मेरठ, 08 अक्टूबर (प्र)। नवरात्र में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा कर व्रत रखे जा रहे हैं। जो लोग पूरे नौ दिन तक व्रत नहीं रख पाते हैं, वे भी दुर्गाष्टमी का व्रत रखते हैं और कंजक पूजा करते हैं। इस पर्व में माता दुर्गा की अष्टमी और नवमी पर विशेष पूजा होती है। शुक्रवार (11 अक्तूबर) को अष्टमी के दिन सुकर्मा योग बन रहा है। शनिवार (12 अक्तूबर) को ही नवमी पूजन के बाद दशहरा पूजन किया जाएगा।
इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंस के सचिव आचार्य कौशल वत्स के अनुसार अष्टमी तिथि शुक्रवार को सूर्योदय से दोपहर 12ः07 बजे तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि शनिवार को सुबह 11ः00 बजे तक रहेगी। ऐसे में अष्टमी पूजन शुक्रवार को और शनिवार को नवमी पूजन होगा।
ज्योतिषाचार्य कौशल वत्स ने कहा कि सुकर्मा योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। शनिवार को अगर महानवमी पूजन करते हैं तो इस दिन श्रवण योग रहेगा। यह शक्ति के साथ शिव का भी संकेत है। इस दिन किया गया पूजन चारों पुरुषार्थों को देने वाला होगा।
अष्टमी पर महागौरी की पूजा
अष्टमी पर मां दुर्गा के आठवें रूप महागौरी का पूजन किया जाता है। सुबह महागौरी की पूजा के बाद घर में नौ कन्याओं और एक बालक को आमंत्रित किया जाता है। इनकी पूजा के बाद उन्हें हल्वा, पूरी और चने का भोग दिया जाता है। इसके अलावा उपहार देकर विदा किया जाता है। कन्या पूजन के दिन सुबह स्नान कर भगवान गणेश और महागौरी की पूजा करें। कन्या पूजन के लिए दो साल से दस साल तक की नौ कन्याओं और एक बालक को बटुक भैरव के रूप में आमंत्रित करें।
इन तिथियों में ये होगा पूजन
दुर्गाष्टमी: शुक्रवार दोपहर 12ः07 बजे तक
महानवमी: शनिवार को सुबह 11 बजे तक
दशहरा पूजन: शनिवार को 11 बजे के बाद होगा।