Wednesday, November 12

उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण पर 20 साल कारावास, 10 लाख का जुर्माना

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देहरादून, 14 अगस्त। उत्तराखंड में छल और बल से धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए सरकार ने वर्तमान कानून में नए सख्त प्रावधान शामिल करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी।

बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 को लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस विधेयक को 19 अगस्त से गैरसैंण में प्रस्तावित विधानसभा के मानसून सत्र में लाया जाएगा। इसके लागू होने पर राज्य में जबरन धर्मांतरण कराने के दोषियों की अधिकतम सजा को 10 साल से बढ़ाकर 20 साल करने का प्रस्ताव है। कुछ मामलों में इसे आजीवन कारावास में भी बदला जा सकता है। जबकि आर्थिक दंड को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया जाएगा।कैबिनेट में आए 25 अन्य प्रस्तावों में सरकार ने उत्तराखंड उच्चतर न्यायिक सेवा (संशोधन), नियमावली 2025 को भी स्वीकृति मिली है।

मतांतरण के लिए इंटरनेट नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल करने वालों पर आइटी एक्ट के तहत भी कार्रवाई होगी। मतांतरण के मामलों में गैंगस्टर एक्ट की तरह आरोपितों की संपत्ति की कुर्क करने के लिए डीएम को किया अधिकृत किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई कैबिनेट की बैठक में 26 विषय रखे गए, जिन्हें मंजूरी दी गई।

विधानसभा सत्र आहूत होने के चलते कैबिनेट के निर्णयों की ब्रीफिंग नहीं हुई। कैबिनेट ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में मतांतरण की घटनाओं को देखते हुए राज्य में लागू मतांतरण कानून को कठोर बनाने के दृष्टिगत धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में संशोधन विधेयक को चर्चा के बाद स्वीकृति दे दी। वर्ष 2018 से लागू इस अधिनियम में वर्ष 2022 में संशोधन किया गया था। अब इसमें जबरन मतांतरण पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए जुर्माना और सजा दोनों को बढ़ाने के साथ ही कुछ नए प्रविधान भी जोड़े गए हैं।

सामान्य वर्ग के मतांतरण के मामलों में पूर्व में दो से सात साल तक की सजा और 25 हजार रुपये के जुर्माने का प्रविधान था। अब जुर्माना राशि दोगुना करने के साथ ही सजा की अवधि तीन से 10 साल की गई है। अनुसूचित जाति, जनजाति व दिव्यांग जनों के मामलों में पूर्व दो से 10 वर्ष की सजा और 25 हजार के जुर्माने का प्रविधान था। अब सजा की अवधि पांच से 14 साल और जुर्माना राशि एक लाख रुपये की गई है।

सामूहिक मतांतरण के मामलों में पहले तीन से 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रविधान रखा गया था। अब सजा की अवधि बढ़ाकर सात से 14 साल और जुर्माना राशि एक लाख रुपये की गई है।

संशोधन विधेयक के अनुसार यदि कोई व्यक्ति मतांतरण के आशय से किसी व्यक्ति को उसके जीवन या संपत्ति के लिए भय, हमला व बल प्रयोग करता है, विवाह का वचन देता है या इसके लिए उत्प्रेरित करता है अथवा षड्यंत्र करता है, प्रलोभन देकर नाबालिक महिला व पुरुष की तस्करी करता है या फिर दुष्कर्म का प्रयास करता है तो ऐसे मामलों में भी कानून को कठोर किया गया है। इसके तहत 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा का प्रविधान किया गया है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकेगा।

विदेशी या अविधिक संस्थाओं से चंदा लेने पर 10 लाख जुर्माना
विधेयक में पहली बार यह प्रविधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति जबरन मतांतरण के संबंध में किसी विदेशी या अविधिक संस्थाओं से धन प्राप्त करेगा तो उस पर भी कड़ी कार्रवाई होगी। इसके लिए सात से 14 साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा।

कैबिनेट ने धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। अब जबरन धर्मांतरण करने वालों के खिलाफ डीएम गैंगस्टर एक्ट की तरह संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई कर सकेंगे। आरोपियों को अब कोर्ट से आसानी से जमानत भी नहीं मिलेगी। धर्मांतरण के मामलों में अब पीड़ित के खून के रिश्ते के अलावा अन्य आम लोग भी शिकायत दर्ज करा सकेंगे। जबरन धर्मांतरण करने वालों की एफआईआर दर्ज करने के बाद संपत्ति कुर्क के लिए अधिनियम में हुए नए संशोधन में डीएम को अधिकृत किया गया है। कार्रवाई गैंगस्टर एक्ट की तरह ही अमल में लाई जाएगी।

कैबिनेट में सरकार ने सेना में अग्निपथ योजना के तहत चार साल की सेवा पूरी कर लौटने वाले अग्निवीरों को राज्य के सरकारी वर्दीधारी विभागों में समूह ग के पदों पर 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।

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