मेरठ 11 जुलाई (प्र)। 101 गैर जमानती वारंट के मामले में 44 दिन से जेल में बंद विधायक रफीक अंसारी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में रफीक द्वारा दिए गए भड़काऊ बयान वाले मुकदमे में न्यायालय ने बुधवार को उन्हें जेल से कोर्ट बुलाया। अब इस मुकदमे में भी विधायक को जमानत अर्जी डालनी होगी।
2022 के विधानसभा चुनाव में शहर सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी रफीक अंसारी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। चुनावी सभा में रफीक बोल रहे थे कि भाजपा सरकार पांच सालों से समाज का शोषण कर रही है। मेरठ का मुसलमान कभी डरा नहीं है। पांच साल सरकार मुसलमानों को दबाने का काम कर रही है। मुसलमान इस सरकार से नहीं दवेगा। इस मामले में नौचंदी थाना पुलिस ने रफीक अंसारी के खिलाफ धार्मिक भावना भड़काने के मामले में रिपोर्ट दर्ज की थी।
नौचंदी पुलिस ने धार्मिक भावना भड़काने वाले मामले में कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। इसके बाद कोर्ट ने 309 सीआरपीसी में रिमांड बनाकर विधायक को जेल से बुलाया।अब इस मामले में रफीक अंसारी पर न्यायालय में मुकदमा चलेगा। इस मुकदमे में भी विधायक को जमानत करानी पड़ेगी रफीक अंसारी हिस्ट्रीशीटर रहे हैं।
27 मई को बाराबंकी से किए थे गिरफ्तार
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने डीजीपी को निर्देश दिए कि रफीक अंसारी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा पहले जारी किए गए गैर जमानती वारंट की तामील सुनिश्चित करें। अगर वह अब तक तामील नहीं हुए हैं तो अगली तारीख पर अनुपालन हलफनामा दायर किया जाएगा अनुपालन हलफनामा दाखिल करने के सीमित उद्देश्य के लिए मामले को 28 मई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश कोर्ट ने दिए पुलिस ने 27 मई को विधायक को बाराबंकी से गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट ने रफीक अंसारी को जेल भेज दिया था।
हाईकोर्ट ने डीजीपी को दिए थे गिरफ्तारी के आदेश
1992 में हापुड़ रोड़ पर मीट की दुकानों को लेकर अंसारी और कुरैशी बिरादरी के लोगों में मारपीट हो गई थी। भीड़ ने तोड़फोड़ करते हुए आगजनी कर दी थी। इस मामले में लिसाड़ी गेट और नौचंदी थाने में आईपीसी की धारा 147, 427 और 436 के अंतर्गत दो मुकदमे दर्ज किए गए थे 40 लोगों को आरोपी बनाया गया था। विवेचना में पुलिस ने मौजूदा पार्षद रफीक अंसारी और हाजी बुंदू को भी आरोपी बना दिया था। पुलिस ने इस मामले में सन 1995 में 22 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया था। 18 लोगों का नाम साक्ष्य नहीं होने के कारण मुकदमे से निकल गए थे। वर्ष 1997 में संबंधित अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया। रफीक अंसारी के कोर्ट में पेश नहीं होने पर 12 दिसंबर 1997 को उनके गैर जमानती वारंट जारी हो गए थे। इसके बाद रफीक अंसारी के 101 गैर जमानती वारंट जारी हुए।