आरोप प्रत्यारोप और हंगामे के बाद लगभग 12 घंटे चली बहस के उपरांत वक्फ बिल 288 के समर्थन से पास हो गया। विपक्ष में 232 वोट पड़े। लोकसभा में पारित होने के बाद आगे इस पर क्या निर्णय होता है यह तो समय ही बताएगा लेकिन यह कह सकते हैं कि बिल पास हो ही जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का कहना है कि वक्फ कानून सबको मानना पड़ेगा। मात्र घोषणा से कोई भी संपत्ति वक्फ की नहीं हो सकती। लेकिन एक बात वक्फ बिल के पेश होने से साफ हो गई कि आज भी लोकसभा चुनाव की भांति पक्ष और सहयोगी दल तथा विपक्षी दल एकमत हैं कुछ मुददों को लेकर। बताते हैं कि संसद की बिल्डिंग पर भी था वक्फ का दावा। यह भी कहा जा रहा है कि वक्फ पर लालू की इच्छा पीएम मोदी ने पूरी की। सपा मुखिया अखिलेश यादव का कहना है कि वक्फ बिल के पीछे सरकार की नीति महंगाई बेरोजगारी के मुददों से निगाह हटाने के लिए यह किया जा रहा है तो गौरव गोगोई कांग्रेस सांसद का कहना है कि इस बिल के जरिए सरकार की नजर अल्पसंख्यक समुदायों की जमीनों पर है। तो केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री किरेण रिजिजु का कहना है कि सरकार और वक्फ बोर्ड मस्जिद समेत किसी धार्मिक कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। जदयू सांसद लल्लन सिंह ने कहा कि वक्फ कोई मुस्लिम संस्था नहीं है। विधेयक पारित होने पर मुस्लिम हितों की रक्षा होगी। उधर बिल पर चर्चा हो रही थी तो कुछ मुस्लिम संगठनों द्वारा प्रदर्शन किए जा रहे थे। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि अदालत ने चुनौती देने की तैयारी की जा रही है। बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद साहब का कहना है कि वक्फ की संपत्ति गरीबों के लिए हो। तो सपा सांसद इकरा हसन कह रही है कि वक्फ बिल मुस्लिमों की विरासत मिटाने वाला है। रालोद सांसद डॉ. राजकुमार सांगवान ने वक्फ बिल का समर्थन किया। और कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के कुशल प्रबंधन का मार्ग प्रशस्त करता है। बहस के दौरान संसद में मेरठ के कवि अजहर इकबाल का एक मुक्तक भी पढ़ा गया। अब बिल पास हो जाता है तो कोई विरोध करे या समर्थन संसद का कानून है सबको मानना ही पड़ेगा। सबसे बड़ी बात है कि कुछ मुस्लिम महिलाओं द्वारा मध्य प्रदेश के भोपाल में हाथों में गुलाब लेकर वक्फ बिल का समर्थन किया है। तो मुरादाबाद में भारतीय सूफी फेडरेशन के अध्यक्ष कशिश वारसी का मत है कि जो लोग इस बिल का विरोध कर रहे हैं उन्होंने वक्फ की जमीनों को मुक्त कर दिया होता तो उनका विरोध अच्छा लगता। उन्होंने पूछा कि आजतक वक्फ बोर्ड ने क्या किया। गरीब मुस्लिमों को हक नहीं दिया गया। वक्फ की संपत्ति पर ना अस्पताल बना ना स्कूल। गरीब मुस्लिमों के लिए कहीं मकान नहीं बनाए। बोर्ड ने जेब भरने के अलावा कोई काम नहीं किया।
वक्फ की संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल का कहना है कि पसमांदा और गरीब मुसलमानों को होगा फायदा। उन्होंने बिल पास होने को ऐतिहासिक दिन बताया।
मैं किसी का ना समर्थन करता हूं ना विरोध लेकिन जो एक दशक में देखा वो यह है कि वक्फ संपत्ति की देखभाल करने वाले जिनके लिए यह संपत्तियां थी उनके बारे में सोचने के बजाय लाखों करोड़ों की संपत्ति पर कब्जा कराने या उन्हें किराए पर उठाने या बेचने के लिए ज्यादा काम किया। गरीब मुस्लिमों के लिए कोई बड़ी योजनाएं चलाई गई हो ऐसा नजर नहीं आ रहा है। जो भी काम होगा सत्ता पक्ष समर्थन और विपक्ष विरोध करेगा। यह भी सही है कि सरकार के ज्यादातर प्रयास सफल होंगे। जरूरी है विपक्ष अपना ध्यान इस बात पर लगाए कि बिल में जो सुविधाएं देने की बात की जा रही है उनका पालन वक्फ संपत्ति की देखरेख करने वाला संगठन पूरा कर रहा है या नहीं। वैसे जिस हिसाब से वक्फ बिल का विरोध होना चाहिए था वो नजर नहीं आया। जो इस बात का प्रतीक कह सकते हैं कि जिस प्रकार भोपाल में मुस्लिम महिलाओं द्वारा और यूपी में भारतीय सूफी फांउडेशन ने वक्फ बिल का समर्थन किया उससे शायद आम मुसलमान भी इसके समर्थन में नजर आता है। क्योंकि भाजपा नेता मोहसिन रजा का मानना है कि गरीब मुस्लिमों के लिए यह बिल कल्याणकारी है। आम मुसलमान भी इसे अपने हित में ही मानता हो। पूर्व में तीन तलाक व अन्य बिल जो पास हुए उसे देख कह सकते हैं कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की कुछ योजनाओं का भले ही विरोध होता हो मगर काफी जन समुदाय हर मामले में उनका समर्थन करता चला आ रहा है। वक्फ बिल पास होना भी इसका प्रतीक है। अगर ऐसा नहीं होता तो सत्ता दल के कुछ सदस्यों में भी बिखराव हो सकता था।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
वक्फ बिल पास होना तय है! विपक्ष गरीबों के लिए किए गए प्रावधान का लाभ दिलाने के लिए करे काम
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