मेरठ, 03 फरवरी (प्र)। नगर निगम में टैक्स के नाम पर चल रहा खेल जारी है। हैरानी की बात तो यह है कि टैक्स के नाम पर खेल को लेकर कुछ दिन पहले फसाद हो चुका है, लेकिन कुछ पार्षदों का आरोप है कि उसके बाद भी ऊपर की मोटी कमाई के लालच में यह सब जारी है। हालांकि इस को लेकर कुछ पार्षदों ने पिछले दिनों जिला प्रशासन से सीएम को भेजे गए शिकायती पत्र में इस खेल पर रोक लगाए जाने की भी मांग की।
पूर्व पार्षद अब्दुल गफ्फार ने टैक्स के नाम पर चल रहे खेल में सनसनी खेज खुलासा किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक भवन में तीन-तीन हाउस टैक्स लगा दिए गए हैं। बकौल पूर्व पार्षद इस खेल की मुख्य वजह हाउस टैक्स के बिलों को ठीक कराने के लिए नगर निगम के धक्के खाने वालों की जेब ढ़ीली कराना है। पूर्व पार्षद गफ्फार ने जानकारी दी कि मकान नंबर 443 फतेहल्लापुर रोड-1 लिसाडीगेट पर केवल मकान के नंबर बदल कर तीन-तीन बिल भेज दिए गए हैं। यह सब टैक्स के नाम पर उगाही करने वालों का खेल भर है। इस खेल के शिकार न जाने कितने लोग अब तक हो चुके हैं। इसकी शिकायत भी नगरायुक्त से की जा चुकी है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
वहीं दूसरी ओर हाउस टैक्स के बिलों को सही करने के नाम पर चल रही लूट की शिकायत कुछ पार्षदों ने डीएम की मार्फत सीएम को भेजी है। जिसमें कहा गया है कि नगर निगम मेरठ के क्षेत्र में गरीब व्यक्ति लघु उद्योगों के कार्य से गुजर बसर कर रहे हैं। नगर निगम के हाउस टैक्स विभाग द्वारा लघु उद्योगों पर कमर्शियल टैक्स लगाकर मलिन, दलित, अल्पसंख्यक बस्तियों के नागरिकों का उत्पीड़न किया जा रहा है। एक ओर तो केंद्र व प्रदेश सरकार लघु उद्योगों पर छूट दे रही है, परंतु नगर निगम मेरठ ऐसे उद्योगों पर जबरन कमर्शियल टैक्स लगाकर उत्पीड़न कर रहा है। हाउस टैक्स नगर निगम नियमावली के अनुसार मालिन दलित अल्पसंख्यक बस्तियों के रेट अधिक है जबकि अप्रूव्ड कॉलोनी के सर्किल रेट कम हैं। हाउस टैक्स विभाग मालिन, दलित व अल्पसंख्यक इलाकों के छोटे बकायेदारों पर सीलिंग की कार्रवाई कर रहा है, जबकि बड़े बकायदारों से हाउस टैक्स की बकाया वसूली नहीं की जा रही है। ज्ञापन में कहा गया है कि इस संबंध में जांच कराकर कार्रवाई की जाए। ज्ञापन देने वालों में पूर्व पार्षद अब्दुल गफ्फार, फजल करीम पार्षद सदस्य कार्यकारिणी, सुखपाल निम्मी, रिजवान अंसारी, शाहिद अंसारी, महसर गुड्डु आदि भी शामिल रहे। उन्होंने बताया कि इस संबंध में जिला प्रशासन को भी अवगत कराया गया है कि एक ही संपत्ति पर कई-कई बिल भेजे जा रहे हैं। इससे लोग दहशत में हैं।