन्वय मेरठ विभाग की ओर से बालेराम सरस्वती शिशु मंदिर शास्त्रीनगर में मातृ शक्ति सम्मेलन ‘नारायणी’ का आयोजन किया गया। राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय कार्यवाहिका सीता अन्नदानम ने भारत माता के चित्र के समक्ष दीप जलाकर इसका शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति के लिए आत्मसम्मान जरूरी है इसलिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जागरूक करना होगा। कार्यक्रम स्थल पर डॉ. दिशा दिनेश की ओर से नारी शक्ति विषय पर प्रदर्शनी लगाई गई।

सीता अन्नदानम ने कहा कि हम जो भी कार्य करें, वह राष्ट्र के लिए उत्तम होना चाहिए। सीता माता हमारी आदर्श हैं। उनका आत्मबल उच्चकोटि का था। जिस कारण रावण कभी उनको स्पर्श भी नहीं कर सका। यह आत्म सम्मान हमारी नारी शक्ति के भीतर जागृत होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कश्मीर की महिलाएं सीमा पार होने वाली गोलाबारी के बीच भी मंदिर के बीच बैठकर भजन करतीं हैं। गोलियों को सुनने की सामर्थ्य इन्हीं भजनों से प्राप्त होती है। अमेरिका जैसे विकसित देशों में जीवन में शांति न होने के कारण व्यक्ति भटकते हैं। भारत में ऐसा नहीं हैं क्योंकि हम काफी हद तक संयुक्त परिवारों में जीवन जीते हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं ही संयुक्त परिवार की धुरी है हमें संयुक्त परिवार के साथ आगे बढ़ना होगा। बुजुर्गो द्वारा दी गई जिम्मेदारी को भारत की अगली पीढ़ी तक पहुंचाना होगा। युवा पीढ़ी को यह सब बताने और समझाने की आवश्यकता है।

वहीं, द्वितीय सत्र में हुई परिचर्चा में विभिन्न समूहों में बहनों से सकारात्मक तारतम्य स्थापित कर उनके विचार और समस्याएं जानने का प्रयास किया गया। हिंदू चिंतन में महिलाओं के अधिकारों, सुरक्षा और सशक्तिकरण पर मंथन किया गया। तीसरे सत्र में उच्चतम न्यायालय की अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने प्रमुख महत्व वाली नारी सावित्री, मीराबाई, दुर्गावती के विषय में बताया। उन्होंने कहा कि पौराणिक ग्रंथों में वित्त मंत्रालय माता लक्ष्मी, शिक्षा मंत्रालय माता सरस्वती, रक्षा मंत्रालय माता काली के पास है। भारतीय संस्कृति महिलाओं और पुरुषों में भेदभाव नहीं करती है।

हमारी संस्कृति में कुरीतियां बाहरी आक्रमणकारियों के कारण आई। इस कारण ही पर्दा प्रथा, बाल विवाह, सती प्रथा आदि ने जन्म लिया। उन्होंने कहा कि हमें स्वामी विवेकानंद की बातें जीवन में आदर्श के रूप में उतारनी चाहिएं। सबसे पहले सपने देखना चाहिए, दूसरा चरित्र नहीं तो कुछ भी नहीं तीसरा कभी डरो मत। इस अवसर पर छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कठपुतली, समूह गान और नृत्य नाटिका पेश की गई। कार्यक्रम में प्रांत संयोजिका डॉ. वेद प्रभा, विभाग संयोजिका विमिला पुंडीर, डॉ. पायल अग्रवाल, स्वाति गर्ग, खिलाड़ी अलका तोमर, गोशाला संचालिका अर्चना तोमर, बेटियां फाउंडेशन की अंजू पांडे, डॉक्टर सुनीता सूरी सहित अन्य रहीं।

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