आज से लगभग तीन दशक पूर्व नागरिकों के स्वस्थ मनोरंजन और बाहर घूमने के लिए पार्को के नाम पर कैंट क्षेत्र में कंपनी बाग गांधी बाग और शहरी क्षेत्र में घंटाघर के निकट स्थित टाउन हाल का पार्क हुआ करता था। इनके प्रति आकर्षण इसलिए भी होता था कि कैंट बोर्ड और नगर पालिका इन दोनों पार्कों की देखभाल सौंदर्यीकरण के लिए भरपूर प्रयास किया करते थे। धीरे धीरे बाहरी क्षेत्रों और दिल्ली, बिजनौर बड़ौत बागपत जाने वाले मार्गों और लिंक रास्तों पर नई कॉलोनियां बसनी शुरू हुई और उनमें बने पार्कोँ के सौंदर्यीकरण को लेकर प्राइवेट कॉलोनाइजरों व मेडा व नगर निगम के अधिकारियों ने बड़े बड़े दावे किए और इनके रखरखाव के लिए कर्मचारी नियुक्त करने के साथ ही मोटा बजट भी सुंदरता बनाए रखने के लिए दिया जाने लगा। जैसे जैसे समय बीतने लगा कुछ वीआईपी इलाकों को छोड़कर नई कॉलोनियों में बने पार्को की बुरी स्थिति हो गई है। कंपनी बाग तो फिर भी ठीकठाक स्थिति में है लेकिन टाउन हाल पार्क जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा लगी है और इसका अनावरण जब हुआ था तो पार्क के रखरखाव और घूमने लायक बनाने सफाई और फव्वारा लगवाने के दावे किए गए थे। प्राइवेट कॉलोनाइजनों ने तो पार्को की जमीन पर घर ही बना दिए बताते हैं। चाणक्यपुरी जैन नगर जैसी कॉलोनी में पार्क की जगह तो है लेकिन रखरखाव नहीं है। मेडा द्वारा विकसित वीसी निवास वाली कॉलोनी रक्षापुरम और एक दो और क्षेत्र जहां कोई वीआईपी रहता है वहां पार्क तो है लेकिन मानक के अनुसार वहां भी व्यवस्था नजर नहीं आती। नगर निगम और मेडा में इनके नाम पर धन तो खूब खर्च हो रहा है और कर्मचारियों की तैनाती भी बताई जाती है लेकिन पैसा कहां जाता है कर्मचारी क्या करते हैं यह किसी को नहीं पता अफसर तो शायद देखना ही नहीं चाहते हैं। आज एक खबर पढ़ी कि कमिश्नरी पार्क के सौंदर्यीकरण का मेडा ने छोड़ा ई टेंडर २० करोड़ की लागत से कमिश्नरी पार्क को किया जाएगा आधुनिक। नए मंडलायुक्त आए हैं और उन्होंने सफाई आदि पर विशेष ध्यान दिया है तो मेडा ने शहरवासियों के अनुसार उन्हें खुश करने के लिए ई टेंडर का मुददा उछाल दिया। इससे पहले भी कई बार वीआईपी क्षेत्रों के पार्कों के सौंदर्यीकरण पर काफी धन खर्च हो चुका है लेकिन कुछ दिनों बाद स्थिति वहीं ढाक के तीन पात होकर रह जाती है।
मंडलायुक्त जी इस शहर की ८० प्रतिशत आबादी घने इलाकों में निवास करती है जहां पार्को की बात तो दूर सफाई भी पूर्ण रूप से नहीं होती। कभी आप आकस्मिक निरीक्षण कीजिए वो वहां मुंह पर रूमाल रखे बिना खड़ा भी नहीं हुआ जा सकता। टाउन हाल के पार्क में महापौर की शपथ होती थी और सुबह शाम नागरिक यहां टहलने आते थे। वर्तमान में यहां लगा फव्वारा खंडहर बना है। जानवरों की गंदगी तिलक हॉल की दीवारों में पौधे निकले आए हैं और पार्क की हालत यह है कि वहां तक पहुंचना ही मुश्किल है वहां बदबू के चलते बैठना ही मुश्किल है।
नगरायुक्त जी गली मोहल्लों में रहने वालों का क्या होगा
मंडलायुक्त जी आप जिन जिलों में रहे वहां काफी काम कराया गया और नागरिकों की समस्याओं के समाधान के साथ ही सरकारी नीतियों का लाभ जनता तक पहुंचाने का काम किया है। आपने शहर का दौरा किया। नगरायुक्त अब पार्को के रखरखाव की बात कर रहे हैं। बीते दिनों नगरायुक्त ने कहा कि कुछ मार्गो की सफाई होगी तो सवाल उठता है कि बाकी मार्गो पर रहने वालों का क्या होगा। मेडा ने कमिश्नरी पार्क का सौंदर्यीकरण कर आपको खुश करने और शहर के अन्य पार्को की दुदर्शा से आपका ध्यान हटाने के लिए यह मुददा उठाया लगता है नागरिकों के अनुसार। पहले तो यह कि बीस करोड़ इसमें कहां खर्च होंगे। अच्छा तो यह है कि मेडा की कॉलोनियों में इस बजट को बांटकर एक करोड़ से कमिश्नरी पार्क और बाकी से अन्य पार्को का सुधार कराया जाता।
मंडलायुक्त जी टाउन हाल पार्क का निरीक्षण कीजिए
मंडलायुक्त जी चार्ज संभालते ही आपने जो नगर निगम निरीक्षण का काम शुरू किया वो पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी की जनमानस को गंदगी मुक्त माहौल उपलब्ध कराने की नीति का हिस्सा है। आपसे अनुरोध है कि एक बार आप टाउन हाल पार्क सहित शहर की कॉलोनियों के पार्को में से किसी का दौरा कर लें और फिर नगर निगम मेडा आवास विकास के पार्को का अपने सहयोगी अपर आयुक्त से निरीक्षण करा लें तो हो सकता है कि शहरवासियों को सुंदर पार्क में घूमने का मौका मिल जाए। वरना तो पार्को में बंदरबांट इन विभागों में चलती रहेगी और अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को गुमराह करने के लिए चौराहों व पार्को का सौंदर्यीकरण का काम किया जाता रहेगा और बजट की बंदरबाट होती रहेगी। ऐसा ना हो इसके लिए आप अपने स्तर पर पार्को का निरीक्षण जरूर कराएं। कमिश्नरी पार्क पर बीस करोड खर्च होने की भी समीक्षा की जानी चाहिए कि पूर्व में कितना खर्च हुआ और क्या काम हुआ। यहां राजनीतिक दलों व संगठनों द्वारा धरना प्रदर्शन और रैली आदि होती हैं। ऐसेे में यहां स्वच्छता होना चाहिए लेकिन आधुनिक घूम चक्कर के नाम से व्यवस्था की बात चल रही है यह ज्यादा दिन टिकने वाली नहीं है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मेडा कमिश्नरी पार्क के सौंदर्यीकरण पर कहां लगाएगा बीस करोड़! मंडलायुक्त जी ध्यान दीजिए शहर का प्राचीन टाउन हाल पार्क और आम आदमी के मनोरंजन स्थलों का भी हो सौंदर्यीकरण ?
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