Monday, December 23

पल्लवपुरम फेस वन मेन डिवाईडर रोड़ पर सील लगे अवैध रूप से बने घरेलू उपयोग की जमीन पर कमर्शियल काम्पलैम्स में 1 करोड़ रूपये की बेची जा रही दुकानें, खरीदारों का मर सकता है पैसा, विशाल अवैध बेसमेंट भी बन सकता है परेशानी का कारण ,तोड़ने की हो सकती है कार्यवाही?

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मुख्यमंत्री के यहां पहुंचा मामला ! दोषियों के खिलाफ जल्द होगी कार्रवाई, मुख्यमंत्री के यहां से हो सकती है जांच और जल्द ही सील की कार्रवाई विशाल अवैध बेसमेंट भी है बड़ा खतरा

मेरठ, 30 अगस्त (विशेष संवाददाता)। मेडा के उपाध्यक्ष अपने कार्य क्षेत्र में अवैध निर्माण रोकने के लिए नये नये उपाय अपनाने के दावे आये दिन कर रहे है। कुछ तोड़े भी जाते है लेकिन बाद में वो बनकर तैयार हो जाते है। क्योंकि रिहायशी भूमि पर हुए अवैध निर्माण से संबंध विभाग के अधिकारियों पर वीसी साहब का नियंत्रण तो लगभग ना के बराबर ही है। इसके उदाहरण के रूप में थाना पल्लवपुरम क्षेत्र में फेस वन के डिवाईडर रोड़ पर शिवालिक गेस्ट हाउस के सामने बने कार्मशियल कॉम्पलेक्स को देखा जा सकता है। कुछ नागरिकों का कहना है कि जब यह बन रहा था तो इस पर सील भी लगी थी और मेडा के अधिकारियों की टीम भी आई थी लेकिन निर्माणकर्ता द्वारा कुछ ही समय में सील को तोड़कर कॉम्पलैक्स पूरा कर लिया गया है। और अब उसमें 50 लाख से लेकर जानकारों का कहना है कि 1 करोड़ रूपये तक की दुकान बेची जा रही है। अब इसमें कितनी सत्यता है यह तो मेडा के अधिकारी व निर्माणकर्ता ही जान सकते है।

 

मगर मौखिक सूत्रों का कहना है कि मेडा के अवैध निर्माण रोकने से संबंध अधिकारियों और कॉम्पलैक्स बनाने वाले के बीच बड़ी डील हुई बताई जा रही है। इसलिए मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारी खामोश होकर बैठ गये लगते है। देखना यह है कि अब सील व जांच के आदेश के बाद  अवैध निर्माण रोकने का दावा करने वाले वीसी एमडीए समय रहते रिहायशी भूमि पर कॉम्पलैक्स बेसमेंट के निर्माणकर्ता और अपने सहयोगी जोन से संबंधित अधिकारियों से अब  क्या कार्रवाई कराते है। और क्योंकि जब तक जोन प्रभारी और एई व जेई के खिलाफ  कार्रवाई  नहीं होगी आगे आगे भी ऐसा होता रहेगा । ऐसा अवैध निर्माणों के कारण शहर में लगने वाले जाम से पीड़ितों का कहना है।
ऐसे अवैध निर्माणों से पीड़ितों का मौखिक रूप से कहना है कि सरकार की निर्माण नीति के विपरित हो रहे अवैध निर्माणों और इनमें बन रहे बेसमेंटों के विरूद्ध अब तो माननीय मुख्यमंत्री जी के यहां से कार्रवाई करते हुए किसी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी से जांच कराने के बाद ही कार्यवाही संभव है। जनहित में मुख्यमंत्री जी दे ध्यान!

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