परीक्षितगढ़ 17 जून (प्र)। जेठ के दशहरे के मौके पर खरखाली गांधी घाट पर आयोजित मेले में प्रशासनिक बदइंतजामी ने दो चचेरे भाइयों की जान ले ली। लोगों का कहना है कि प्रशासन ने यदि गोताखोर तैनात किए होते तो शायद चचेरे भाइयों को मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकता था। बदइंतजामी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हादसे की सूचना की सूचना दिए जाने के बावजूद अफसरों को मौके पर पहुंचने में चार घंटे का वक्त लगा। स्थानीय गोताखोरों की मदद से छह घंटे बाद दोनों के शब बरामद हुए।
गांव खरखाली गांधी गंगा घाट पर दशहरे का मेला प्रतिवर्ष लगता है। रविवार को अमरसिंहपुर निवासी मोनू उर्फ मोंटी (18) पुत्र राजू व मनीष (17) पुत्र अशोक दोनों चचेरे भाई है, स्नान के लिए आए हुए थे। उनके साथ ही गांव के ही सनी पुत्र मदन, शिव पुत्र जीत स्नान कर रहे थे। चारों युवक स्नान करते हुए पानी के तेज बहाव के चलते गहरे पानी में पहुंचे गए और डूबने लगे। उन्होंने मदद को शोर मचाया। आवाज सुनकर कुछ लोग गंगा में कूद गए डूब रहे सनी व शिव को बचा लिया, लेकिन मोनू उर्फ मोंटी व मनीष गंगा में समा गए।
हादसे की सूचना पर सीओ सदर देहात नवीना शुक्ला, मवाना नायब तहसीलदार अंकित तोमर, थाना प्रभारी विजय बहादुर मयफोर्स के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। स्थानीय गोतोखोरों की मदद से मोनू उर्फ मोंटी के शव को करीब 11 बजे तथा मनीष के शव को करीब एक बजे 200 मीटर दूरी से दोनों के शव को बरामद कर पंचनामा भरकर मोर्चरी भेज दिया। युवकों की मौत से परिवार में कोहराम मच गया।
राष्ट्रीय पंचायती राज ग्राम प्रधान संगठन जिला प्रभारी अजय सागर ने बताया कि शासन-प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा का कोई खास इंतजाम नहीं किया। मेले में महिलाओं के स्नान के लिए अलग से कोई व्यवस्था, शौचालय की व्यवस्था, पानी की व्यवस्था नहीं थी तथा पीएसी गोतोखोर तैनात होने चाहिए थे, लेकिन शासन-प्रशासन की अनदेखी के कारण दो युवकों की गंगा में डूबने से मौत हो गई। शासन-प्रशासन से दोनों पीड़ित परिवार को 10-10 लाख रुपये की मुआवजे की मांग की है।