अपने शहर में अब नागरिकों में जागरूकता और हर छोटे बड़े बिन्दु पर चर्चा करने और किस विषय पर विचार हो रहा है उसका आधार जानने की लालसा बढ़ती ही जा रही लगती है। अगर ऐसा नहीं होता तो बीते दिवस नशे को लेकर मेरठ कालेज में हुई एक गोष्ठी की जो खबर छपी उसमें मेरठ कालेज के रामकुमार गुप्ता सभागार को आज सुबह एक खबर में पढ़कर कई पाठक सार्वजनिक स्थानों आदि पर आपस में मौखिक रूप से चर्चा करते सुने गये कि अगर खबर में रामकुमार गुप्ता सभागार वाली बात सही है तो यह भी पता चलना चाहिए कि माननीय रामकुमार गुप्ता जी का मेरठ कालेज या समाज में ऐसा कौन सा अनुकणीय और युवाओं के लिए प्रेरणादायक योगदान है जिसके लिए उनके नाम पर सभागार कक्ष का नाम पड़ा।
बताते चले कि चौधरी चरण सिंह विवि में जितने भी सभागार है वो देश समाज और युवाओं के लिए कुछ करने वाले महान व्यक्तियों के नाम पर संचालित अन्य संस्थाओं में भी कुछ ऐसा ही होता है। तो फिर सरकारी सहयोग से चलने वाले उत्तर भारत के प्रसिद्ध शिक्षा के मंदिर मेरठ कालेज में रामकुमार गुप्ता जी के नाम पर सभागार का नामकरण क्यों? अब यह कालेज के फंड से बना अथवा गुप्ता जी ने बनवाया यह तो वो ही बता सकते है। लेकिन इस बात पर कई युवाओं का कहना था कि अगर पैसे खर्च करके कालेजों में कक्ष बनवाये जा सकते है तो फिर नाम कमाने की इच्छा छवि के कई लोग ऐसा करने वाले मिल जाएंगे तो क्या मेरठ कालेज मैनेजमेंट उनके नाम पर भी सभागार बनवायेगा।
एक प्रातः कालीन समाचार पत्र में दो कॉलम में छपि खबर में एंटी नारकोटिक ट्रास्कफोर्स संस्था के मुखिया सौरभ विक्रम सिंह ने युवाओं में नशे की बढ़ती लत को लेकर विचार व्यक्त किये जागरूकता हेतु यह प्रशंसनीय व सराहनीय भी है। क्योंकि युवाओं को नशे से बचाने के लिए ऐसे अभियान जरूरी है। लेकिन अगर रामकुमार गुप्ता जी के नाम पर बने सभागार के बारे में मैनेजमेंट कमेटी आदि कोई स्पष्ट और साकारात्मक उत्तर नहीं देती है तो वो विषय सोचनीय है।
नागरिकों के मौखिक कहे अनुसार जो जानकारियां आदरणीय गुप्ता जी के बारे में प्राप्त हुई वो कितनी सही है कितनी गलत यह तो कहने वाले अथवा गुप्ता जी या उनके सहयोगी ही जान सकते है हम तो उनका बड़ा आदर करते चले आ रहे है। और आगे भी करते रहेंगे। मगर जन चर्चा जो चली है उसका समाधान तो होना ही चाहिए।
1. मौखिक रूप से एक सज्जन का कहना था कि जब वो डीएन कालेज में प्रोफेसर थे जो उद्योग उनसे संबंध चलता था उसमें आग लगने की घटनाऐं खूब होती थी।
2. एक चर्चा यह भी सुनने को मिली कि कैन्ट क्षेत्र में गुप्ता जी या इनके किसी सहयोगी द्वारा एक अवैध कोठी बनाई जा रही है जिसमें एक आर्मी के पूर्व जवान की जमीन भी घेरी बताये जाने की चर्चा है।
3. कुछ लोगों का कहना है कि गुप्ता जी जिस संस्था पर हाथ रखते है वो चाहे उद्योगपतियों से संबंधित हो या शिक्षा कुछ दिनों में उसमें सक्रिय अन्य लोग बाहर और गुप्ता जी और उनके सहयोगियों का वर्चस्व कायम हो जाता है ऐसा कैसे होता है ये तो वहीं जान सकते है।
4. लोगों के अनुसार माननीय गुप्ता जी में गुणों की भरमार है समयानुसार कभी कभी वो सरूर का इंतजाम भी कर लेते है तो कुछ मौकों पर समारोह में प्रोग्राम देने आने वाले कलाकारों की प्रशंसा करने में भी पीछे नहीं रहते। ऐसा कहने वालों का कहना है कि सूची तो बहुत लंबी है कहां तक बताई जाए फिलहाल तो यह तय होना चाहिए कि किस खूबी और सहयोग के चलते अथवा उन्होंने कौन सा प्रेरणादायक काम किया जिसके दम पर मेरठ कालेज में अगर कोई उनके नाम पर सभागार है तो वो किस खूबी के चलते बना। क्योंकि मेरठ कालेज से तो बड़े बड़े प्रेरणास्रोत व्यक्तित्व के लोग संबंधित रहे देश भर में यहां से शिक्षा प्राप्त करने वाले युवा राष्ट्र की उन्नति के लिए सरकारी पदों पर रहकर काम कर रहे है तो कई ने राजनीति में भी बड़ा मुकाम पाया इसके बावजूद उनके नाम की बजाए रामकुमार सभागार रखने का नाम कहां से आया। इस संदर्भ में मुझे लगता है कि प्रबंधन समिति या स्वयं रामकुमार गुप्ता जी को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
क्योंकि यह सार्वजनिक संस्था है इसलिए यहां महापुरूषों के नाम पर सभाकक्ष का नामकरण हो और देश और समाज के लिए कुछ करने वाली विभूतियों के मूर्तियां लगे तो युवाओं को प्रेरणा मिलेगी।
(प्रस्तुतिः घूमंतू संवाददाता)