Saturday, July 27

केन्द्र संचालक की लापरवाही से परीक्षा नहीं दे सकी छात्रा

Pinterest LinkedIn Tumblr +

मेरठ, 23 फरवरी (प्र)। केन्द्र संचालक की लापरवाही से छात्रा का सिपाही बनने का सपना टूट गया। गलत सेंटर पर छात्रा को घंटो तक गुमराह करके इधर से उधर टरकाया जाता रहा। बाद में छात्रा जब सही सेंटर पर पहुंची तो एक घंटा विलम्ब होने से उसे केन्द्र में नहीं बिठाया गया। पीड़ित छात्रा ने केन्द्र संचालक के खिलाफ डीएम से शिकायत की है।

खुर्जा की रहने वाली चांदसी नामम छात्रा ने कर्मचरी चयन आयोग से केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल सीआरपीएफ में सिपाही परीक्षा-2024 के लिए फार्म भरा था। उसका सेंटर बाईपास स्थित एमआईईटी कॉलेज में पड़ा। छात्रा को सुबह 7.45 बजे सेंटर पर पहुंचना था। इसलिए वह एक दिन पूर्व ही अपने पिता के साथ मेरठ पहुंची। छात्रा यह एडमिट कार्ड लेकर बीआईटी कॉलेज पहुंच गई। वहां गेट पर उसका एडमिट कार्ड देखकर उसे कॉलेज में प्रवेश तो दे दिया गया, लेकिन छात्रा का आरोप है कि कॉलेज के चेकिंग स्टाफ ने उसके हाथ में पहनी सोने की दो अंगूठी, घड़ी तथा पर्स बाहर ही रखवा लिये तथा उसे कॉलेज मे अंदर जाने दिया। बीआईटी में अन्य छात्राओं का भी सेंटर था।

चांदसी का कहना है कि वह सुबह साढ़े सात बजे इस कॉलेज में पहुंची थी तथा परीक्षा का समय सुबह साढ़े 8 बजे से था। जब वह परीक्षा कक्ष में पहुंचकर अपनी सीट की तलाश करने लगी तो वहां पहुंचे शिक्षक ने उसके एडमिट कार्ड को देखकर गलत सेंटर पर आने की जानकारी दी। तब परीक्षा शुरू होने में महज पांच मिनट बाकी थे। वह दौड़ती हुई बाहर आई तथा बीआईटी कॉलेज के बाहर खड़े अपने पिता को साथ लेकर एमआईईटी कॉलेज पहुंची, लेकिन वहां उसे प्रवेश परीक्षा शुरू होने के एक घंटा विलम्ब होने की बात कहकर बैरंग कर दिया गया।

छात्रा का कहना है कि वह दोबारा से बीआईटी कॉलेज पहुंची तो वहां उसे गेट से अंदर ही नहीं जाने दिया तथा न ही तलाशी के दौरान उसके पास से ली गई अंगूठी, पर्स और घड़ी वापिस की गई है। जबकि केन्द्र पर लगे सीसीटीवी कैमरों में इसकी बाकायदा रिकार्डिंग भी मौजूद होगी। छात्रा घंटो तक वहां अपना दुखड़ा सुनाती रही, लेकिन कोई भी उसका दुख-दर्द न तो दूर कसा सका और न ही उसका सामान ही वापस दिला सका। छात्रा ने अपने पिता के साथ इस मामले की लिखित शिकायत डीएम दीपक मीणा से की है। उक्त खबर को पढ़कर पाठकों में चर्चा रही कि इस स्कूल को भविष्य में कभी सेंटर ना बनाया जाए और बच्ची को इसका संचालक दोबारा परीक्षा दिलाए। और जो आर्थिक व मानसिक पीड़ा हुई है उसका हर्जाना भरे।
भविष्य में इस प्रकार से कोई भी बच्चा चाहे लड़का हो या लड़की परीक्षा देने से वंचित न रहे इस हेतु सेंटर संचालक को भी ऐसे मामले में तुरंत निर्णय लेने के अधिकार दिये जाए।

Share.

About Author

Leave A Reply