Tuesday, August 12

यह हमारी निजी संपत्ति है, सरकार जबरन ले रही है… बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में गरमाहट

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नई दिल्ली 05 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर दोनों पक्षों पर टिप्पणी की। मंदिर का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अत्यधिक जल्दबाजी में अध्यादेश जारी करने पर सवाल उठाया। साथ ही गोस्वामी पक्ष की दलील पर टिप्पणी की कि बांके बिहारी मंदिर निजी कैसे हो सकता है। अदालत ने कहा कि मंदिर का प्रबंधन निजी हो सकता है, लेकिन कोई देवता निजी नहीं हो सकता।

अदालत ने 15 मई को पारित फैसले के निर्देशों को वापस लेने का प्रस्ताव रखा। निर्देशों के तहत राज्य सरकार को मंदिर कोष के करीब 300 करोड़ रुपये का इस्तेमाल पुनर्विकास कार्यों के लिए करने की अनुमति दी गई थी। जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने राज्य सरकार द्वारा जारी अध्यादेश की वैधता पर इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा फैसला लिए जाने तक मंदिर प्रबंधन की देखरेख को एक हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में समिति गठित करने का भी प्रस्ताव रखा। इसके साथ ही, पीठ ने यूपी सरकार द्वारा जारी अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी।

धार्मिक स्थल को निजी कहना भ्रम
सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर को निजी कहे जाने पर एतराज जताते हुए गोस्वामी परिवार से कहा कि आप एक धार्मिक स्थल को ‘निजी’ कह रहे हैं, यह एक भ्रम है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जहां लाखों श्रद्धालु आते हैं, वह निजी कैसे हो सकता है? पीठ ने यह टिप्पणी तब की, जब मंदिर का प्रबंधन करने वाले गोस्वामी परिवार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि मंदिर निजी है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि यह एक अलग मुद्दा है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि परिवार द्वारा मंदिर के अनुष्ठान पहले की तरह जारी रहेंगे। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि कलेक्टर और अन्य अधिकारी भी समिति का हिस्सा होंगे। पीठ ने यह भी प्रस्ताव दिया कि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भी समिति में शामिल किया जा सकता है। इससे पहले, श्री बांके बिहारी मंदिर के पूर्व प्रबंधन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने शीर्ष अदालत से 15 मई के फैसले पर भी आपत्ति जताते हुए वापस लेने का आग्रह किया।

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