Thursday, November 13

गोल मंदिर में तीन दिन चलेगा श्री शिव परिवार मंदिर स्थापना महोत्सव

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मेरठ 19 जुलाई (प्र)। जयदेवीनगर स्थित सिद्धपीठ आदिशक्ति दुर्गा देवी गोल मंदिर प्रांगण में 21 से 23 जुलाई तक श्री शिव परिवार मंदिर स्थापना महोत्सव आयोजित होगा । दुर्गा देवी मंदिर प्रांगण में ही शिव परिवार की प्राण- प्रतिष्ठा की जाएगी। मंदिर प्रांगण में स्थित कल्पवृक्ष का पूजन किन्नरों द्वारा किया जाएगा। शुक्रवार को दुर्गा देवी चैरिटेबल एवं धार्मिक ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने गोल मंदिर प्रांगण में पत्रकार वार्ता कर आयोजन की जानकारी दी।

मंदिर के ट्रस्टी मेजर रि. राजीव गौड़, मनीषा गौड़ व रतिका गौड़ ने बताया कि दुर्गा देवी मंदिर प्रांगण में ही शिव परिवार की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। 21 से 23 जुलाई तक तीन दिवसीय आयोजन में नर्मदेश्वर से मंगाकर शिवलिंग स्थापित किए हैं। प्रथम दिवस शिव परिवार की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। जयपुर से शिव परिवार के विग्रह मंगाए गए हैं, जो मकराना पत्थर के हैं। 22 जुलाई को प्रातः नौ बजे पांच किन्नर मंदिर प्रांगण में लगे कल्पतरु का पूजन करेंगे। 23 को शिवरात्रि पर जलाभिषेक व महाआरती की जाएगी। पंडित संजीव वशिष्ठ, प्रबंधक मनोज कुमार शर्मा व मनोज अग्रवाल मौजूद रहे।

विश्व में पांच स्थानों पर कल्पतरु, मेरठ भी एक
मंदिर के पंडित संजीव वशिष्ठ ने बताया कि कल्पवृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। इसके बारे में रामचरितमानस व महाभारत में भी वर्णन है। इसकी रक्षा किन्नर व किन्नरी समाज करता है। मंदिर प्रांगण में यह पेड़ 2011 में रोपा गया था। इस वृक्ष की पत्ती को देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) में परीक्षण के लिए भेजा गया था। जवाब में संस्थान के वनस्पति विज्ञानी डा. सुभाष नौटियाल ने पत्र भेजा और कहा है कि यह पत्ती कल्पतरु की है, जो इस समय में विश्वभर में केवल पांच स्थानों पर है, जिसमें से मेरठ एक है। अन्य चार स्थानों में जोशीमठ, अजमेर, बाराबंकी व रांची शामिल है। संस्थान की प्रयोगशाला से प्रमाणित कर मंदिर ट्रस्ट को इसका प्रमाण पत्र भी प्राप्त हुआ है।

संजीव वशिष्ठ कहते हैं कि कल्पवृक्ष स्वर्ग का एक विशेष दिव्य वृक्ष है। पौराणिक कथा व हिंदू मान्यता के अनुसार इस वृक्ष के नीचे बैठकर की जाने वाली सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। वृक्ष में अपार सकारात्मक ऊर्जा होती है। समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में से एक कल्पवृक्ष भी शामिल है। इस वृक्ष की ऊंचाई 70 फीट तक हो सकती है।

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