मेरठ 14 नवंबर (प्र)। नगर निगम के लिपिक धर्मेंद्र कुमार के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति का मामला दर्ज होने के लगभग दो साल बाद भी कार्रवाई न होने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। साथ ही, एसएसपी एवं एसपी विजिलेंस मेरठ सेक्टर को एक महीने कार्रवाई करते हुए आशय का प्रमाण पत्र न्यायालय में दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इससे नगर निगम लिपिक पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है।
आय से अधिक सम्पत्ति का मामला
उप्र सतर्कता अधिष्ठान, मेरठ सेक्टर की निरीक्षक मंजु लता कुशवाह ने 27 जनवरी 2024 को नगर निगम के लिपिक धर्मेंद्र कुमार पुत्र पारसनाथ निवासी ग्राम हरसिंहपुर, जनपद आजमगढ़ के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (1) (बी) एवं 13 (2) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया था। खुली जांच के बाद 27 सितंबर 2023 शासन को आख्या भेजी गई। जांच में आय के समस्त स्रोतों से कुल आय 1,05,07,307 अर्जित की गई। इस अवधि धर्मेंद्र कुमार द्वारा परिसंपत्तियों के अर्जन एवं भरण – पेषण पर 2.03,38,468 रुपये व्यय किया गया। जांच के लिए निर्धारित अवधि में लिपिक धर्मेंद्र कुमार द्वारा आय के ज्ञात व वैध स्रोतों से अर्जित की गई अपनी आय के सापेक्ष 98,31,161 रुपये अर्थात् 93.567 प्रतिशत अधिक व्यय किया गया।
मुकदमा दर्ज पर कार्रवाई भूला विजिलेंस
जनवरी 2024 में नगर निगम लिपिक धर्मेंद्र कुमार के लिखाफ मुकदमा दर्ज होने और खुली जांच में आय से 98.31 लाख रुपये अधिक की सम्पत्ति अर्जित किये जाने के बाद भी कोई कार्रवाई विभाग की ओर से नहीं की गई। इसके बाद राहुल ठाकुर ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए कोर्ट संख्या 37 में एसएसपी और एसपी विजिलेंस सेक्टर मेरठ को पक्ष कार बनाए जाने की मांग अदालत से की। जिस पर कोर्ट ने आवेदन पत्र स्वीकार कर लिया। अदालत ने 10 दिसंबर 2024 को पारित न्यायालय के आदेश के अनुपाल में आज तक जांच पूरी न किये जाने पर नाराजगी जताई।
एक माह में आदेश का हो अनुपालन
हाईकोर्ट ने गत 13 नवंबर को जारी आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया मामले में न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत अवमानना के लिए विचार की आवश्यकता है। विपक्षी को नोटिस जारी किया जाए जिसमें उससे यह अपेक्षा की जाए कि वह या तो नोटिस प्राप्त होने की तारीख से एक महीने के भीतर इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश का अनुपालन करें। और अगली निर्धारित तारीख को या उससे पहले अनुपालन हलफनामा दायर करें या कारण बताएं कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई तीन फरवरी 2026 निर्धारित की है।
