Friday, October 11

17 दिन में सकुशल लौटे श्रमिक, पीएम के प्रयास रहे सराहनीय, बचाव कार्य में लगे हर व्यक्ति को बधाई

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उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में पिछले 17 दिन से फंसे 400 घंटे तक चले बचाव अभियान के बाद 41 श्रमिक सकुशल वापस आने की खबर जैसे ही बीते मंगलवार को बाहर आई सबके चेहरे खुशियों से भर गए। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यह कहते हुए कि आप वाकई बहादुर हैं सभी मजदूरों को एक-एक लाख रूपये की धनराशि और जिस कंपनी के लिए यह काम कर रहे थे उन्हें एक-एक माह का वेतन अवकाश के साथ देने का आग्रह किया। इन 17 दिनों में जब रात्रि सात बजकर 50 मिनट पर पहला और आठ बजकर 35 मिनट पर आखिरी मजदूर बाहर निकला तो लोगों के चेहरे चमकने लगे। क्योंकि यह 45 मिनट बाहर इंतजार कर रहे परिजनों के 17 दिन से भी ज्यादा उतावले पन के थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी उत्तराखंड सुरंग में फंसे सभी मजदूरों को बचाने पर खुशी व्यक्त की और कठिन काम में लगी टीम को बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा श्रमिकों के बचाव अभियान की सफलता पर दिए गए भावुक संदेश में कहा गया कि जो साथी फंसे हुए थे उनसे मेैं कहना चाहता हूं कि आपका साहस व धैर्य प्रेरित करने वाला है। मैं आपके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हुए अभियान में लगे लोगों के जज्बे को भी सलाम करता हूं। यह अभियान मानवता भरी सोच व टीम के अच्छे परिणाम का उदाहरण है। पीएम के अलावा गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय सूचना मंत्री अनुराग ठाकुर सहित विपक्षी नेताओं ने भी सकुशल वापस आए श्रमिकों के स्वास्थ्य की कामना करते हुए रेट माइनर्स की 18 सदस्यीय टीम को इस चुनौतीपूर्ण काम को 24 घंटे में पूरा करने पर बधाई दी है। बाहर निकले श्रमिकों के चेहरे की खुशी व मिली नई जिंदगी से उनके परिजन अत्यंत खुश है। इस प्रकरण में कई प्रदेशों के लोग फंसे हुए थे। इस कारण से उन सभी प्रदेशों में भी खुशी की लहर व्याप्त है। वहां के प्रमुख नागरिकों द्वारा खुशियां मनाई जा रही है। दुनियाभर का मीडिया इस अभियान की सराहना करते हुए रेट हाल माइनर्स और बचाव कार्य में लगे विनोद तथा संदीप जिन्होंने सड़क बनाने में योगदान दिया के अतिरिक्त एनार्ड डिक्स तथा दीपक भाटिया की सराहना की जा रही है। सबसे बड़ी बात यह उभरकर आई कि ऐसे कार्यों में बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली अमेरिकी मशीन ऑगर मशीन पर मानवीय पंजे इस बार भारी पड़े। कुल मिलाकर इस पूरे अभियान में जहां पीएमओ की सक्रियता से अभियान ने युद्धस्तर पर गति पकड़ी वहीं उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों की भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह बात सही है कि जो भी हुआ वो भगवान की मर्जी से सफलता मिली और बचाव कार्य में लगे लोगों को भी यह विश्वास था कि देवता कठिन परिस्थति में भी बचाएंगे। यह कह सकते हैं कि जाको राखे साईयां मार सके ना कोई वाली कहावत को साकार करते हुए इन श्रमिकों को बचाने के लिए पहाड़ का सीना चीरकर जीत गई जिंदगी और देवभूमि में मंगल के दिन मंगल खबर नेे सबको खुश कर दिया।
इतने दिन किसी एक जगह फंसे रहना कितना कष्ट कारक होता है यह तो जिन्होंने भुगता उसका अहसास वहीं कर सकते हैं लेकिन परमपिता की मेहरबानी कि कभी डगमगाते धैर्य और बहते आंसुओं ने जीवन की उम्मीद में बचाव की लड़ाई के हौंसले की उड़ान कम नहीं होने दी और श्रमिकों ने चने और सूखे मेवे खाकर नौ दिन में बाहर निकलकर खुली हवा में सांस ली। बताते हैं कि सदी के इस सबसे बड़े रेस्कयू आपरेशन में सिलक्यारा सुरंग से जो श्रमिक सुरक्षित निकले एक प्रकार से उन्होंने दूसरा जन्म ही पाया है।
एक खबर अनाधिकृत सूत्रों के अनुसार पूर्व में दुनियाभर में चलाए गए बड़े बचाव अभियानों में 2010 में चिली में खदान से कैप्सूल के जरिए बचाए गए थे 33 श्रमिक। 2018 में थाईलैंड की गुफा में फंसी टीम को ऐसे ही बचाव से निकाला गया था। 2014 में जर्मनी की गुफा में बचाव अभियान चलाया गया। 1989 में 13 नवंबर को रानीगंज बंगाल की खदान से बनी चटटानों को विस्फोट करने जा रहे 65 श्रमिकों को ऐसे ही निकाला गया था। 2002 में क्यूक्रीक हादसा भी लगभग कुछ ऐसा ही था। 77 घंटे की जददोजहद के बाद नौ श्रमिकों को निकाला गया था।
इतना बड़ा हादसा इतनी बड़ी दुनिया जिन्हें लेकर हजारों किससे और घटनाएं सुनने पढ़ने को मिल सकती है। अगर सिलक्यारा सुरंग के इस बचाव कार्य के ही पूर्ण विवरण पर निगाह डाली जाए तो कई पृष्ठ लेखन से भर सकते हैं। इसलिए स्थिति की गंभीरता और श्रमिकों की सकुशल वापसी हमारे लिए सबसे बड़ा आधुनिक संचार और इलेक्ट्रोनिक माध्यम से भगवान का विशेष तोहफा इसे हम कह सकते हैं। जब भी सीमाओं पर सेना लड़ती है या कोई विपदा आती है तो सुरक्षा बल हमारी रक्षा करते हैं। तब हम उनकी प्रशंसा करते हुए जो कप्तान या कमांडर होता है उसके सही मार्गदर्शन और निर्णयों के चलते उसे श्रेय देते हुए बधाईयां देते हैं। इस मामले में भी केंद्र प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सहित सबकी प्रार्थनाओं से हमारे श्रमिक बचकर बाहर निकल आए। लेकिन राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी और पीएम मोदी के द्वारा हर संभव सहायता और सक्रिय सहयोग और इस मामले में दिए गए निर्देश तथा पीएमओ द्वारा बरती गई सक्रियता का विशेष योगदान भगवान के आशीर्वाद से श्रमिकों को बचाने में जो सफल रहा उसके लिए यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को बधाई देते हुए उनकी सोच तथा मानवीय गुणों के लिए उनकी जितनी सराहना की जाए उतना कम है।

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