Wednesday, March 12

विश्व साईकिल दिवस पर विशेष! आओ आर्थिक तंगी दूर करने बीमारियों से बचे रहने परिवार की खुशहाली और बच्चों के सुखमय भविष्य के लिए चलाएं साईकिल

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अनियमित खान पान की नागरिकों में बढ़ती प्रवृति अनेक बीमारियों का कारण है। यह जानने के बाद भी हम इस ओर से अंजान बने बैठे हैं। परिणामस्वरूप इसको लेकर हो रही बीमारियों और उनसे होने वाले शारीरिक व आर्थिक नुकसान का असर जब नजर आने लगा तो स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी। और डॉक्टरों की सलाह के अलावा भी नागरिक विभिन्न तरीके अपनाकर व आयुर्वेद व यूनानी नुस्खों का उपयोग कर स्वस्थ बने रहने की कोशिश करने लगे। लेकिन बीमारियां इस कारण से जो बढ़ रही थी उन पर आसानी से रोक नहीं लग पा रही थी ऐसे में योग गुुरू बाबा रामदेव चर्चाओं में आए और उन्होंने समाज के एक विशेष वर्ग की रूचि खुशहाल और स्वस्थ रहने की विकसित की लेकिन पीएम मोदी द्वारा जिस प्रकार से अपने मन की बात के प्रति आम और खास बच्चे और बूढ़े महिला पुरूषों को आर्किर्षत किया गया उसी प्रकार पीएम ने योग के प्रति नागरिकों में जागरूकता का जो श्रीगणेश किया उसका असर अब दिखाई देने लगा है। शहर हो या गांव गली मोहल्लो में हर वर्ग के व्यक्ति योग करते नजर आते हैं। इससे बीमारियां कितना थमी यह तो आंकड़े नहीं है लेकिन काफी हद तक रूकी।
लेकिन प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान को बढ़ावा दिए जाने के बावजूद साफ सफाई के लिए जिम्मेदार निकायों के अफसरों की गैरजिम्मेदारी व लापरवाही का परिणाम कह सकते हैं कि चारों और व्याप्त रहने वाली गंदी और प्रदूषित हवा ने कई नई बीमारियों को जन्म दिया है। अगर इन्हें अभी नहीं रोका गया तो जीवन के लिए यह काफी कष्टदायक हो सकती है।
बड़े बुजुर्ग हमेशा कहते चले आए हैं कि तालियां बजाने से ह्रदय संबंधी रोगों में कमी आती है। हंसने से स्वास्थ्य सही रहता है और नृत्य करने से कई प्रकार की शारीरिक कमियों को दूर किया जा सकता है जो दुनिया का सबसे बड़ा इलाज कह सकते हैं। दोस्तों आज हम विश्व साईकिल दिवस मना रहे हैं। यह विश्वास से कहा जा सकता है कि साईकिल हर लिहाज से बेहतर है। इससे शरीर की मांसपेशियों को रिलेक्स मिलता है और शरीर रोग मुक्त होने की तरफ बढ़ता है। अगर देखें तो साईकिल चलाना संपूर्ण व्यायाम है। इससे शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है। और खुले में साईकिल चलाने से काफी फायदे होते हैं। वर्तमान समय मंे स्कूटर मोटरसाइकिल से भी महंगी साइकिलें बाजार में है। 15 हजार से 5 लाख रूपये तक की साईकिल मिलना आम है। यह क्षेत्र कितना विकसित हो रहा है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि नए नए लोग व्यवसाय ढूंढने इस क्षेत्र में आ रहे हेैं और इसका व्यापार बढ़ता ही जा रहा है। कुछ लोग साईकिल से दुनिया के कई देशों की दूरी नाप चुके हैं। तो कितने ही प्रमुख लोग अपने देश में तमाम जगह कई कई हजार किमी की साईकिल यात्रा कर इसके प्रति जागरूकता बढ़ा चुके हैं। कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि साईकिल चलाना कॉर्डियो वास्कुलर के लिए उत्तम है। ह्रदय व मतिष्क में इसमें सुधार होता है। यह मधुमेह को नियंत्रित करती है। पल्मोनरी सिस्टम बेहतर बनता है। रक्त संचार व स्टेमिना का स्तर सुधारता है। कई अन्य लाभ भी इससे शरीर को होते हैं। साथियों मैं पिछले छह दशक से कम या ज्यादा रोज साईकिल चलाता आ रहा हंू। जब मुफलिसी के दिन थे तो दस पैसे घंटा किराए पर लेकर चलाता था और अब एक सामान्य लगभग साईकिल पांच किलोमीटर रोज चलाता हंूं। इसके क्या क्या फायदे हो सकते हैं यह तो डॉक्टर ही बता सकते हैं लेकिन जितना मैंनें महसूस किया शरीर के जो हिस्से जाम होने लगते हैं वो इसे चलाने से ठीक होते है।। संास फूलने की समस्या पर कंटोल होता है। साईकिल चलाने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि परिवार की खुशहाली बच्चों के सुखमय भविष्य निरोगी काया और आर्थिक बचत व अच्छी नींद साईकिल चलाने से प्राप्त होती है। यह अपनेआप में एक बड़ी बात है। एक जमाना था तब मैं साईकिल चलाता था तो लोग पूछते थे कोई परेशानी है। आज सड़क पर एक से एक बड़ा धनवान साईकिल चलाता नजर आता है। उस समय यह आर्थिक तंगी का प्रतीक मानी जाती थी और आज यह स्टेटस सिंबल बन गई है। कुल मिलाकर आम के आम गुठलियों के दाम वाली कहावत साईकिल पर सही उतरती है क्योंकि जहां तक पिछले छह दशक में दिखाई दिया उससे यही लगता है कि इससे नुकसान कुछ नहीं है फायदा भले ही कितना हो। आओ साईकिल की महत्ता को ध्यान में रखते हुए आज विश्व साईकिल दिवस के मौके पर धरती पर पर्यावरण संतुलन बनाए रखने और डीजल पेट्रोल से बढ़ने वाली बीमारियों को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा साइकिल प्रतिदिन चलाने का संकल्प खुद भी लें और अपने परिवार के सदस्यों दोस्तों परिचितों को इसके लिए प्रेरित करें।
क्योंकि यह एक ऐसा इलाज है जो हर गरीब आदमी आसानी से उपयोग में ला सकता है। काम सब एक ही करती है। यह हमे देखना है कि इसे स्टेटस सिंबल बनाना है या स्वास्थ्य का माध्यम।
(प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई राष्ट्रीय महासचिव सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए एवं पूर्व सदस्य यूपी मजीठिया बोर्ड)

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